Manipur Violence: गहलोत के मंत्री ने मणिपुर वाले बयान पर PM मोदी को घेरा, बोले- 'सभी राज्यों में अपराध हो रहे हैं लेकिन आपने...'
मणिपुर हिंसा पर 36 सेकेंड का बयान दिए जाने के बाद से ही विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर हमलावर है. इसी क्रम में अब राजस्थान के मंत्री शांति धारीवाल ने निशाना साधा है.
Rajasthan News: मणिपुर हिंसा पर बयान देते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ के क्राइम रेट का जिक्र किया, जिसके बाद से सियासत का रुख ही बदल गया. सबसे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और उनके ओएसडी लोकेश शर्मा (Lokesh Sharma) ने ट्वीट कर पीएम मोदी के बयान पर नाराजगी जताई. जिसके बाद विपक्ष बीजेपी पर हमलावर हो गया. इसी क्रम में अब राजस्थान के मंत्री और कांग्रेस नेता शांति कुमार धारीवाल (Shanti Kumar Dhariwal) का भी बयान सामने आया है.
'सभी राज्यों में अपराध हो रहे हैं'
धारीवाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, 'सभी राज्यों में अपराध हो रहे हैं. राजस्थान में यह बहुत नियंत्रण में है और यहां कानून व्यवस्था मजबूत है. बीजेपी के लोगों के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए उन्होंने राजस्थान की कानून व्यवस्था को मुद्दा बना लिया है.' इससे पहले सीएम गहलोत ने ट्वीट कर कहा था कि, 'हमारे लिए महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से बढ़कर कुछ भी नहीं है. जोधपुर में भयानक गैंग रेप के बाद तीन आरोपियों को महज दो घण्टे में गिरफ्तार कर लिया गया था. वहीं भाजपा को मणिपुर की शर्मनाक घटना में सिर्फ एक आरोपी को पकड़ने में 77 दिन लग गए. अपराध पर जवाब देने का समय: कांग्रेस का- 2 घण्टा जबकि भाजपा का- 77 दिन. जवाब साफ है.'
'भाषण से क्या स्थिति सुधर जाएगी'
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने पीएम मोदी को जवाब देते हुए कहा था कि, 'आप शायद भूल रहे हैं कि आप देश के प्रधानमंत्री हैं, मणिपुर में जो हो रहा है उसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है..? इस लच्छेदार भाषण से क्या ये स्थिति सुधर जाएगी..?? बेहद शर्मनाक है, निंदनीय है कि मणिपुर में जो घट रहा है उसको राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से जोड़कर वहां की इक्का-दुक्का घटना से तुलना की जा रही है जिन पर कि वहां की सरकारें त्वरित कार्रवाई भी कर रही हैं. मणिपुर के भयावह हालात से पूरा देश चिंतित है अपना राजधर्म निभाओ और मणिपुर को बचाओ.'
ये भी पढ़ें:- राजस्थान में राजनीतिक पार्टियों के लिए क्यों जरूरी हैं आदिवासी? आंकड़ों से समझिए पूरा सियासी गेम