Maharana Pratap Jayanti 2024 in Mewar: आज वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती मनाई जा रही है. वहीं राष्ट्रीय स्मारक प्रताप गौरव केंद्र जयंती के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान में महाराणा प्रताप के नाम से वर्षों से राजनीति की जा रही है. लेकिन महाराणा प्रताप से जुड़े उनके मुख्य स्थल जैसे राजतिलक स्थली, निर्वाण स्थली की हालत बिगड़ी हुई है न रख रखाव और न कोई विकास हुआ है. जिसकी वजह से उदयपुर में तो लाखों पर्यटक आते है लेकिन वो महाराणा प्रताप के स्थलों पर नाम मात्र जाते है.
बता दें कि महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली गोगुंदा, निर्वाण स्थली चावंड और युद्ध स्थली हल्दी घाटी की स्थिति खराब है. यहां घास-फूस उगी हुई है, फर्श और दीवारें टूटी हुई है. जबकि ऐसा नहीं कि बजट में घोषणा नहीं की गई लेकिन विकास कार्य नहीं हुआ.
‘ऐतिहासिक स्थल दुर्दशा के शिकार’
चावंड में महाराणा प्रताप स्मारक समिति के अध्यक्ष भगवती प्रसाद आमेटा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य सरकारों और संबंधित विभागों की अनदेखी के कारण ऐतिहासिक स्थल दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं. समिति जन्म जयंती और पुण्यतिथि पर कार्यक्रम करती आ रही है. राज्य सरकारों की कभी इसमें भागीदारी नहीं हुई. तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया द्वारा 1972 ने स्मारक का निर्माण करवाया गया. इसके बाद 1980 से लेकर अब तक उपेक्षा का शिकार है.
हल्दी घाटी स्मारक की भी विकास नहीं हुआ
हल्दी घाटी चेतक स्मारक समिति जगदीश राज श्रीमाली ने कहा कि हल्दी घाटी ऐतिहासिक स्थल है. इन स्थलों की हालत देखकर मन बड़ा वय्थित होता है. राजनेता महाराणा प्रताप के नाम पर राजनीति तो करते लेकिन विकास नहीं. लोगों को यह तक पता नहीं कि हल्दी घाटी में राष्ट्रीय स्मारक है. उसका कई वर्षों पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल ने शिलान्यास किया था, लेकिन आज तक उसका विकास नहीं हुआ. कोई पर्यटक ऊपर राष्ट्रीय स्मारक तक जाता ही नहीं है. जिस प्रकार से राष्ट्रीय स्मारक दर्जा प्राप्त स्थलों का विकास होना चाहिए वह नहीं हो रहा है.
100 करोड़ की लगात से बन रहा है महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट
वहीं उदयपुर के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि महाराणा प्रताप के जीवन से विषम परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटने तथा सदैव, सत्य, धर्म और राष्ट्रहित के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है. महाराणा प्रताप के संदेश को पूरी दुनिया तक पहुंचाना हमारी सरकार का लक्ष्य है और इस दिशा में 100 करोड़ रुपयों की लागत से महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट विकसित किया जा रहा है.
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