Makar Sankranti Daan: मकर संक्रांति हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. मकर संक्रांति का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व है. दरअसल ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का योग बनता है. इसके अलावा भी कई सारे बदलाव आते हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार स्नान-दान का त्योहार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेगा.


इस दिन से सूर्य धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में आ जाता है इसलिए इसे उत्तरायण त्योहार भी कहते हैं. मकर संक्रांति का संबंध केवल धर्म से ही नहीं बल्कि अन्य चीजों से भी जुड़ा है. जिसमें वैज्ञानिक जुड़ाव के साथ-साथ कृषि से भी अहम जुड़ाव है. मकर संक्रांति के बाद जो सबसे पहला बदलाव आता है वो है कि दिन लंबा होने लगता है. साथ ही इस दिन से रातें छोटी होनी लगती हैं. मकर संक्रांति के दिन सभी राशियों के लिए सूर्य फलदायी होते हैं, लेकिन वो मकर और कर्क राशि के लिए ज्यादा लाभदायक हैं.


शुरू होंगे मांगलिक काम
ज्योतिषाचार्य डा. व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्य के राशि बदलते ही खरमास खत्म हो जाएगा. इससे मांगलिक कामों की शुरुआत फिर से हो जाएगी. अब गृह प्रवेश और विवाह आदि मांगलिक पूजा भी कर सकेंगे. इस दिन खरमास खत्म होने से भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने का भी विधान बताया गया है. 


स्नान-दान का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य डा. व्यास ने बताया कि इस दिन पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर नहाने की परंपरा है. साथ ही दिनभर जरुरतमंद लोगों को तिल से बनी चीजें, कपड़ें और खाना दान करना चाहिए. ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. मकर संक्रांति पर खासतौर से अन्न दान, तीर्थ और गंगा स्नान करना चाहिए. मंदिरों सहित जरुरतमंद लोगों को गर्म कपड़ें दान करने के साथ ही गायों को हरा चारा खिलाने से पुण्य मिलता है. इस दिन से मौसम में बदलाव शुरू होने लग जाता है.


मकर संक्रांति पर करें दान
भविष्यवक्ता और कुंडली विश्लेषक डा. व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है. इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन से सभी शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी समाप्त हो जाता है. इस त्योहार पर खिचड़ी सेवन और खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व बताया जाता है.


खिचड़ी के फायदे
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में खाए जाने वाली खिचड़ी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. खिचड़ी से पाचन क्रिया सुचारु रूप से चलने लगती है. इसके अलावा अगर खिचड़ी में मटर और अदरक मिलाकर बनाएं तो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. इससे शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है. साथ ही ये बैक्टिरिया से भी लड़ने में मदद करती है.


मकर संक्रांति से जुड़े पौराणिक तथ्य
उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे−पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. साथ ही महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए इस दिन तर्पण किया था. यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन हर साल गंगासागर में मेला लगता है.


आर्युवेद में भी है मकर संक्रांति का महत्व
डा. व्यास ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाएं कई बीमारियों का कारण बन सकती हैं. इसलिए प्रसाद के तौर पर खिचड़ी, तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने का प्रचलन है. तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इन सभी चीजों के सेवन से शरीर के अंदर गर्मी भी बढ़ती है. 14 जनवरी मकर संक्रांति के साथ ही ठंड के कम होने की शुरुआत मानी जाती है.


मकर संक्रांति से बदलता है वातावरण
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. इससे शरीर के अंदर कई सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं. इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है. यह शरीर को गर्म रखता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तारायण में सूर्य का ताप शीत को कम करता है. 


मकर संक्रांति पतंग महोत्सव त्योहार
भविष्यवक्ता और कुंडली विश्लेषक डा. व्यास ने बताया कि यह त्योहार 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग छतों पर खड़े होकर पतंग उड़ाते हैं. हालांकि पतंग उड़ाने के पीछे कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना मुख्य वजह बताई जाती है. सर्दी के इस मौसम में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा और हड्डियों के लिए बेहद लाभदायक होता है.


