(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Narasimha Jayanti 2023: कोटा में मनाई जाएगी नरसिंह जयंती, साल में एक ही दिन होते हैं नृसिंह स्वरुप के मुखोटे के दर्शन
Kota News: किशोरपुरा दरवाजे पर स्थित प्राचीन नरसिंह मन्दिर के पुजारी मयंक शर्मा ने बताया कि कोटा में यह एक मात्र नरसिंह मन्दिर है. यह मन्दिर 200 साल पुराना है.
Narsingh Jayanti: कोटा (Kota) में शहर भर में विष्णु भगवान के चतुर्थ अवतार नरसिंह जयंती (Narasimha Jayanti) पर धार्मिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे. भगवान नरसिंह की जयन्ती का भव्य समारोह गुरुवार को अग्रवाल वैष्णव मोमीयां पंचायत द्वारा गांधी चौक पर आयोजित होगा. संस्था के प्रवक्ता संजय गोयल ने बताया कि भगवान नरसिंह के स्वरूप द्वारा हिरण्यकश्यप के 25 फीट के पुतले का वध किया जाएगा. समारोह के दौरान सांयकाल सूर्यास्त होते ही ठीक 6:45 बजे नरसिंह भगवान का प्राकट्य होगा.
इसके बाद हिरण्यकश्यप का वध किया जाएगा. नरसिंह धर्मशाला के सचिव महेंद्र कुमार मित्तल ने बताया कि समारोह में राम दरबार, शिव जी, हनुमान और भक्त प्रह्लाद की झांकी भी सजेगी. संस्था के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता के अनुसार, यह परम्परा पिछले 125 सालों से चल रही है. पहले यह समारोह रामपुरा चौक पर होता था. सन 1905 में कोटा दरबार द्वारा नरसिंह धर्मशाला के सामने (अभी गांधी चौक) जगह उपलब्ध कराई गई है. तब से यहीं पर सार्वजनिक कार्यक्रम सम्पन्न होता है.
200 साल पुराना है नरसिंह भगवान का मंदिर
इसमें भगवान नरसिंह द्वारा हिरण्यकश्यप के पुतले का वध किया जाता है. आम लोग पुतले के कागज और लकडियां अपने घरों में ले जाकर घर के बाहर लगाते हैं. मान्यता है कि यह साल भर अमंगल से बचाता है. इसके बाद कईं माताएं अपने छोटे छोटे बच्चों को भगवान की गोद में बिठाकर आशीर्वाद दिलाती हैं. मान्यता है कि इससे बच्चे रात को डरते नहीं हैं और बीमारियों से दूर रहते हैं. किशोरपुरा दरवाजे पर स्थित प्राचीन नरसिंह मन्दिर के पुजारी मयंक शर्मा ने बताया कि कोटा में यह एक मात्र नरसिंह मन्दिर है. यह मन्दिर 200 साल पुराना है. यहां रियासत काल में कोटा महाराज पूजा करने आते थे. उन्होंने बताया कि नरसिंह जयन्ती के अवसर पर बुधवार को रामायण और महिलाओं द्वारा कीर्तन होगा. वहीं गुरुवार को सुबह 7 बजे भगवान का पन्चामृत से महाअभिषेक, 8 बजे से श्रृंगार, फूल बंगला के दर्शन होंगे. इस दौरान भगवान के नृसिंह स्वरुप के मुखोटे के दर्शन होंगे. पुजारी के अनुसार, मुखौटे के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं. इस अवसर पर 101 बत्ती से महाआरती और प्रसाद वितरण होगा.