Kota News: मुकुंदरा टाइगर रिजर्व (Mukundra Tiger Reserve) में चीते लाए जाने को लेकर चल रही खींचतान के बीच सांगोद विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह (MLA Bharat Singh) ने एक बार फिर चीते लाने के लिए आवाज बुलंद की है. उन्होंने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) पर आरोप लगाया है कि उसके कारण ही मुकुंदरा में चीते नहीं आ पा रहे है. जबकी मुकुंदरा का जंगल चीतों के लिए सबसे सुरक्षित और सुंदर है. भरत सिंह ने कहा कि मुकुंदरा का भविष्य उज्जल तो है, लेकिन जिम्मेदारों ने इसे मरोड कर रख रखा है. उन्होंने कहा कि एनटीसीए तो सबसे दुखदाई कमेटी है. एनटीसीए को हटा दो और यहां के प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटिव ऑफ फॉरेस्ट है उनको अधिकृत करते हैं तो जंगल की सारी व्यवस्था शानदार हो जाएगी.
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामिबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों में से तीन की मौत हो चुकी है. इसके बाद से ही कहा जाने लगा है कि कूनो चीतों के लिए उपयुक्त जगह नहीं है. कुछ विशेषज्ञों चीतों के लिए कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व को सही जगह बता रहे हैं.
सांसद चाहें तो दो माह में आ जाएंगे चीते
भरत सिंह चीते लाए जाने के पक्ष में दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि बाघ बसाए जाने के दौरान ये स्पष्ट था कि यहां चीते नहीं लाए जाएंगे, लेकिन कूनो में चीते सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे में उनके लिए कोटा का मुकुंदरा ही सबसे बेहतर है. वे यहां सरवाइव करेंगे. भरत सिंह एनटीसीए पर जमकर बरसे और उन्होंने कहा कि एनटीसीए तो एक बीमारी है. इन्होंने ही यहां चीते लाए जाने को लेकर व्यवधान पैदा किया है. हमारे सांसद (लोकसभा अध्यक्ष) चाहे तो दो माह में यहां चीते आ सकते हैं.
मुकुंदरा में चीते शिफ्ट करने की कोई योजना नहीं
भरत सिंह ने मीडिया से कहा कि वाइल्ड लाइफ का सदस्य होने के नाते मैंने वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की. उनका कहना है मुकंदरा में चीते शिफ्ट करने की उनके पास कोई सूचना नहीं है. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से पूछा तो उन्होंने कहा कि यहां चीते लाने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि नेशनल टाइगर कंजरवेटिव अथॉरिटी ने लिखित में हमको मना कर रखा है कि यहां चीते नहीं लाए जा सकते.
उन्होंने कहा कि इस समय मुकुंदरा में तालाब रिपेयरिंग का कार्य प्रगति पर है. यहां अब बेहतरीन तरीके से पानी का ठहराव होगा और जंगल का स्वास्थ्य हर दृष्टि से अच्छा होने वाला है.उन्होंने साफ तौर पर कहा कि एनटीसीए ही यहां चीते लाने में बाधा बनी हुई है.निर्णय भी उसे लेना है, ये भी हो सकता है कि हाल में हुई बाघिन की मौत के बाद यहां टाइगर को भी नहीं लाया जाए .
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