पवित्र नदियों में जुटते हैं लाखों लोग
डा. व्यास ने बताया कि सर्दी के मौसम के समापन और फसलों की कटाई की शुरुआत का प्रतीक समझे जाने वाले मकर संक्रांति त्योहार के अवसर पर लाखों लोग देश भर में पवित्र नदियों में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं. देश के विभिन्न भागों में तो लोग इस दिन कड़ाके की ठंड के बावजूद रात के अंधेरे में ही नदियों में स्नान शुरू कर देते हैं. प्रयागराज के त्रिवेणी संगम, वाराणसी में गंगाघाट, हरियाणा में कुरुक्षेत्र, राजस्थान में पुष्कर और महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी में श्रद्धालू इस अवसर पर लाखों की संख्या में एकत्रित होते हैं.


इस त्योहार पर प्रयागराज में लगने वाला माघ मेला और कोलकाता में गंगासागर के तट पर लगने वाला मेला काफी प्रसिद्ध है. अयोध्या में भी इस त्योहार की खूब धूम रहती है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालू पवित्र सरयू में डुबकी लगाकर रामलला, हनुमानगढ़ी में हनुमानलला और  कनक भवन में मां जानकी की पूजा अर्चना करते हैं. हरिद्वार में भी इस दौरान मेला लगता है. इसमें श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है. इस त्योहार पर तीर्थराज प्रयाग औप गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है.


देश के विभिन्न भागों में इस त्योहार की दिखती है अलग ही छटा
भविष्यवक्ता और कुंडली विश्ल़ेषक डा. व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति त्योहार देश के विभिन्न भागों में अलग अलग नामों से भी मनाया जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जबकि कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल 'संक्रान्ति' कहा जाता है. मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में यह त्योहार लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है.   इस दिन सायंकाल अंधेरा होते ही होली के समान आग जलाकर तिल,  गुड़, चावल तथा भुने हुए मक्का से अग्नि पूजन करके आहुति डाली जाती है. इस सामग्री को तिलचौली कहते हैं.इस अवसर पर लोग मूंगफली, तिल की गजक, रेवडि़यां आदि बांटकर खुशियां मनाते हैं.


डा. व्यास से राशि अनुसार जानिए मकर संक्रांति पर क्या करें दान



  •  मेष राशि - संक्रांति पर लाल रंग वस्त्र पहनें. मच्छरदानी और तिल का दान करें.

  • वृषभ राशि - संक्रांति पर सफेद वस्त्रों धारण करें. साथ ही ऊनी वस्त्र और तिल का दान करें.

  • मिथुन राशि - सफेद वस्त्र धारण करें. काले तिल और मच्छरदानी का दान करें.

  • कर्क राशि - केशरिया रंग के वस्त्र धारण करें. तिल,साबूदाने और ऊन का दान करें.

  • सिंह राशि - संक्रांति पर आप पीले वस्त्रों का धारण करें. तिल, कंबल और मच्छरदानी अपनी सक्षमतानुसार दान करें.

  • कन्या राशि -  संक्रांति पर नीले वस्त्र धारण करें.  क्षमता अनुसार तिल,कंबल, तेल और उड़द की दाल का दान करें.

  • तुला राशि -  संक्रांति पर सफेद वस्त्र धारण करें. तेल,रुई, वस्त्र, राई और मच्छरदानी दान करें.

  • वृश्चिक राशि - संक्रांति पर लाल वस्त्र धारण करें. कंबल और ऊनी वस्त्र किसी जरुरतमंद को दान करें.

  • धनु राशि -  संक्रांति पर पीले या केशरी वस्त्र धारण करें. तिल और चने की दाल का दान करें.

  • मकर राशि - संक्रांति पर नीले या आसमानी कलर के वस्त्र धारण करें. तेल, तिल, कंबल और पुस्तक का दान करें.

  • कुंभ राशि -  संक्रांति पर नीले या काले वस्त्र धारण करें. तिल, साबुन, वस्त्र, कंघी और अन्न का दान करें.

  • मीन राशि - संक्रांति पर पीले या गुलाबी वस्त्र धारण करें. इस दिन तिल, चना, साबूदाना, कंबल और मच्छरदानी दान करें.


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