Makar Sankranti: मकर संक्रांति को लेकर जारी की गई गाइडलाइन की उड़ी धज्जियां, हजारों पक्षी हुए घायल
Makar Sankranti Guidelines: घायल पक्षियों के इलाज के लिए सरकार के साथ ही कई एनजीओ ने डॉक्टर्स की टीम लगा रखी थी. दिनभर घायल परिंदों का इलाज चलती रही.
Makar Sankranti 2023: राजस्थान में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई थी. गाइडलाइन न मानने पर कड़ी कार्रवाई के आदेश भी दिए गए थे. मगर शनिवार को गाइडलाइन पुरी तरह बेअसर दिखी. इसका सबसे ज्यादा नुकसान बेजुबान परिंदों को उठाना पड़ा है. चाइनीज मांझे से सुबह से लेकर शाम तक जयपुर में हजारों परिदें घायल हो गए और कई की तो मौत भी हो गई.
हालांकि, राहत भरी खबर बस यह थी कि दिन भर घायल परिंदों के लिए इलाज की बिना रुके व्यवस्था चलती रही है. जयपुर में तीन से पांच दिन तक घायल परिंदों को इलाज दिए जाने की व्यवस्था की है. घायल पक्षियों के बचाने के लिए ट्रैफिक प्रशासन को भी अलर्ट पर रखा गया.
एसएमएस में तीन दिन की व्यवस्था
जानकारी के अनुसार जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में घायल परिंदों के उपचार के लिए व्यवस्था की गई. शनिवार से तीन दिन तक एसएमएस अस्पताल के ट्रामा सेंटर में विशेष इंतजाम किया गया है. इसमें 24 घंटे तक 4 यूनिट के 8 डॉक्टर ट्रामा सेंटर में रहेंगे. आर्थोपेडिक, जनरल सर्जरी, सीटीवीएस और न्यूरो सर्जन की चार टीमें हैं. बताया गया कि सभी टीमों में दो-दो डॉक्टर्स लगाए गए हैं. यानी यहां पर मांझे से घायल हुए परिंदों को राहत देने की पूरी तैयारी की गई है.
जवाहर नगर में 85 घायल परिंदों का किया गया इलाज
एनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ केयर सोसाइटी ने जवाहर नगर में दिनभर घायल पक्षियों के इलाज के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. इस दौरान कुल 85 घायल पक्षी आए. उनमें से एक या दो घायल कबूतरों ने दम तोड़ दिया, बाकी 80 पक्षी बचाए जा चुके हैं. इनमें से 1 चील, 1 बगुला, तोता और कबूतर शामिल है. संस्था के अध्यक्ष आशीष मेहता ने बताया कि 40 सदस्यीय रेस्क्यू टीम में काम कर रहे हैं. यहां डॉ. विकास शर्मा के साथ 12 जनों की टीम घायल पक्षियों के इलाज में दिनभर लगी रही. ऐसा ही आने वाले पांच दिनों तक व्यवस्था रहेगी.
गाइडलाइन की परवाह नहीं
जयपुर में मकर संक्रांति पर सुबह 6 बजे से 8 बजे तक और शाम को 5 बजे से रात 7 बजे तक पतंग उड़ाने पर रोक लगाई गई थी, लेकिन इसकी कोई परवाह किसी को नहीं दिखी. इस दौरान प्लास्टिक व सिंथेटिक पदार्थ से बने मांझे का उपयोग व निर्माण भी प्रतिबंधित किया गया है. प्रशासन की ओर से बताया गया है कि पतंगबाजी में चाइनीज मांझे, लोहा व ग्लास का उपयोग मानव व पक्षी दोनों के लिए हानिकारक हो रहा है. ऐसी घटना न घटे, इसी के मद्देनजर प्रशासन ने सख्त गाइडलाइन जारी किया था. फिर भी शनिवार को बड़ी संख्या में पक्षी घायल हो गए.
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