Mahashivratri 2023: देश भर में 18 फरवरी, शनिवार को महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. शिवालयों पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. उदयपुर की बात करें तो महाराणाओं के इष्टदेव भगवान एकलिंगनाथ, जिनके मंदिर का निर्माण मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने करवाया था, लेकिन स्थापना कब हुई इसका प्रमाण नहीं है. इस मंदिर में भगवान एकलिंगनाथ के दर्शन करने के लिए शुक्रवार रात को ही भक्तों की टोलियां अपने-अपने घरों से निकल पड़ी. हजारों की संख्या में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लोग निकले. सभी ने प्रात: काल में दर्शन किए.
15 किलोमीटर तक स्वागत में कई टेंट लगे
भगवान एकलिंग नाथ मंदिर जाने के लिए उदयपुर के सुखेर क्षेत्र से होकर हाईवे के जरिए जाना होता है. यह हाईवे राजधानी को जाता है. भगवान एकलिंग नाथ का मंदिर शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर है .इसी रास्ते से बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए जाते हैं. शुक्रवार शाम से ही भक्तों की टोलियां दर्शन के लिए पैदल निकल पड़ीं, कई वर्षों से मेवाड़ के लोग इसी परंपरा से चल रहे हैं.
इस 15 किलोमीटर के बीच विभिन्न समाज और संगठनों की ओर से स्टॉल लगाए गए है्ं, जिनमें दूध, फल, मिठाई सहित कई तरह की खाद्य सामग्री रखी गई है. यहीं नहीं डीजे पर भगवान शिव के भजनों में भक्त नाचते नजर आए. फिर सभी ने लाइन में लगकर सुबह 4.30 बजे से दर्शन किया. लंबी कतारों में घंटों इंतजार करने के बाद दर्शन हुए.
शिवरात्रि की रात में होगी मुख्य पूजा
एकलिंगजी ट्रस्ट की ओर से बताया कि फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तदनुसार 18 फरवरी शनिवार को कैलाशपुरी स्थित मंदिर श्री एकलिंगजी में महाशिवरात्रि का महोत्सव रात्रि 10 बजे से मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि की विशेष पूजा रात 10 बजे से आरम्भ होती है, जो चार प्रहर तक निरन्तर चलती रहती है और दूसरे दिन दिनांक 19 फरवरी 11.30 से 12.00 बजे के बीच पूर्ण होती है. चारों प्रहर की पूजा में विशेष श्रृंगार किया जाता है, विशेष पंचामृत धारण होता है.
484 किलो पंचामृत और 52 रुद्राभिषेक
महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा में प्रत्येक प्रहर में 13 रुद्रीपाठ होते हैं. प्रत्येक प्रहर में सवा नौ किलो प्रत्येक दूध, दही, घी, शहद एवं शक्कर का पंचामृत श्री एकलिंगनाथ को धारण होता है. इस प्रकार कुल 484 किलो की मात्रा में पंचामृत की सामग्री एक प्रहर में चढ़ाई जाती है एवं 52 रुद्राभिषेक होते हैं.
बजता रहता है पैलेस का बैंंड
महाशिवरात्रि पर सेवा में चारों प्रहर पैलेस का बैण्ड बजता रहता है. महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा में दर्शन शनिवार रात 10 बजे से दूसरे दिन रविवार अपरान्ह तक निरन्तर खुले रहेंगे, क्योंकि महाशिवरात्रि की पूजा निरन्तर चलती रहती है. दर्शनार्थी रविवार सुबह 11.30 बजे तक महाशिवरात्रि के दर्शन लाभ ले सकेंगे. इसके बाद नियमित त्रिकाल पूजा आरम्भ होगी, जिसमें सामान्य दर्शन पुनः रविवार रात 8 बजे तक लगातार होंगे.
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