NEET-2024 Result: हरियाणा के दिव्यांश ने किया कमाल, फेफड़े में बीमारी के बावजूद हासिल की AIR 1
Kota News: दिव्यांश ने बाताय कि टीचर्स ने बोला था कि मोबाइल से मन भटकता है. इसलिए मैंने स्मार्ट फोन की जगह कीपैड वाला साधारण फोन इस्तेमाल किया. अभी तक भी किसी सोशल मीडिया पर मेरा अकाउंट नहीं है.
Rajasthan News: यदि हौसला मजबूत हो तो रास्ते में कितनी ही बाधाएं आए, लेकिन इंसान अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेता है. ऐसा ही उदाहरण कोटा में क्लासरूम स्टूडेंट दिव्यांश ने पेश किया है. फेफड़ों की गंभीर बीमारी न्यूमोथौरेक्स से पीड़ित होने के बावजूद न सिर्फ मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 2024 को क्रैक किया, बल्कि ऑल इंडिया रैंक फर्स्ट हासिल की. दिव्यांश ने उन लोगों के लिए उदाहरण पेश किया है, जो छोटी-छोटी मुसीबतों के आगे हार मान जाते हैं.
दिव्यांश ने बताया कि वो हरियाणा के चरखी दादरी से हैं. उनके पापा जितेन्द्र भारतीय सेना में नायब सूबेदार और मां मुकेश देवी गृहिणी हैं. चाचा भी सेना में हैं. इसके पहले भी उनके परिवार में लोग आर्मी में रहकर देश की सेवा करते आए हैं. उनको देखकर वो भी सेना में जाना चाहते थे और एनडीए का एग्जाम देने का मन बनाया था.
उन्होंने कहा कि मैंने पापा को अपने मन की बात बताई, तो उन्होंने कहा परिवार के लोग देश की सेवा में लगे हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करो. इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों से बात की और बोले की नीट की तैयारी के लिए कोटा बेस्ट है. इसके बाद मैं 15 जून 2023 को कोटा आया और एडमिशन हुआ.
"पढ़ाई के लिए कोटा से अच्छी जगह कोई नहीं"
दिव्यांश ने बताया कि जब पापा ने कोटा भेजा तो थोड़ा अटपटा लगा था, लेकिन यहां आकर देखा कि पढ़ाई के लिए इससे अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती. कोटा की कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद पढ़ाई करने में मजा आता था. यहां नेशनल लेवल का कम्पीटिशन मिलता है, जिससे हम एक दूसरे से हेल्दी कम्पीटिशन करते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं. कॉम्पिटिशन बहुत था लेकिन, मैंने अन्य स्टूडेंट्स को देखकर परेशान होने की जगह सिर्फ टीचर्स की गाइडेंस को फॉलो किया और मेरे पहले माइनर टेस्ट में ही 720 में से 720 मार्क्स आए थे. इससे मेरा आत्मविश्वास मजबूत हुआ.
"स्मार्ट फोन की जगह कीपैड चलाता हूं"
टीचर्स ने बोला था कि मोबाइल से मन भटकता है. इसलिए मैंने स्मार्ट फोन की जगह कीपैड वाला साधारण फोन इस्तेमाल किया. अभी तक भी किसी सोशल मीडिया पर मेरा अकाउंट नहीं है. दिव्यांश ने बताया कि कोटा आने के बाद जुलाई 2023 में मुझे सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी. जांच में पता चला कि मुझे न्यूमोथौरेक्स हो गया है. इस बीमारी में लंग्स फट जाते हैं. मेरा एक साइड का फेफड़ा फट गया था और एक ही फेफड़े से सांस लेता था. एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में भर्ती रहा. अस्पताल में भी मुझे मोटिवेट किया गया. इसके बाद मैं घर आया और माइनर टेस्ट की तैयारी में जुट गया. एक सप्ताह हॉस्पिटल में खराब हो चुका था. मैंने सोचा कि स्कोर चाहे कुछ भी आए, लेकिन मुझे अपना बेस्ट करना है और 720 में से 686 स्कोर हासिल किया.
"न्यूरोथौरेक्स खत्म हुआ तो डेंगू हुआ"
दिव्यांश ने बताया कि तीन महीने तक इलाज के बाद पढ़ाई शुरू करने वापस कोटा आया, लेकिन यहां आते ही डेंगू हो गया. एक सप्ताह उसमें लग गया. मैं ठीक हुआ तो मम्मी को डेंगू हो गया, उनकी देखभाल की. रोजाना हॉस्पिटल खाना देने जाता था. मैं 15 सितंबर को वापस कोचिंग गया. इतना समय निकल गया कि मेरी उम्मीद खत्म हो गई थी, लेकिन टीचर्स ने मेरा वेलकम किया और उनके सपोर्ट से एक बार फिर जीरो से शुरूआत की. करीब 10-15 दिन मुझे समझने में लगे. दूसरे स्टूडेंट्स तो सिलेबस में काफी आगे निकल चुके थे, लेकिन मैंने उन पर ध्यान देने की जगह खुद पर विश्वास रखा और टीचर्स को फॉलो किया.
"एग्जाम के दो दिन पहले नहीं की पढ़ाई"
5 मई 2024 को नीट का एग्जाम था और 2 मई को मेरा नीट का सिलेबस पूरा हुआ था. दो दिन बचे थे, मैंने टीचर्स की बात मानी और 3-4 मई को बिल्कुल पढ़ाई नहीं की. हालांकि मन में आता था कि रिवीजन कर लूं, कहीं सब कुछ भूल नहीं जाऊं, फिर मन में आया कि तीन दिन में पढ़ा हुआ भूल गया तो फिर क्या डॉक्टर बन सकूंगा, आराम से फुटबॉल खेला. 5 मई को यही सोचकर पेपर देने गया कि जितने मार्क्स आएंगे, भगवान की दया से बहुत हैं.