Rajasthan: असाक्षरता का हटेगा अंधेरा, राजस्थान सरकार के इस कार्यक्रम से 5 लाख से अधिक युवा होंगे साक्षर, पढ़ें पूरी खबर
राजस्थान सरकार 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के युवाओं को असाक्षरों से साक्षर बनाएगी. भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के माध्यम से अब साक्षर बनाया जाएगा.
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Bundi News: राजस्थान में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के युवाओं को असाक्षरों से साक्षर बनाया जाएगा. भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के माध्यम से अब साक्षर बनाया जाएगा. इस अभियान के तहत पढ़ना, लिखना, संख्या ज्ञान, बुनियादी साक्षरता का ज्ञान, बुनियादी शिक्षा, व्यवसाय, कौशल विकास एवं सतत शिक्षा का ज्ञान दिया जाएगा. वर्ष 2027 तक यह काम पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए निदेशालय साक्षरता एवं सतत शिक्षा द्वारा जिलेवार लक्ष्य आवंटित कर दिए गए हैं. इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के प्रोढ़ शिक्षा के सभी पहलुओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं 2021 -22 की बजट घोषणाओं को जोड़ते हुए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम शुरू किया गया है.
सरकार की सोच है कि भारत में कोई भी असाक्षर नहीं रहे. सभी को पढ़ना लिखना है वह बुनियादी ज्ञान हो. उसी को लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पूर्वर्ती साक्षर भारत कार्यक्रम को फिर से शुरू कर दिया है. राजस्थान के सभी जिलों को मिलाकर 550000 महिला - पुरुषों को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत कुल 1037.90 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.
सरकार की सोच हर युवा हो शिक्षित
यह योजना चलाने के पीछे सरकार का मकसद है कि न केवल आधारभूत साक्षरता व संख्यात्मक प्रदान करना है बल्कि 21वीं सदी के व्यक्तियों को आवश्यक अन्य घटकों को भी शामिल करना है. जिसमें वित्तीय साक्षरता, डिजिटल, वाणिज्य कौशल, स्वास्थ्य देखभाल, जागरूकता सहित शिशु देखभाल एवं शिशु एवं परिवार कल्याण सहित क्रिटिकल जीवन कौशल को शामिल किया गया है. सरकार की सोच है कि भारत के युवाओं को स्थानीय रोजगार प्राप्त करने के लिए व्यवसाय कौशल व विकास एवं प्रारंभिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा उपलब्ध हो .. कला उपलब्ध हो, विज्ञान प्रौद्योगिकी की संस्कृति खेल व मनोरंजन सहित सतत शिक्षा का ज्ञान हो ताकि वह भी किसी योजना सहित रोजगार से वंचित ना हो. सरकार ने पूरे देश भर में शिक्षा विभाग के माध्यम से असाक्षर लोगों की सूची मंगवा कर उन्हें इस योजना के तहत जोड़ा है ताकि वह साक्षर होकर देश के विकास में योगदान दे सके.
ऑनलाइन होंगे सभी कार्य
इस योजना को ऑनलाइन प्रारूप के जरिए किया जाएगा. विभाग ने इसके लिए विद्यालय में स्थित आईसीटी लैब का उपयोग किया जाएगा. जिसके माध्यम से स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण, कार्यशाला का आयोजन, ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि घर बैठे साक्षरता कार्यक्रम का लाभ व्यक्ति उठा सके.
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार स्कूल इस योजना के क्रियान्वयन की पहली इकाई होगी. इसमें लाभार्थी और स्वैच्छिक शिक्षकों का संरक्षण करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्कूल भी होंगे. इसमें स्वयं सेवकों द्वारा 200 घंटे या 6 माह में पाठ्यक्रम पूरा करवाने का लक्ष्य रखा गया है.
पहले चरण में 15 से 35 आयु वर्ग को किया जाएगा साक्षर
जिला शिक्षा अधिकारी तेज कवर ने बताया कि साक्षरता में प्राथमिक, पूर्ण साक्षरता पहल में 15 से 35 आयु वर्ग को पहले चरण में साक्षर किया जाएगा. इसके बाद 35 और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों को साक्षर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. विभाग के अनुसार इस कार्यक्रम में युवक-युवतियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी अल्पसंख्यक, विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों, दिव्यांगजन, घुमंतू, मजदूर व अन्य श्रेणियों को प्राथमिकता दी जाएगी. इस योजना के तहत गाड़िया लोहार, नरेगा मजदूर, जेल में बंद सजायाफ्ता बंधुओं को भी शामिल किए जाने का लक्ष्य रखा गया है.
इस कार्यक्रम को सभी सरकारी व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. महाविद्यालय में उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों द्वारा इस योजना शामिल किया जाए गया है ताकि वह साक्षर बनाने में प्रेरित कर सकें. पूरे राजस्थान में 137500 मेल तथा 412500 फीमेल को मिलाकर 550000 लोग को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक देश में 5 करोड़ असाक्षरों को बुनियादी शिक्षा और अंक का ज्ञान देना का लक्ष्य रखा गया है. केंन्द्र सरकार ने हर साल एक करोड़ लोगों को इस कार्यक्रम के जरिए साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है.
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