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Rajasthan News: बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान दर्शन प्रणाली आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए हुआ मंथन
National Education Policy-2020: प्रो. विद्यार्थी ने बताया कि तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों को प्राचीन भारत के तकनीकी ज्ञान से लाभान्वित और गौरवान्वित करने के लिए पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है.
National Education Policy-2020: बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय (Bikaner Technical University) के कुलपति प्रो. अंबरीष शरण विद्यार्थी (Ambrish Sharan Vidyarthi) ने रविवार को बताया कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (National Education Policy-2020) की अपेक्षाओं के अनुरूप अपने विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान दर्शन प्रणाली पर आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है. यह समिति 'भारतीय ज्ञान दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर, संवैधानिक और वैश्विक मूल्य आधारित सृजनशीलता' पर अधारित पाठ्यक्रम तैयार करेगी.
प्रो. अंबरीष शरण विद्यार्थी ने बताया कि तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों को प्राचीन भारत के तकनीकी ज्ञान से लाभान्वित और गौरवान्वित करने के लिए इस तरह का पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है. इन विषयों को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से भी जोड़कर छात्रों को बताया जाएगा, ताकि छात्र हमारे प्राचीन वैज्ञानिकों के किए गए कार्यों की सराहना और उन पर गर्व कर सकें. यह पाठ्यक्रम व्यावहारिक और खेल आधारित होने चाहिए, जिसेस छात्र आसानी से ज्ञान ग्रहण कर सकें. इस पाठ्यक्रम में व्यावहारिक शिक्षा को शामिल किया जाएगा. इससे स्थानीय परंपरा के प्रति भी छात्र की निष्ठा बनेगी. इन सब के साथ वो संवैधानिक और वैश्विक मूल्य को जानकर एक बेहतर नागरिक बनेगा.
सक्षम और सशक्त बनेंगे छात्र: प्रो. विद्यार्थी
उन्होंने कहा कि देश में इससे उच्च शिक्षा व्यवस्था को नया आधार प्राप्त होगा और हमारे विद्यार्थी सक्षम के साथ-साथ सशक्त बनेंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूल्य आधारित शिक्षा को विकास का मुख्य आधार माना गया है. देश के विद्यार्थी शिक्षा की नई व्यवस्था के साथ नवीन आयाम स्थापित करेंगे. सर्वाभौमिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सामाजिक न्याय, समानता, वैज्ञानिक उन्नति, राष्ट्रीय एकीकरण, सांस्कृतिक संरक्षण, सतत् प्रगति के साथ-साथ आर्थिक विकास का शैक्षिक अवसर उपलब्ध कराना भारत के शिक्षा व्यवस्था के भविष्य को निर्धारित करता है.
प्रो. विद्यार्थी ने कहा कि किसी देश का विकास उस देश की शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करती है और भारत प्राचीन काल से अपनी विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध रहा है. इन्हीं मूल्यों को अपनाकर हम जीवन स्तर में सुधार कर सकते हैं. आज उच्च शिक्षा को नये सिरे से परिभाषित करने की महत्ती आवश्यकता है. बीटीयू नें मूल्यपरक शिक्षा के साथ ज्ञान-दर्शन की अवधारणा ने देश भर के उच्च और तकनीकी शिक्षा जगत में एक विशिष्ट पहचान बनाई है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्पष्टता के साथ एक बहुत ही उपयुक्त समय पर शिक्षकों, छात्रों, हितधारकों, समाज, देश के लिए मूल्य आधारित शिक्षा पर बल दिया गया है.
दो दिवसीय संगोष्ठी में देश भर से प्रोफेसरों ने लिया हिस्सा
उन्होंने कहा कि प्राचीन ज्ञान प्रणाली के संरक्षण के साथ बीटीयू नें अपने सम्बद्ध विश्वविद्यालयों, विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों को नैतिक मूल्यों के स्वरूप से अवगत कराया है. निसंदेह तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थी लाभान्वित होंगे और अपने संस्कारों के संरक्षण के साथ देश में सिरमौर बनेंगे. इस संदर्भ में दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन रविवार को किया गया, जिसमें देश भर से इस विषय के प्रबुद्ध प्रोफेसरों ने भाग लिया.
इस संगोष्ठी में प्रो. विजय कुमार कर्ण, नव नालंदा महाविहार, नालंदा; प्रो. सत्यदेव पोद्दार, कुलपति, महाराजा वीर विक्रम विश्वविद्यालय, अगरतला, त्रिपुरा; डॉ. निलय खरे, भूविज्ञान विभाग, नई दिल्ली; डॉ. मेघेंद्र शर्मा, विज्ञान भर्ती, राजस्थान; प्रो. कमलेश छ. चोकसी, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद; डॉ. एस.के सुमन, लोयोला कॉलेज, चेन्नई; प्रो. धर्मेंद्र कुमार, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार; गिरघरीलाल, एआईसीटीई, नई दिल्ली; प्रो. कृष्ण चन्द्र वाजपेयी, पूर्व प्रोफेसर, बी आई टी, पटना; वामसी मोहन, अक्षय पात्र, जयपुर उपस्थित रहे.
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