Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि पर रात में पूजा करने का है खास महत्व, अभी जान लें ये मंत्र
Rajasthan News: महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर आप अपने घर में सुख और शांति ला सकते हैं. इस अवसर पर भगवान शंकर की पूजा रात्रि में विशेष फलदायी मानी जाती है.
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Mahashivratri 2022: ज्योतिष की दृष्टि से महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात्रि का बड़ा महत्व है. भगवान शिव के सिर पर चन्द्रमा सुशोभित है या इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि, विराजमान है. चन्द्रमा को मन और मस्तिष्क का कारक कहा गया है. कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात में चन्द्रमा की शक्ति लगभग पूरी तरह क्षीण हो जाती है, जिससे तामसिक शक्तियां व्यक्ति के मन पर अधिकार करने लगती हैं जिससे पाप प्रभाव बढ़ जाता है. भगवान शंकर की पूजा से मानसिक बल प्राप्त होता है, जिससे आसुरी और तामसिक शक्तियों के प्रभाव से बचाव होता है. रात्रि से शंकर जी का विशेष स्नेह होने का एक कारण ये भी माना जाता है कि भगवान शंकर संहारकर्ता होने के कारण तमोगुण के स्वामी हैं. रात्रि भी जीवों की चेतना छिन जाती है जीव निद्रा देवी की गोद में सोने चला जा जाता है. इसलिए रात को तमोगुणमयी कहा गया है. यही कारण है कि तमोगुण के स्वामी देवता भगवान शंकर की पूजा रात्रि में विशेष फलदायी मानी जाती है.
महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा का है खास महत्व
पंडित सुरेश श्रीमाली (Suresh Shrimali) ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा का बेहद खास महत्व है. महाशिवरात्रि के पर्व पर किया गया कोई भी अनुष्ठान विफल नहीं जाता, इसका लाभ भक्तों को जरूर मिलता है. महाशिवरात्रि के दिन व्रत करें और अभिषेक करें जिससे आपके जीवन का दुख, दर्द, दरिद्रता, संकट, भय सभी समाप्त हो जाएगा. जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते हैं, वो इसे महाशिवरात्रि से आरंभ कर सकते हैं और एक साल तक कायम रख सकते हैं. ये माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और कोई भी मुश्किल और असम्भव कार्य पूरे किए जा सकते हैं. अविवाहित स्त्रियां इस व्रत को विवाहित होने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने विवाहित जीवन शान्ति बनाए रखने के लिए करती हैं.
भगवान शिव को प्रणाम करना चाहिए
शिवपुराण के अनुसार व्रत करने वाले को महाशिवरात्रि के दिन प्रातः काल स्नान व नित्यकर्म से निवृत्त होकर ललाट पर भस्म या चंदन का त्रिपुंड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं भगवान शिव को प्रणाम करना चाहिए. फिर उसे श्रद्धापूर्वक महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करना चाहिए.
जो लोग महाशिवरात्रि को पूरी रात पूजा करते है उन्हें...
- प्रथम प्रहर की पूजा में अपनी मनोकामना का संकल्प करके दूध से अभिषेक करते हुए "ऊँ ह्रीं ईशानाय नमः" का जाप करना चाहिए.
- द्वितीय प्रहर में दही से अभिषेक करते हुए "ऊँ ही अघोराय नमः " मंत्र का जाप करना चाहिए.
- तृतीय प्रहर में घृत यानि घी से अभिषेक करते हुए "ॐ हृी वामदेवाय नमः " मंत्र का जाप करना चाहिए.
- चतुर्थ प्रहर में मधु यानि शहद से अभिषेक करते हुए "ऊँ ही सध्योजाताय नमः " मंत्र का जाप करना चाहिए.
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