Jodhpur Fake Rasid News: राजस्थान के जोधपुर में ठगी का एक अनोखा मामला सामने आया है. जहां एक शब्द में बदलाव कर देनदार खुद लेनदार बन गया. ऐसे हुआ कि लिखित रसीद के दस्तावेज में काट-काट कर षड्यंत्र के तहत 'में' शब्द को 'के' में बदल दिया गया और व्यक्ति को कर्जदार बना दिया गया. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है, ऐसा ही हुआ है और पुलिस जांच में साबित होने के बाद मोहन लाल कटारिया नाम के आरोपी को इस खेल के लिए जेल जाना पड़ा है.

 

दरअसल मोहन लाल ने ही रसीद में काट-छांट करके 'में' की जगह 'के' शब्द कर दिया था लेकिन वह पुलिस से नहीं बच सका. अचला राम सोनी और मोहन लाल कटारिया दोनों मिलकर प्रॉपर्टी का व्यवसाय करते थे. साल 2015 में दोनों में हिसाब तोड़ा गया और उस दौरान अचला राम सोनी ने मोहन लाल कटारिया से 22 लाख 30 हजार रुपये मांगे थे. उसको लेकर एक रसीद बनाई गई. लंबे समये से वह रसीद मोहन लाल कटारिया के पास ही थी.

 

अचला सोनी से पैसे मांगने लगे मोहन लाल 

 

इस बीच लेनदेन को लेकर बहस चलती रही और मोहन लाल कटारिया टरकाता रहा. लेकिन बाद में मोहन लाल कटारिया ने कहा 'यह रुपये तो मैं मांगता हूं आपसे.' ऐसा सुनकर अचला सोनी हैरान हो गए और उनके सामने जो रसीद दिखाई, उस रसीद में मोहन लाल के द्वारा रुपए हड़पने के लिए एक जगह लिखे हुए 'में' शब्द को काटकर 'के' शब्द में तब्दील किया हुआ था. इसको लेकर अचला सोनी ने कोर्ट में परिवाद पेश कर न्याय मांगा तो कोर्ट ने सीआरपीसी 202 में पुलिस को मामला दर्ज कर जांच के लिए आदेश दिया.

 



 

पुलिस जांच में हुई रसीद से छेड़छाड़ की पुष्टि

 

पुलिस जांच में यह साबित हुआ कि मोहन लाल के द्वारा रसीद में छेड़छाड़ की गई है. इसको लेकर पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. मोहन लाल कटारिया के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 406, 467, 468, 471 का दण्डनीय अपराध माना और कोर्ट ने पुलिस को गिरफ्तारी वारंट से तलब करने के लिए आदेश दिया. माता का थान पुलिस थाना अधिकारी निशा भटनागर और भगु राम चौधरी की टीम ने मोहन लाल कटारिया को वारंट के तहत गिरफ्तार किया और कोरोना टेस्ट करवाने के बाद कोर्ट में पेश किया.

 

मोहन लाल को नहीं मिली जमानत

 

कोर्ट ने इस अपराध को गंभीर मानते हुए अपराधी मोहन लाल कटारिया को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश जारी किया. साथ ही कोर्ट ने मोहन लाल कटारिया के अधिवक्ता ने जमानत के लिए जो याचिका डाली थी, उसे खारिज कर दिया गया. अचला राम सोनी के अधिवक्ता रमेश कुमार शर्मा ने पैरवी करते हुए न्यायालय में पक्ष रखा और जमानत प्रार्थना पत्र का घोर विरोध किया. उन्होंने बताया कि यह गंभीर अपराध है, इसमें इस तरह के अपराधी को जमानत नहीं मिलनी चाहिए.

 

अचला राम सोनी ने बताया कि मोहन लाल कटारिया के द्वारा मेरे साथ किस तरह से ठगी की गई. ठगी और षड्यंत्र के चलते कूट रचित दस्तावेज बनाए, जिसमें मेरे हाथों के द्वारा लिखी गई रसीद, जिसमें मैंने लिखा था कि मोहन लाल में 22, 30, 000 रुपये बकाया है, उस रसीद में 'में' शब्द को काटकर 'के' कर दिया गया. हालांकि जांच में गलत पाया गया है. अब मोहन लाल कटारिया  जेल में है और मामले की सुनवाई अभी चल रही है.

 

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