पश्चिमी राजस्थान के थार में इस साल बिपरजॉय चक्रवात और मानसून के दौरान मूसलाधार बारिश हुई. इसके बाद रेतीले क्षेत्र में टिड्डियों की हलचल बढ़ गई है. जैसलमेर के मोहनगढ़ में टिड्डियों के बच्चे हॉपर भारी तादाद में देखने को मिल रहे हैं. वहीं बीकानेर व रामदेवरा क्षेत्र में एक एक गांव के खेतों में ग्रासहॉपर (मेलेनोप्लस बिवीटेटस) मिले हैं. इसको किसान टिड्डी समझ कर परेशान हो रहे हैं. सूचना मिलने पर जोधपुर टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडब्ल्यूओ) की एक टीम मौके पर पहुंची.टीम ने सर्वे में इसे ग्रासहॉपर बताया है. एलडब्ल्यूओ ने इस संबंध में शुक्रवार को राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी. ग्रॉसहॉपर नियंत्रण का कार्य एलडब्ल्यूओ का नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार को ग्रासहॉफर नियंत्रण के लिए लिखा गया है. 


टिड्डियों से अभी कितना है खतरा


बीकानेर के  गांव में सर्वे के दौरान 25 हेक्टेयर में एकल टिड्डी (सिस्टोसिरा ग्रीगेरिया अथवा रेगिस्तानी टिड्डी) की रिपोर्ट की गई है. लेकिन इसकी प्रवृत्ति झुंड की नहीं है.ऐसे में गिद्ध पक्षी और छिपकली जैसे जीव इनको खाकर नष्ट कर देंगे. विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में मानसून की बारिश कम होने से टिड्डियों के हमले का खतरा नहीं है.इसलिए किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.


वीरेंद्र कुमार सहायक निदेशक टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर ने बताया कि अभी किसी तरह का खतरा नहीं है. अभी टिड्डी के बच्चे हैं जिन्हें फांका भी कहते हैं. यह जमीन पर रेंगकर चलते हैं. अभी किसी तरह के खतरे की स्थिति नहीं है. विभाग की ओर से चार टीमें फील्ड में तैनात की गई हैं, जो लगातार सूचना पर कार्रवाई करते हुए टिड्डी दल को नष्ट करने का काम कर रही हैं. अभी टिड्डी के युवा होने में करीब 30 दिन का समय है. वयस्क होने पर टिड्डी के पंख आएंगे. उसके बाद खतरे की आशंका होगी. लेकिन विभाग केमिकल का छिड़काव करा रहा है. ताकि टिड्डी दल को खत्म किया जा सके. 


कितने अंडे देती है एक टिड्डी


वीरेंद्र कुमार सहायक निदेशक टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर ने बताया कि एक टिडडी एक समय में 200 से 250 अंडे देती है. इस बार भारत में जो टिड्डी देखी जा रही है, यह पाकिस्तान या अन्य किसी देश से नहीं आई हैं. भारत में ही टिड्डी का प्रजनन हुआ है.बता दें कि 2019-20 के दौरान टिड्डी दल ने किसानों को भारी नुकसान किया था. उसी दौरान टिड्डी दल ने कई सुनसान जगह पर अपने अंडे दिए थे. बारिश अच्छी होने के कारण अब जैसे ही वातावरण अनुकूल हुआ जमीन में नमी के कारण टिड्डियो के अंडों से बच्चे निकलना शुरू हो गए हैं. 


ग्रासहॉपर व टिडडी को ऐसे पहचाने


ग्रासहॉपर (मेलेनोप्लस बिवीटेटस) इसके पैर और पंख छोटे होते हैं. ग्रासहॉपर के पंख छोटे होते हैं. इसके शरीर पर सिर से लेकर पैर तक 2 लंबी धारी होती हैं. टिडडी ग्रासहॉपर से बड़ी होती है. इसके पंख का फैलाव पैरों से भी बड़ा होता है. इसकी बॉडी पर धारिया नहीं होती हैं. रामदेवरा क्षेत्र में टिडडी नहीं ग्रासहॉपर मिले हैं. रामदेवरा में टिड्डी नहीं हैं. इससे फसलों को कोई खास नुकसान नहीं है. बीकानेर में कुछ जगह मामूली टिड्डी रिपोर्ट हुई हैं. लेकिन वह एकल श्रेणी की टिड्डी हैं. उससे खतरा नहीं है. ग्रॉसहॉपर का नियंत्रण राज्य सरकार के द्वारा किया जाता है. राज्य सरकार को ग्रॉसहॉफर मिलने की रिपोर्ट भेज दी गई है. सरकार ही इनको नियंत्रित करने का काम करेगी. 


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