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Rajasthan Tourism Places: गर्मी से बचने के लिए माउंट आबू हिल स्टेशन नहीं है शिमला से कम, समुद्र तल से 1722 मीटर है ऊंचाई

Rajasthan: माउंट आबू के मध्य में स्थित 'नक्की लेक' भारत की पहली मानव निर्मित झील है. लगभग 80 फुट गहरी और 1/4 मील चौड़ी इस झील को देखे बिना, यहां की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है.

Rajasthan Tourism News: बच्चों के स्कूलों की परीक्षा लगभग सभी जगह खत्म होने जा रही है. इसलिए अगर आप गर्मियों की छुट्टियों में परिवार या दोस्तों के साथ घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो राजस्थान (Rajasthan) के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू (Mount Abu) जरूर घूमने जाएं यहां पहुंचकर आपको गर्मी में ठंडक का एहसास होगा. साथ इसकी खूबसूरती को देखकर आपको सुकून भी मिलेगा.

सिरोही जिले में पड़ने वाले माउंट आबू समुद्र तल से 1722 मीटर की ऊंचाई पर है. जहां राजस्थान में कई जगह तापमान 45 से भी ज्यादा पहुंच जाता है. वहीं माउंट आबू का 32-36 डिग्री तक ही रहता हैं. यहीं नहीं यहां का न्यूनतम तापमान 10-15 डिग्री रहता है. जो गर्मी में भी सर्दी का अहसास कराता है. 

 मानव निर्मित नक्की लेक
माउंट आबू के मध्य में स्थित 'नक्की लेक' भारत की पहली मानव निर्मित झील है. लगभग 80 फुट गहरी और 1/4 मील चौड़ी इस झील को देखे बिना, यहां की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है. कई किंवदंतियों में से एक किंवदंती यह है कि इस झील को देवताओं ने अपने नाखूनों से खोद कर बनाया था इसी लिए इसका नाम नक्की ( नख यानी नाखून) झील पड़ा. एक किंवदंती यह है कि नक्की झील गरासिया जनजाति के लिए बहुत पवित्र झील मानी जाती है. परन्तु इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस स्थान का दर्शन लाभ आपको प्रकृति और प्राकृतिक दृश्यों के नजदीक लाता है. 

जब आप नक्की झील में नाव की सैर करते हैं तो मंत्रमुग्ध करने वाली पहाड़ियां, अद्भुत आकार की शिलाएं और हरी भरी वादियों से भरपूर नजारे आपको अभिभूत कर देते हैं. इसी नक्की झील के पास सन 1984 में महात्मा गांधी की अस्थियों का कुछ अंश भी प्रवाहित किया गया था. जिसके बाद गांधी घाट का निर्माण किया गया.

 गुरु शिखर
अरावली की पहाड़ियों का सबसे ऊंची गुरू-शिखर की चोटी है. समुन्द्र तल से 1772 मीटर ऊपर गुरू शिखर से माउंट आबू का विहंगम दृश्य देखने और प्रकृति की छठा को निहारने के लिए गुरू शिखर की यात्रा सबसे बढ़िया है. गुरू शिखर पर चढ़ने से पहले, भगवान दत्तात्रेय का मंदिर दिखाई देता है. माना जाता है कि भगवान, ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने ऋषि आत्रे और उनकी पत्नी अनूसुइया को दत्तात्रेय के रूप में एक पुत्र प्रदान किया था. वैष्णव समुदाय के लिए यह एक तीर्थ स्थल है. यह दत्तात्रेय का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. 


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पास में ही एक अन्य मंदिर है जो कि महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या को समर्पित है. मंदिर से कुछ ही दूरी पर एक बड़ा पीतल का घंटा लटका हुआ है, जिस पर 1141 ई. उत्कीर्ण है. पुराने असली घंटे के खराब हो जाने के कारण, यह नया घंटा लगाया गया है. इसकी झन्कार दूर-दूर तक सुनाई देती है. 

टोड रॉक व्यू प्वाइंट
अजीबो-गरीब चट्टानों से घिरी नक्की लेक दर्शकों के लिए बहुत से आयाम प्रस्तुत करती है. नक्की लेक का सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थल टोड रॉक व्यू प्वाइंट को माना जाता है. माउंट आबू के 'शुभंकर' के रूप में पहचान बनाने वाला टोड रॉक व्यू प्वाइंट झील के पास की पगडंडी पर स्थित है. टोड यानी मेंढक के आकार में प्राकृतिक रूप से बनी यह विशालकाय चट्टान अग्निमय चट्टानों में से एक है.


