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Magh Gupt Navratri 2023: 22 जनवरी से 30 जनवरी तक रहेगी गुप्त नवरात्रि, जानें मां दुर्गा की साधना का कैसे मिलेगा फल

माघ गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी से शुरू होक 30 जनवरी तक रहेगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गुप्त नवरात्रि विक्रम संवत्सर 2079 की आखिरी नवरात्रि है. नवरात्रि के अंतिम दिन महानंद नवमी का उत्सव मनाया जाएगा.

Magh Gupt Navratri 2023: हिंदू धर्म में का विशेष महत्व है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में शक्ति की साधना की जाती है. हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि का पर्व होता है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि पड़ती है. पंचांग के अनुसार पहली गुप्त नवरात्रि माघ मास में और दूसरी आषाढ़ मास में पड़ती है. गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के अलावा मां भगवती दुर्गा के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 22 जनवरी को माघ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ सिद्धि योग में होगा. गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी से 30 जनवरी तक पूरे 9 दिन रहेगी.

ये गुप्त नवरात्रि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक चलती है. मां दुर्गा को उपासक 9 दिन तक गुप्त तरीके से शक्ति साधना और तंत्र सिद्धि करते हैं. गुप्त नवरात्रि को गुप्त साधना और विद्याओं की सिद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. पूरे वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि होती हैं. माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि होती हैं और प्रकट नवरात्रि में चैत्र नवरात्रि और अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि होती है. देवी भागवत महापुराण में मां दुर्गा की पूजा के लिए इन चार नवरात्रियों का उल्लेख है. माघ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ माघ शुक्ल प्रतिपदा से होता है, जो नवमी तिथि तक होती है. इस साल माघ शुक्ल प्रतिपदा तिथि 22 जनवरी को और नवमी तिथि 30 जनवरी को है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ गुप्त नवरात्रि विक्रम संवत्सर 2079 की आखिरी नवरात्रि है.

सिद्धि योग में माघ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ
ज्योतिषाचार्य डा. व्यास ने बताया कि इस साल 22 जनवरी को माघ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ सिद्धि योग में होगा. इस दिन सुबह 10:06 बजे तक वज्र योग है. उसके बाद से सिद्धि योग है, जो अगले दिन सुबह 05:41 बजे तक है. ऐसे में माघ गुप्त नवरात्रि का कलश स्थापना सिद्धि योग में होगा. कलश स्थापना के समय अभिजीत मुहूर्त में सिद्धि योग के होने से कार्य की सिद्धि होती है.

ज्योतिषाचार्य डा. व्यास ने आगे बताया कि माघ मास की गुप्त नवरात्रि के दौरान कई व्रत-उत्सव मनाए जाते हैं. इस बार गुप्त नवरात्रि के अंतर्गत 25 जनवरी को विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा. 26 जनवरी को देवी सरस्वती का प्रकटोत्सव वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाएगा. 28 जनवरी को अचला और रथ सप्तमी का पर्व रहेगा. 29 जनवरी को भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाएगा. गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन यानी 30 जनवरी को महानंद नवमी का उत्सव मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार ये विक्रम संवत्सर 2079 की अंतिम नवरात्रि रहेगी.

शनि के शुभ संयोग में गुप्त नवरात्रि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि 17 जनवरी से शनि ग्रह मकर से निकलकर कुंभ राशि में आ चुका है. ऐसा योग 30 साल में एक बार बनता है जो शनि अपनी ही राशि कुंभ में रहता है. इस बार शनि के स्वराशि में होते हुए माघ मास की गुप्त नवरात्रि का मनाया जाएगा. गुप्त नवरात्रि के पहले ही दिन यानी 22 जनवरी को शुक्र ग्रह भी कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएगा, जिससे शुक्र-शनि की युति पूरे नवरात्रि के दौरान बनी रहेगी. शुक्र और शनि दोनों मित्र ग्रह हैं. इन दोनों की युति शुभ फल देने वाली रहेगी.

गुप्त नवरात्रि में साधना
कुण्डली विश्लेषक डॉ. व्यास ने बताया कि प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां भगवती की पूजा जहां माता के ममत्व के रूप में की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा शक्ति रूप में की जाती है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी साधना किसी को बता कर नहीं की जाती है. इसलिए इन दिनों को नाम ही गुप्त दिया गया है. गुप्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक गुप्त अनुष्ठान किये जाते हैं. इन दिनों देवी दुर्गा के दस रूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन नवरात्रि में देवी साधना से शीघ्र प्रसन्न् होती हैं और मनोवांछित फल प्रदान करती हैं. जितनी अधिक गोपनीयता इस साधना की होगी उसका फल भी उतनी ही जल्दी मिलेगा.

देवी के मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी देवी, भुनेश्वरी देवी, मां धूम्रावती, बगलामुखी माता, मातंगी माता और देवी कमला की गुप्त नवरात्रि में पूजा की जाती है. मंत्र जाप, श्री दुर्गा सप्तशती, हवन से इन दिनों देवी साधना करते हैं. यदि आप हवन आदि कर्मकांड करने में असहज हों तो नौ दिन का किसी भी तरह का संकल्प जैसे सवा लाख मंत्रों का जाप कर अनुष्ठान कर सकते हैं. या फिर राम रक्षा स्त्रोत, देवी भागवत आदि का नौ दिन का संकल्प लेकर पाठ कर सकते हैं. अखंड जोत जलाकर साधना करने से माता प्रसन्न होती हैं. भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डॉ. व्यास ने बताया कि मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा होती है.

सामग्री
भविष्यवक्ता डॉ. व्यास ने बताया कि मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि.

मां दुर्गा की ऐसे करें पूजा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डॉ. व्यास ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है. इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित किया जाता है. मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है. सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए.

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा को इन चीजों का लगाएं भोग
प्रतिपदा- रोगमुक्त रहने के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं.
द्वितीया- लंबी उम्र के लिए द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं.
तृतीया- दुख से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि पर मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं.
चतुर्थी- तेज बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए चतुर्थी तिथि पर मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं.
पंचमी- स्वस्थ शरीर के लिए मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं.
षष्ठी- आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं.
सप्तमी- संकटों से बचने के लिए सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें.
अष्टमी- संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अष्टमी तिथि पर मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं.
नवमी- सुख-समृद्धि के लिए नवमी पर मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं.

माघ गुप्त नवरात्रि 
माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि- 22 जनवरी को रात 02:22 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 22 जनवरी को ही रात 10:27 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:11 बजे से दोपहर 12:54 बजे तक

माघ गुप्त नवरात्रि 
22 जनवरी: घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
23 जनवरी: ब्रह्मचारिणी पूजा
24 जनवरी: चन्द्रघण्टा पूजा
25 जनवरी: कूष्माण्डा पूजा
26 जनवरी: स्कन्दमाता पूजा
27 जनवरी: कात्यायनी पूजा
28 जनवरी: कालरात्रि पूजा
29 जनवरी: दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा
30 जनवरी: सिद्धिदात्री पूजा, नवरात्रि पारण

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