Narsimha Jayanti 2024: भगवान श्री नृसिंह ने हिरणाकश्यप का वध किया था, ना दिन में ना रात में, ना अस्त्र से ना शास्त्र से, ना पुरुष ने ना ही महिला ने, ना जमीन पर ना ही आसमान पर और यही संदेश दिया गया कि बुराई का अंत हर स्थिति में होता है. सत्य की हमेशा जीत होती है. कोटा में भगवान श्री नृसिंह जी का प्राकट्य दिवस 126 सालों से अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. संस्था के अध्यक्ष चेतन मित्तल व सचिव महेंद्र गर्ग के अनुसार यह परम्परा पिछले 126 वर्षों से चली आ रही है. 


पहले कोटा शहर के रामपुरा चौक पर समारोह का आयोजन होता था. सन 1905 में दरबार द्वारा नृसिंह धर्मशाला के सामने (अभी गांधी चौक) जगह उपलब्ध कराई गई. तब से ही श्री नरसिंह प्राकट्योत्सव आयोजित होता आ रहा है. 


छोटे बच्चों को भगवान की गोद में देकर आशीर्वाद दिलाती हैं माताएं
अध्यक्ष चेतन मित्तल ने बताया कि कोटा में एकमात्र आयोजन होता है जहां भगवान नृसिंह द्वारा हिरण्यकश्यप के पुतले का वध किया जाता है. आम लोग पुतले के कागज व लकडियां अपने घरों में ले जाकर घर के बाहर लगाते हैं, जिससे लोग निरोगी होते हैं और व्याधियों का नाश होता है. इसके बाद माताएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को भगवान की गोद में देकर आशीर्वाद दिलाती हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे बच्चे रात को डरते नहीं हैं और बीमारियों से दूर रहते हैं. 


25 फीट के पुतले का होता है वध 
अग्रवाल वैष्णव मोमीयां पंचायत द्वारा विष्णु भगवान के चतुर्थ अवतार भगवान श्री नृसिंह के प्राकट्य दिवस पर 21 मई को भव्य समारोह गांधी चौक रामपुरा में आयोजित किया जाएगा. संस्था के प्रवक्ता संजय गोयल ने बताया कि भगवान नृसिंह के स्वरूप द्वारा हिरण्यकश्यप के 25 फीट के पुतले का वध किया जाएगा.


इस अवसर पर राम दरबार, शिवजी, हनुमान व भक्त प्रह्लाद की झांकी सजाई जाएगी. समारोह सांयकाल सूर्यास्त होते ही समय 6.45 बजे नृसिंह भगवान प्राकट्य उत्सव होगा. उसके बाद हिरण्यकश्यप के पुतले का वध किया जाएगा. महाआरती और भव्य आतिशबाजी भी की जाएगी.  


कोटा में एक मात्र नृसिंह मन्दिर, कोटा महाराज आते थे पूजा करने
नृसिंह जयन्ती महोत्सव 21 मई से, मुखोटे के दर्शन, छप्पन भोग व फूल बंगला सजेगा किशोरपुरा दरवाजे पर स्थित प्राचीन नृसिंह मन्दिर के पुजारी मयंक शर्मा ने बताया कि कोटा में यह एक मात्र नृसिंह मन्दिर है. यह मन्दिर 200 वर्ष पुराना है. इस मन्दिर में कोटा के महाराज भी पूजा करने आते थे.


नृसिंह जयंती के अवसर पर 19 मई को महिलाओं द्वारा कीर्तन होगा. वहीं 20 मई को मंदिर में ध्वजा तथा मोर पंख के दर्शन होंगे. 21 मई को 101 बत्ती से महाआरती और प्रसाद वितरण होगा.  


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