Makar Sankranti: हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति पर्व (Sankranti 2023) का विशेष महत्व है. जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. हिन्दू धर्म में नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है. ये प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है.
वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन साल 2023 में 15 जनवरी को मनाई जाने वाली है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8:57 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे. ऐसे में उदया तिथि 15 जनवरी है. इसलिए मकर संक्रांति इस बार एक दिन आगे बढ़ गई है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रविवार 15 जनवरी को चित्रा नक्षत्र सुकर्मा योग और बालव करण तथा तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में मकर संक्रांति का पुण्य काल होगा. क्योंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को रात्रि 8:57 पर होने से पर्व काल अगले दिन माना जाता है. इस दृष्टि से धर्म शास्त्रीय मतानुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल रहेगा, जिसमें सूर्योदय से लेकर दिनभर दान पुण्य आदि किए जा सकेंगे.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है. मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर होता है.
धनुर्मास की संक्रांति समाप्त होते ही मकर राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं. अलग-अलग प्रकारों से शास्त्रीय महत्व वाले दान पुण्य का अनुक्रम आरंभ हो जाता है. मकर संक्रांति महापर्व काल के दौरान चावल, मूंग की दाल, काली तिल्ली, गुड़, ताम्र कलश, स्वर्ण का दाना, ऊनी वस्त्र आदि का दान करने से सूर्य की अनुकूलता पितरों की कृपा भगवान नारायण की कृपा साथ ही महालक्ष्मी की प्रसन्नता देने वाला सुकर्मा योग भी सहयोग करेगा. क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इन योगों में संबंधित वस्तुओं का दान पितरों को तृप्त करता है जन्म कुंडली के नकारात्मक प्रभाव को भी दूर करता है और धन-धान्य की वृद्धि करता है.
रविवार को विशेष लाभकारी
ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि रविवार के दिन सूर्य के मकर संक्रांति का पुण्य काल विशेष लाभ देने वाला बताया गया है. क्योंकि रविवार के दिन सूर्य अपने विशेष परिमंडल में अनुगमन करते हैं. साथ ही, अग्नि पुराण के मान्यता के अनुसार देखें तो सूर्य का पूजन रविवार के दिन शिवलिंग के साथ संयुक्त रूप से पूजित करने पर संतान के बौद्धिक अनुकूलता के लिए श्रेष्ठ बताया गया है. यही कारण है कि इस दिन सूर्य की पूजन तथा भगवान शिव का अभिषेक विशेष रूप से करना चाहिए.
त्रिग्रही युति
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक व्यास ने बताया कि पर्व काल को श्रेष्ठ तथा महत्वपूर्ण बनाने के लिए सूर्य, शनि, शुक्र का विशिष्ट युति संबंध में होना भी अपने आप में महत्व रखता है क्योंकि पिता-पुत्र दोनों का ही एक राशि में होना. वह संयुक्त रूप से शुक्र का भी इस राशि पर परिभ्रमण करना अर्थात मकर राशि पर इन तीनों ग्रहों का संयुक्त होना अपने आप में विशिष्ट माना जाता है. क्योंकि यह एक प्रकार से शश योग और मालव्य योग का निर्माण कर रहा है इस दृष्टि से इस युति में शुभ कार्य, दान, पुण्य, तीर्थ यात्रा, भागवत महापुराण, श्रवण आदि करने से भी भाग्योदय होता है.
शश और मालव्य योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक व्यास ने बताया कि केंद्र में शनि केंद्राधिपति अथवा त्रिकोण अधिपति या स्वयं की राशि में गोचरस्थ हो और शुक्र वर्गोत्तम या केंद्राधिपति होकर के अनुकूल युति बनाते हों, तो वह भी मालव्य योग की श्रेणी में माने जाते हैं. इस दृष्टि से इस प्रकार के संयोग दशकों में आते हैं. यानी कई समय बाद इस प्रकार के योग का निर्माण होता है. इस दृष्टि से भी यह मकर संक्रांति का पुण्य काल महत्वपूर्ण है.
शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8:57 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे. उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है. ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी.
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