Section 144 in Udaipur: मकर संक्रांति पर बड़े पैमाने पर होने वाली पतंगबाजी को देखते हुए उदयपुर जिला प्रशासन ने जिले में 31 जनवरी तक धारा 144 लगा दिया है.  दरअसल, जिले में बड़े पैमाने पर होने वाली पतंगबाजी के दौरान चाइनीज मांझा इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में पक्षी उड़ते वक्त पतंग के धागों की चपेट में आकर अपनी जान तक गंवा देते हैं. वहीं, सैकड़ों पक्षी घायल हो जाते हैं. कई बार तो पतंग के धागे में बाइक सवार की गर्दन कटने तक की खबरें आती है. लिहाजा, ऐसी घटनाओं को टालने के लिए प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षात्मक उपाय के तहत पूरे जिले में धारा 144 लगा दिया है. ताकि, एक जगह जमा होकर पतंगबाजी करने वालों पर लगाम लगाई जा सके. 


बांसवाड़ा जिले में सुबह-शाम पतंगबाजी है बैन
बांसवाड़ा जिले में पहले से धारा 144 लगाने का ऐलान किया जा चुका है. इसके साथ ही प्रशासन की ओर से सुबह और शाम के वक्त पतंगबाजी पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है. प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सुबह 6-8 बजे और शाम 5-7 बजे के बीच पक्षियों की विचरण गतिविधियां ज्यादा होने से इस समय पतंग उड़ाने की इजाजत नहीं होगी. यह आदेश पहले उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा जिले में जिला कलेक्टर  प्रकाश चंद्र शर्मा की ओर से जारी किया गया था. लेकिन अब उदयपुर जिला प्रशासन की ओर से पूरे उदयपुर जिले में धारा 144 लगाने की घोषणा कर दी गई है. 


बांसवाड़ा जिला कलेक्टर ने धारा 144 के लिए दिया ये तर्क
उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा जिले में जिला कलेक्टर  प्रकाश चंद्र शर्मा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मकर संक्रांति से पहले कई कस्बों से ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती है कि पतंगबाजी की वजह से किसी पक्षी की मौत हो गई, तो कहीं इंसान भी इसकी चपेट में आ जाते हैं. उन्होंने कहा है कि बाइक चलाते वक्त अचानक धागा सामने आ जाने से कई लोगों की गर्दन तक कट जाती है. इन्हीं घटनाओं को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर प्रकाश चंद्र शर्मा ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत पतंगबाजी पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं.


मांझे वाले धागे की बिक्री भी है बैन
बांसवाड़ा जिले में जिला कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा है कि मकर संक्रांति पर धातु निर्मित मांझा और पतंग उड़ाने के लिए पक्का धागा, नायलोन, प्लास्टिक मांझा, 
चाईनीज मांझा सिंथेटिक /टोक्सीक मटेरियल तथा आयरन पाउडर, ग्लास पाउडर ने बने मांझे की थोक एवं खुदरा बिक्री और इउसके उपयोग पर रोक रहेगी. कलेक्टर ने पतंगबाजी के दौरान लोक स्वास्थ्य और विद्युत संचालन बनाए रखने एवं पक्षियों की सुरक्षा के लिए उत्पन्न होने वाले खतरे को देखते हुए इसे जरूर करार दिया है. 


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घायल पक्षियों के इलाज के लिए बनाए गए 16 पशु चिकित्सा केंद्र 
मकर संक्रांति के मौके पर बड़े पैमाने पर होने वाली पतंजबाजी की वजह से मांझा युक्त धागों की चपेट में आने से सैकड़ों बेजुबान पक्षी काल के गाल में समा जाते हैं. ऐसे में पतंगबाजी की चपेट में आकर घायल होने वाले परिंदों के इलाज के लिए पशुपालन विभाग ने 16 पशु चिकित्सा केंद्र बनाए हैं. जहां मौके पर घायल पक्षियों का इलाज करने के लिए पांच सदस्यीय मोबाइल यूनिट भी तैनात की गई है. इसके साथ ही पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक, जयपुर समेत समस्त अधीनस्थ पशु चिकित्सा संस्थाएं 14 जनवरी को सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुले रहेंगे. वहीं, चिन्हित केंद्रों पर आवश्यक दवाइयां और चिकित्सीय सामग्री उपलब्ध रहेंगी.