Rajasthan Tourism Places: गर्मी से बचने के लिए  माउंट आबू हिल स्टेशन नहीं है शिमला से कम, समुद्र तल से 1722 मीटर है ऊंचाई

पूरे हिल स्टेशन में यह स्थान, दर्शकों के लिए सर्वप्रिय है. बड़ी उत्सुकता से लोग इसे देखने आते हैं. इस पर चढ़ना आसान है तथा अधिकतर नवविवाहित व बच्चे इसके पास खड़े होकर फोटो ज़रूर खिंचवाते हैं. यहाँ से नक्की लेक तथा आसपास के सुरम्य वातावरण और हरियाली को निहारना अद्भुत लगता है. 

दिलवाड़ा जैन मन्दिर
पूरे विश्व में माउंट आबू के जैन मंदिरों की तीर्थ यात्रा महत्वपूर्ण मान जाती है. बाहर से साधारण सा दिखने वाला यह मंदिर, भीतर पहुंचने पर आपको अद्वितीय वास्तुशिल्प और इसमें की गई पत्थरों पर शानदार नक्काशी से अचम्भित कर देगा. इसकी आंतरिक सज्जा में कलाकारों की बेहतरीन कारीगरी दिखाई पड़ती है. इस मंदिर को 12वीं - 13वीं शताब्दी में बनाया गया था. इसकी छतों, मेहराबों और खम्भों पर की गई कारीगरी को देखकर आप ठगे से रह जाएंगे. दिलवाड़ा के मंदिरों की अपरिभाषित सुन्दरता और मंदिर के आस पास का हरियाली से भरपूर शांत वातावरण लाजवाब है. इस मंदिर को 5 भागों में बांटा गया है.

यहां का जंगल
राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्यों की कमी नहीं है. इनमें से यह एक महत्वपूर्ण अभ्यारण्य है 'माउण्ट आबू अभ्यारण्य'. अरावली की सबसे प्राचीन पर्वतमाला के पार यह अभ्यारण्य काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. बड़ी संख्या में वन्यजीव यहां है. माउंट आबू में आने वाले दर्शकों के लिए इस अभ्यारण्य में विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे, फूलों के वृक्ष तथा विविध पक्षियों की प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं. यह लुप्तप्राय पशुओं का घर है. इसमें गीदड़, भालू, जंगली सुअर, लंगूर, साल (बड़ी छिपकली), खरगोश, नेवला, कांटेदार जंगली चूहा आदि भी पाए जाते हैं. लगभग 250 प्रकार के पक्षी भी इस अभ्यारण्य को पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाते हैं.

पीस पार्क
अरावली पवर्तमाता की दो प्रसिद्ध चोटियों गुरू शिखर और अचलगढ़ के बीच में बसा है पीस पार्क, जो कि ब्रह्म कुमारियों के प्रतिष्ठानका एक भाग है. यह पार्क शांतिपूर्ण परिवेश और प्रशांत और निस्तब्ध वातावरण के साथ ही सुन्दर पृष्ठभूमि में सुकून भरा जीवन प्रदान करता है. इस पार्क का एक निर्देशित ट्यूर ब्रह्म कुमारियों द्वारा भी कराया जाता है और आप एक छोटी विडियों फिल्म भी देख सकते हैं, जिसमें योगा और ध्यान लगाने के मनोरंजक तरीके बताए गए हैं. 


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लाल मंदिर
देलवाड़ा जैन मंदिर के समीप ही यह छोटा मंदिर है जो कि भगवान शिव का है. यह मंदिर बहुत ही शांतिपूर्ण परिवेश प्रदान करता है और माउंट आबू में स्थित सभी पवित्र स्थलों में से सबसे ज्यादा पुराना माना जाता है. इस छोटे और संदर मंदिर 'लाल मंदिर' के नाम के पीछे यह तथ्य है कि इसकी सभी दीवारं लाल रंग में पेन्ट की हुई हैं. भक्तों तथा धार्मिक आस्था रखने वाले पर्यटकों के लिए माउण्ट आबू में यह स्थल अवश्य देखने लायक है. यह मंदिर ‘स्वयंम्भू शिव मंदिर' होने के कारण काफी अधिक प्रचलित है. इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर में प्रतिष्ठित शिव भगवान की मूर्ति को जनेऊ धारण किए हुए देखा जा सकता हैं.


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यहां कैसे पहुंचे
माउंट आबू से नज़दीकी उदयपुर एयरपोर्ट है जो कि 175 किलोमीटर दूर है. साथ ही 221 किलोमीटर दूर अहमदाबाद एयरपोर्ट है जहां से देश के सभी बड़े शहरों के लिए नियमित उड़ानें आसानी से मिलती हैं. वहीं माउंट आबू से नीचे उतरने पर 28 किलोमीटर दूर आबूरोड रेलवे स्टेशन है. यहां से बस तथा टैक्सी सेवा भी उपलब्ध हो जाती है.

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