Jodhpur: पुलवामा के शहीदों की शहादत देश अभी भूल ही नहीं पाया है. पुलवामा शहीदों की शहादत के नाम पर राजनीति एक बार फिर तेज हो गई है, क्योंकि राजस्थान के जयपुर में पुलवामा शहीद की वीरांगनाओं ने अपनी मांगे मनवाने के लिए धरना प्रदर्शन कर रही है. राजस्थान सरकार नियमों का हवाला देकर पहले ही साफ कर चुकी है. वीरांगनाओं व उनके बच्चों को नौकरी दे सकते हैं, उनके देवर को नौकरी नहीं दे सकते हैं. ऐसा कहीं नियम नहीं है, लेकिन इस मामले पर राजस्थान में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है.


राज्य सैनिक कल्याण सहायता समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल आज एक दिन के दौरे पर जोधपुर में रहे. इस दौरान एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि वीरांगना की मांग क्यों नहीं मानी जा सकती हैं?


हम देवर को नौकरी नहीं दे सकते


राज्य सैनिक कल्याण सहायता समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल ने बताया कि पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं की सभी मांगे पूरी हो गई हैं. एक मांग है. दो वीरांगनाएं अपने देवर के लिए नौकरी मांग रही हैं हम देवर को नौकरी नहीं दे सकते हैं. नौकरी देने का जो नियम है,उसमें वीरांगना व उनके पुत्र- पुत्री के लिए नौकरी देने का है. हम चाहते हैं कि यह नियम बना रहे. शहीद परिवारों के लिए यही नियम लागू रहे. हम किसी एक परिवार या दो परिवार की परिस्थिति को देखकर नियम नहीं बदलेंगे. यहां कुछ अन्य दबाव के कारण अन्य सामाजिक कारण के चलते अपने देवर के लिए नौकरी मांग रही है. ऐसे हम उसके पक्ष में नहीं हैं.


किरोड़ी लाल मीणा राजनीति के बड़े खिलाड़ी


देवर को नौकरी केंद्र सरकार दे सकती है,जरूर दे सकती है क्योंकि पुलवामा में जो शहीद हुए थे वे सभी जवान सीआरपीएफ के थे. सीआरपीएफ गृह मंत्रालय के अधीन आता है. गृह मंत्रालय केंद्र सरकार का है. मामला आर्मी से जुड़ा होता तो मैं पहले ही मना कर देता कि ऐसा नियम में बदलाव नहीं हो सकता है. केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय चाहे तो उनको नौकरी दे सकता है. पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं का नेतृत्व कर रहे. किरोड़ी लाल मीणा बहुत ही वरिष्ठ राजनेता हैं. राजनीति के बड़े खिलाड़ी भी हैं. उनको यह मामला केंद्र सरकार के सामने रखना चाहिए. उनको पता है कि कौन सी जगह घंटी बजानी है किरोड़ी जी चाहें तो वीरांगनाओं के किसी भी रिश्तेदार को नौकरी दिलानी है तो वो दिला सकते हैं.


असदुद्दीन ओवैसी के बाड़मेर दौरे पर बोले


मैं असदुद्दीन ओवैसी को कई वर्षों से जानता हूं. हम साथ में सांसद रहे हैं.ओवैसी एक बहुत पढ़े-लिखे वकील हैं. असदुद्दीन ओवैसी की योजना है. चाहे राजस्थान में हो या देश के किसी अन्य राज्य में है, मैं उनके पक्ष में नहीं हूं. विशेषकर बाड़मेर में जो परिस्थितियां है, उनसे असदुद्दीन ओवैसी भी परिचित हैं. मैं भी परिचित हूं. यदि मुझे असदुद्दीन ओवैसी को कुछ कहना होगा तो मैं उन्हें डायरेक्ट मिलकर कहूंगा.


बाड़मेर में असदुद्दीन ओवैसी की सभा में भारी भीड़ का दावा


कोई भी राजनीतिक दल दावा कर सकता है कि हमारी सभा में कितने लोग आएंगे. जैसे किरोड़ी लाल मीणा ने भी इन वीरांगनाओं को  धरने पर बैठने के लिए दावा किया होगा . यह राजनीतिक विषय है. यह चुनावी वर्ष है. जहां राजस्थान में पुलवामा में 3 शहीदों की वीरांगना का यहां धरना प्रदर्शन हो रहा है. अन्य जो 37 शहीद हुए उन अन्य राज्यों में धरना प्रदर्शन नहीं हो रहा है. वहां पर भी नियम एक ही है. वहां चुनाव नहीं है. इसलिए वहां धरना प्रदर्शन नहीं हो रहा है. यहां राजनीतिक माहौल इसलिए गरमाया हुआ है क्योंकि यह चुनावी वर्ष है. राजनीतिक विषय गरमाया हुआ है.


राजस्थान की संस्कृति के विपरीत मांग कर रहे हैं, राजनीतिक रोटियां सेक रहे


पुलवामा शहीद की वीरांगनाओं को लेकर चल रहे राजनीतिक गरमा गरमी के माहौल को हम ठंडा नहीं कर सकते हैं. यह हमने पहले भी साफ कर दिया था कि हम नियम तो नहीं बदलेंगे. इस माहौल में वीरांगनाओं के नाम पर जो अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं. अपने फायदे के लिए नए विषय को उठाकर राजस्थान की संस्कृति के विपरीत मांग कर रहे हैं. मैं तो यही कहूंगा कि यहां तो उनकी आत्मा जाने ऐसे विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. टिप्पणी नहीं करूंगा, अन्य विषय पर हम समाधान के लिए तैयार हैं.


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