Rajasthan Politics: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के सामने एक और बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और बायतु विधायक हरीश चौधरी (Harish Chaudhary) ने ओबीसी आयोग अध्यक्ष भंवरू खान से मुलाकात कर ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि जातिगत आधार पर राजस्थान में जनगणना हो और उन्होंने कहा कि दो साल पहले से ये मुद्दा उठाया हुआ है, हम केवल ओबीसी की बात नहीं करते, बल्कि SC-ST समेत सभी जातियों को की  मांग कर रहे है सभी को अपना - अपना हक मिलना चाहिए. पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने ओबीसी आरक्षण की सीमा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग रखी. इसके साथ ही चौधरी ने केंद्र सरकार से जातिगत आधार पर कराई गई जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की भी मांग रखी। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना नहीं होने से कई वर्गों के हितों के साथ कुठाराघात हो रहा है.


OBC आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत हो


विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि हम तो दो साल से ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. राजस्थान में जनसंख्या की दृष्टि से सर्वाधिक प्रतिशत ओबीसी वर्ग का है, जो कि राज्य की कुल जनसंख्या की आधी से ज्यादा हिस्सेदारी है, लेकिन राज्य के वर्ग वार आरक्षण में ओबीसी वर्ग को मात्र 21 प्रतिशत आरक्षण दिया हुआ है, जो कि जनसंख्या के अनुपात में ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधि में सबसे बड़ी बाधा है. उन्होंने कहा कि राज्य में जातिगत जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जनसंख्या में हिस्सेदारी के अनुपात में आरक्षण देकर ओबीसी वर्ग को राहत दी जाए. इसको लेकर ओबीसी आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में मांग की गई है कि संख्या के अनुसार तत्काल प्रभाव से ओबीसी वर्ग को आरक्षण केंद्र सरकार की तर्ज पर बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाए, ताकि जातिगत जनगणना के पश्चात जनसंख्या अनुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके.


आखिर केंद्र सरकार क्यों छिपा रही है आंकड़े


हरीश चौधरी ने कहा कि कोई भी इस भ्रम में नहीं रहे कि देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है. देश में जाति की जनगणना हो चुकी है. पूर्व में अरुण जेटली के समय जातिगत जनगणना हुई थी, लेकिन उस रिपोर्ट को जारी नहीं की गई. जिस कारण राजस्थान और देशभर की पिछड़ी जातियों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि जो जातिगत जनगणना हो चुकी है, उसको सार्वजनिक किया जाए, ताकि देश में और खासतौर से राजस्थान में जातिगत जनसंख्या के आधार पर आरक्षण में बदलाव हो सके. ओबीसी वर्ग का आरक्षण का दायरा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत तब ही किया जा सकता है, जब जातिगत जनगणना सार्वजनिक होगा.


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