MSBU News: महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के नए आदेश से स्टूडेंट्स और निजी कॉलेजों में मचा हड़कंप, क्या है मामला?
Rajasthan News: महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के कुलपति ने परीक्षा से महज एक दिन पहले ऐसा आदेश जारी किया है, जिससे यूनिवर्सिटी से संबंधित कॉलेज और स्टूडेंट्स हैरान हैं.
Maharaja Surajmal Brij University News: राजस्थान के डीग जिले में स्थित महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के कुलपति के एक आदेश से छात्रों में हड़कंप मच गया है. कुलपति द्वारा भरतपुर ,धौलपुर और डीग जिले के लगभग 24 कॉलेज के 3 हजार परीक्षार्थियों को सम्बद्धता नहीं होने के कारण भविष्य खतरे में पड़ गया है.
कुलपति ने आदेश दिया है कि जो कॉलेज बुधवार तक सम्बद्धता नहीं लेते हैं, उन कॉलेजों के परीक्षार्थियों को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा. कुलपति ने यह आदेश परीक्षा शुरू होने से एक दिन पहले जारी किया गया है.
महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में गुरुवार (14 मार्च) से पेपर शुरू हो रहे हैं. विश्विद्याल के कुलपति के इस आदेश के खिलाफ आज सुबह निजी कॉलेज के संचालकों ने जिला कलेक्टर के आवास पर पहुंचकर प्रदर्शन किया. प्राइवेट कॉलेज संचालकों का कहना है कि महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के कुलपति के आदेश अनुसार आज से शुरू होने वाले बीएससी, बीकॉम और बीए की परीक्षा में उसी कॉलेज के परीक्षार्थी बैठ सकेंगे. जिन्हें विश्वविद्यालय से सम्बद्धता मिली है.
इस आदेश से 3 हजार छात्र होंगे प्रभावित
यह आदेश कुलपति द्वारा कल देर शाम को जारी किया गया. जिसके बाद सभी प्राइवेट स्कूल के संचालकों ने सीएम के ओएसडी से बात की है. सभी ने यह निर्णय लिया है, छात्रों को परीक्षाओं से वंचित करना शिक्षा के अधिकार के खिलाफ है. परीक्षार्थियों से परीक्षा फीस ले ली गई है. उनके रोल नंबर जारी कर दिए गए हैं.
यहां तक की छात्रों के प्रवेश पत्र तक जारी हो चुके हैं. अब चाहे कॉलेज संचालकों को कुछ भी करना पड़े. बच्चों के हितों पर चोट नहीं आने देंगे. इस आदेश से लगभग 3 हजार स्टूडेंट्स प्रभावित होंगे. कॉलेज संचालकों ने चेतवानी देते हुए कहा कि परीक्षा के फॉर्म भर कर विश्वविद्यालय ने मोटी रकम ले ली. अब आगे उग्र आंदोलन की कार्रवाई की जाएगी.
स्कूल संचालकों ने क्या कहा?
भरतपुर, धौलपुर और डीग के निजी कॉलेज महासंघ के संयोजक आलोक शर्मा ने बताया कि "12 घंटे पहले महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय से एक तुगलकी फरमान आया, इस फरमान में लिखा था कि जिन कॉलेजों को विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्धता जारी नहीं की गई है. उन कॉलेजों के परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश न दिया जाये."
'स्टूडेंट्स के हितों नहीं आने देंगे चोट'
आलोक शर्म ने बताया कि कॉलेज संचालकों द्वारा मुख्यमंत्री के ओएसडी से वार्ता की गई है. उच्च शिक्षा के सचिव सुबीर कुमार से भी बात की गई है. सभी का कहना है कि परीक्षार्थियों को परीक्षा से वंचित करना शिक्षा के अधिकार के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि एफिलिएशन एक अलग प्रक्रिया है, लेकिन स्टूडेंट से परीक्षा की फीस ले लेना उनको सेंटर और रोल नंबर दे देना.
उनको प्रवेश पत्र जारी कर देना उसके बाद अचानक 10 घंटे पहले उनको परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं देना, यह सभी लोगों के हितों पर कुठाराघात है. सभी निजी कॉलेज संचालक विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ एकजुट हैं. आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा, "जोर जुल्म की टक्कर पर संघर्ष हमारा नारा है. चाहे उसके लिए हमें कुछ भी करना पड़े. स्टूडेंट्स के हितों पर चोट नहीं आने देंगे.
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