Rajasthan: न मंच, न वक्ता, ना प्रचार-प्रसार फिर भी 4 राज्यों के आदिवासी एक जगह जमा, भीड़ देखकर BJP-कांग्रेस शॉक्ड
Rajasthan News: बांसवाड़ा में स्थित मानगढ़ धाम में 4 राज्यों के 3 लाख से ज्यादा आदिवासी जमा हुए. मांग थी चार राज्यों के कुछ जिलों को मिलाकर एक प्रदेश बनाया जाए. इसे देख राजनीतिक पार्टियां हैरान हैं.
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Udaipur News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. बीजेपी हो या कांग्रेस, बड़े नेताओं के दौरे हो रहे हैं. दौरे में भीड़ जुटाने के लिए 15 दिन पहले ही पार्टी एक्टिव हो जाती है. फिर भी जितनी संख्या बताते हैं, वहां तक नहीं पहुंच पाते. हालांकि उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा स्थित आदिवासियों के सबसे बड़े आस्था के धाम मानगढ़ में जो हुआ उसे देख कांग्रेस और बीजेपी दोनों को शॉक्ड तो किया ही है, साथ में सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या रणनीति अपनाई जाए?
ना बड़े होर्डिंग वाले प्रचार, ना कोई मंच और ना कोई नेता, फिर भी चार राज्यों के आदिवासी एक जगह एकत्र हुए हैं. यहां सभा में न मंच और ना कोई मुख्य वक्ता. फिर भी लाखों में आदिवासी आए.
था है मांग और यहां से आए आदिवासी
मानगढ़ धाम में आदिवासियों का सम्मेलन हुआ. जिस प्रकार से अन्य पार्टियों या समाज, संगठन की संभाओं में मंच होता है और अतिथि और संचालक होते है, ऐसा यहां नहीं था. सभी एक ही जाजम पर एक समान बैठे. यहां राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी पहुंचे थे. उनकी एक ही मांग थी कि भील प्रदेश की मांग पूरी की जाए. इन्हीं चार राज्यों के कुछ जिलों को मिलाकर आदिवासी अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग के रहे हैं और इनकी मुहिम धीरे धीरे परवान चढ़ रही है. इसमें संख्या गिनी तो नहीं लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि 3-4 लाख के आसपास लोग पहुंचे होंगे. मानगढ़ धाम पर आयोजित इस महा सम्मेलन में इन चार राज्यों के अलावा हरियाणा और पंजाब से किसान नेता भी शामिल हुए.
इन मुद्दों पर भी हुई बात
मानगढ़ धाम पर आदिवासी परिवार विचार एवं भील प्रदेश जोड़ो आंदोलन को लेकर सभा का आयोजन किया गया, जिसे भील संस्कृति संरक्षण का नाम दिया गया है. जनसभा में मुख्य मुद्दा भील प्रदेश का था लेकिन इसके अलावा यूसीसी, धर्मांतरण, डिलिस्टिंग के मुद्दों के विरोध में लोगों ने अपनी बात रखी. बैठक सागवाड़ा विधायक रामलाल डिंडोर, चौरासी विधायक राजकुमार रोत, संयुक्त किसान मोर्चा के सुरेश कोथ खाप प्रधान हिसार और समाज के लोगों ने बात की और निर्णय लिया कि मांगें नहीं मानने पर चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा.
सभा में हरियाणा ने कहा कि भील प्रदेश की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे. इस सभा के बाद चर्चाएं हैं कि आदिवासी परिवार और भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा की ओर से आयोजित इस महा सभा में लोगों की उपस्थिति से न केवल बीजेपी और कांग्रेस को सकते में डाल दिया है. वरन भविष्य में यह एक बड़ा आंदोलन का रूप भी ले सकता है. आदिवासी परिवार ने पहले ही चुनाव में सागवाड़ा और चौरासी विधान सभा और अरथूना में प्रधान बना कर अपनी ताकत का एहसास करा दिया है, जिसके बाद से यह दोनों प्रमुख दलों के लिए खतरे की घंटी बन गई.
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