Navratri: बूंदी के इस मंदिर में भक्तों की मुराद नहीं जाती है खाली, आज रात 12 बजे होगी विशेष पूजा, उमड़ी भीड़
Navratri 2022: बूंदी के बिजासन माता मंदिर का विशेष महत्व है. पहाड़ी पर मंदिर तक पहुंचने के लिए 780 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. कहा जाता है कि मां के दरबार में आनेवाला खाली नहीं लौटता.
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Navratri Maha Ashtami 2022: आज देश भर में नवरात्रि की महाष्टमी मनाई जा रही है. माता के मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. बूंदी के बिजासन माता मंदिर में भी सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है. इंद्रगढ़ इलाके में बिजासन माता का विशेष महत्त्व है. बिजासन माता मंदिर में आज रात 12 बजे विशेष पूजा अर्चना की जायेगी. पूजा अर्चना करने लाखों की तादाद में दर्शन श्रदालु मंदिर पहुंचते हैं.
देश भर से बिजासन माता मंदिर में मां के भक्त मनोकामना मांगने आते हैं. मंदिर समिति के अनुसार पिछले 24 घंटों में डेढ़ लाख से अधिक श्रदालु माता का दर्शन करने पहुंच चुके हैं. बिजासन माता को शक्तिशाली देवी माना जाता है. मान्यता है कि माता का चमत्कार तुरंत देखने को मिलता है. कहा जाता है कि माता की कृपा से अंधे को भी रोशनी मिल जाती है. मां के दरबार में आनेवाला खाली नहीं लौटता.
बिजासन माता मंदिर का जानिए इतिहास
बिजासन माता मंदिर इंद्रगढ़ क्षेत्र में विशाल पहाड़ी पर स्थित है. इतिहासकार अश्वनी शर्मा ने बताया कि मंदिर का निर्माण बूंदी शासक राव शत्रुसाल के छोटे भाई इंद्रसाल ने किया था. उन्होंने पहाड़ी पर मंदिर और महल भी बनवाए थे. पहाड़ी पर मंदिर तक पहुंचने के लिए 780 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. मंदिर से जुड़े लोगों ने बताया कि भक्त पुत्र प्राप्ति के लिए और नवविवाहित जोड़े वैवाहिक जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने की मनोकामना करने आते हैं. कई मांगलिक अवसरों पर भी भक्त माता के दर्शन करने और आशीर्वाद लेने मंदिर पहुंचते हैं.
भक्त की श्रद्धा से प्रसन्न होकर दिया दर्शन
पुजारी ने बताया कि बिजासन देवी मंदिर पर 2 हजार साल पहले माता प्रकट हुई थी. माता के भक्त कमलनाथ को देवी दुर्गा ने दर्शन दिए थे. कमलनाथ देवी दुर्गा के कट्टर भक्त थे. भक्त कमलनाथ की आस्था और श्रद्धा से प्रसन्न होकर माता साक्षात प्रकट हुईं. उसके बाद बिजासन माता की मूर्ति को स्थापित किया गया था. माता की मूर्ति राक्षस रक्तबीज के ऊपर विराजमान है.
दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय में बताया गया है कि किस तरह देवी दुर्गा ने रक्तबीज के साथ भयंकर लड़ाई लड़ी थी. रक्तबीज राक्षस को कई असाधारण वरदान प्राप्त थे. देवी ने उतने ही रूप धारण कर लिए. ऐसा करके देवी दुर्गा ने रक्तबीज का खात्मा कर दिया और इसलिए उनको बिजासन देवी के रूप में जाना जाने लगा.
माता के मंदिर में उमड़ रहे भक्तों की भीड़ को देखते हुए इंद्रगढ़ पुलिस के साथ साथ आधा दर्जन थानों का जाप्ता परिसर की सीढ़ियों पर मौजूद है. पुलिस जवान भक्तों को लाइन में लगाकर मंदिर तक पहुंचने दे रहे हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन पर अलग से 4 स्पेशल ट्रेनें लगाई हैं. मंदिर समिति के अध्यक्ष बलदेव सिंह ने बताया कि सुबह 4 बजे से माता के मंदिर में भक्तों का मेला लगा हुआ है. भक्तों की भीड़ रात 12 बजे विशेष पूजा करने के बाद हटेगी. कोरोना काल के बाद उत्साहपूर्वक मेला आयोजित हो रहा है.
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