Rajasthan News: भारत में सभी धर्मों के लोग अपने त्यौहार और पर्व बड़े ही धूमधाम से साथ मनाते है. देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई सभी धर्म अपने त्यौहार को आस्था और उत्साह के साथ मनाते हैं. जैन धर्म भी महावीर जयंती को बड़ी भव्यता के साथ मनाते हैं. भगवान महावीर के जन्मदिवस को 24वें तीर्थकर के रूप में मनाया जाता है.
राजस्थान के करौली जिले के हिंडौन सिटी के चांदन गांव में स्थित महावीर जी जैन धर्म का बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है. बताया जाता है कि महावीर जी के मंदिर में भगवान महावीर जी की जो प्रतिमा विराजमान है वह प्रतिमा लगभग 200 वर्ष पहले पास ही एक टीले की खुदाई में एक ग्वाले को मिली थी. उसी जगह भगवान महावीर का विशाल मंदिर बनाया गया है.
यहां प्रतिवर्ष महावीर जयंती पर लक्खी मेला लगता है. महावीर जयंती यहां धूमधाम से मनाई जाती है. लक्खी मेले में देश के कई राज्यों से जैन समाज के अलावा गुर्जर-मीणा समुदाय के लोग भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
अहिंसा और प्रेम का दिया संदेश
भगवान महावीर का आज (3 अप्रैल) 2,622वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को 599 ईसवी पूर्व बिहार में महाराजा सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ था. उनकी माता ने उनका नाम वर्धमान रखा था. महावीर ने अपने राज्य का त्याग कर सत्य, अहिंसा और प्रेम का संदेश दिया था. इसलिए जैन समाज के लोग अपने जीवन में भगवान महावीर के सिद्धांतो का अनुसरण करते हैं. महावीर जयंती के जन्मदिन को जैन समाज के 24वें और अंतिम तीर्थंकर के रूप में भगवान महावीर का जन्मदिन मनाया जाता है.
रात को सांस्कृतिक संध्या का आयोजन
सोमवार को भगवान महावीर के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में महावीर जी में रथ यात्रा निकाली गई. महावीर जयंती पर निकाली जाने वाली रथयात्रा आकर्षण का केंद्र होती है. महावीर जी में आज (3 अप्रैल) प्रभातफेरी, झंडारोहण, जलयात्रा सामूहिक पूजन, कलशाभिषेक और दिव्यांगों को बैसाखी, कैलिपर्स, ट्राई साइकिल के साथ ही विधवा महिला को सिलाई की मशीन भी वितरित की जाएगी. देर रात को सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाएगा.
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