NEET UG 2024 रजिस्ट्रेशन की आखिरी डेट 16 मार्च तक बढ़ाई गई, अब तक 25 लाख स्टूडेंट्स ने किए आवेदन
NEET 2024 Registration: कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट पारिजात मिश्रा ने बताया कि 5 मई को होने वाली नीट 2024 परीक्षा के लिए अब तक 25 लाख से अधिक स्टूडेंट्स आवेदन कर चुके हैं.
NEET 2024 UG Registration Last Date: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की ओर से आयोजित की जा रही मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET-UG-2024) के रजिस्ट्रेशन की आखिरी डेट 16 मार्च तक बढ़ा दी गई है. नीट-यूजी 2024 के लिए लगातार बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स आवेदन कर रहे हैं. बड़ी बात यह कि इस साल नीट-यूजी में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या अब तक 25 लाख से अधिक हो चुकी है.
कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट पारिजात मिश्रा ने बताया कि 5 मई को होने वाली इस परीक्षा के लिए अब तक 25 लाख से अधिक स्टूडेंट्स आवेदन कर चुके हैं, जो कि पिछले साल से करीब 4.20 लाख ज्यादा है. मेडिकल साइंस में छात्र-छात्राओं के अनुपात की बात करें तो 55 प्रतिशत से अधिक आवेदन छात्राओं ने किए हैं. इस परीक्षा के लिए ऐसे में करीब 13 लाख से अधिक आवेदन छात्राओं ने किए हैं.
यह परीक्षा 1 लाख 9 हजार एमबीबीएस, 26 हजार डेंटल के साथ युनानी, होम्योपैथ, वैटनरी, आयुर्वेद और नर्सिंग की मिलाकर करीब 2 लाख सीटों के लिए होती है. पारिजात मिश्रा ने बताया कि 9 मार्च 2024 तक बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. स्टूडेंट अंतिम डेट बढ़ाने की मांग भी कर रहे थे, जिसे बढ़ा दिया गया है. क्योंकि आधार कार्ड और मोबाइल लिंक नहीं होने के कारण कई स्टूडेंट्स आवेदन नहीं कर सके हैं.
पिछले कुछ सालों के आंकड़ें
कुछ स्टूडेंट्स के आधार कार्ड से पुराना नंबर लिंक था, तो ओटीपी नहीं मिल पा रहा था. इसके अलावा दूसरा विकल्प पैन कार्ड का है, लेकिन वह भी कई स्टूडेंट्स का बना हुआ नहीं है. इस कारण अंतिम डेट बढ़ाने की मांग की जा रही थी, जिसे 16 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया है. वहीं पिछले कुछ सालों की बात करें तो 2013 में 717127 रजिस्ट्रेशन, 2014 में 579707 रजिस्ट्रेशन, 2015 में 374386रजिस्ट्रेशन, 2016 में 802594रजिस्ट्रेशन, 2017 में 1138890 रजिस्ट्रेशन, 2018 में 1326725 रजिस्ट्रेशन, 2019 में 1519375 रजिस्ट्रेशन, 2020 में 1597435 रजिस्ट्रेशन, 2021 में 1614777 रजिस्ट्रेशन, 2022 में 1872343 रजिस्ट्रेशन, 2023 में 2087462 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन करवाया था.
क्यों ज्यादा स्टूडेंट मेडिकल में जा रहे?
मेडिकल में कॅरियर को सुरक्षित और सम्मानित माना गया है, यही कारण है कि बड़ी संख्या में छात्राएं इस फील्ड में आगे आती हैं. छात्र-छात्राओं के अनुपात की बात करें तो यह 55 और 45 प्रतिशत रहता है. महिलाओं को सम्मान के साथ एक अच्छा सुरक्षित कॅरियर मिलता है, जिसमें चुनौतियां फील्ड वर्क के मुकाबले कम मानी जा सकती है. इसके साथ ही मेडिकल सर्विसेज जिसको हम हॉस्पिटल सर्विसेज भी कह सकते हैं. भारत में सबसे अधिक भुगतान वाले क्षेत्रों में से एक है.
भारत में एक एमबीबीएस डॉ. का राष्ट्रीय औसत वेतन वर्तमान में 9-10 लाख रुपये सालाना है. स्नातकोत्तर विशेषज्ञता वाले डॉ. इससे बेहतर वेतन की उम्मीद कर सकते हैं. सुपर स्पेशियलिटी विषयों में उच्च डिग्री प्राप्त करके अपनी आय और सामाजिक प्रतिष्ठा को और भी बढ़ाया जा सकता है.
रोजगार के कई अवसर
कैंडिडेट एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद एक डॉक्टर के रूप में शुरूआत करता है. कोई सरकारी या निजी अस्पताल में काम कर सकता है या निजी प्रैक्टिस में अपने आप को स्थापित कर सकता है. यदि कोई एमबीबीएस के बाद वैकल्पिक कॅरियर मार्ग चुनना चाहता है, तो भी कई संभावनाएं हैं, इसमें खेल चिकित्सा- स्पोर्ट मेडिसिन, स्वास्थ्य अनुसंधान - हेल्थ रिसर्च, अस्पताल प्रबंधन- हॉस्पिटल मैनेजमेंट, चिकित्सा शिक्षाविद-मेडिकल टीचिंग फैकल्टी, सार्वजनिक स्वास्थ्य -पब्लिक हेल्थ में नीति-निर्माण सहित कई ऐसी राहें हैं, जहां मेडिकल अंडर ग्रेजुएट नौकरी पा सकता है.
जॉब सिक्योरिटी
पारिजात मिश्रा ने बताया कि नौकरी की सुरक्षा एक और कारण है जिसके कारण अधिकांश प्रतिभाशाली कैंडिडेट्स डॉक्टर बनना चाहते हैं. भारत में चिकित्सक-मरीज अनुपात प्रति 834 जनसंख्या पर एक है और देश को अधिक चिकित्सा पेशेवरों की आवश्यकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों को पूरा करने के लिए भारत को अभी भी 5 लाख और डॉक्टर्स की जरूरत है.
देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है. यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें एक सफल कॅरियर बनाने की अपार संभावनाएं हैं. इसके अलावा एक मेडिकल प्रोफेशनल अपने कॅरियर अवधि के दौरान कई रोगियों की जान बचाकर अत्यधिक व्यक्तिगत संतुष्टि की अनुभूति होती है.
मेडिकल में रिसर्च के अवसर
पारिजात मिश्रा ने बताया कि चिकित्सा अनुसंधान और प्रगति को प्रोत्साहित करती है, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए नवीन उपचार और समाधान सामने आते हैं. भारत में एम्स दिल्ली, जिपमेर पुडुचेर्री, बीएचयू वाराणसी, एएम्यू अलीगढ़, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, निम्हंस बंगलुरु आदि रिसर्च इंस्टीटूट्स हैं जिनके मेडिकल अंडर ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स न केवल भारत में बल्कि विदेशों मे भी अपनी काबलियत का लोहा मनवाते हैं.
मेडिकल टूरिज्म और विदेशों में बढ़ती मांग
मेडिकल टूरिज्म भी भारत में एक उभरता आयाम है, जिसमें विदेशों से रोगी अपना इलाज करवाने भारत आते हैं. बेहतर चिकित्सा सुविधाएं और चिकित्सकों की संख्या बढ़ेगी तो मेडिकल टूरिज्म बढ़ेगा. इसके साथ ही भारतीय चिकित्सकों की विदेशों में भी अच्छी मांग है. विदेशों में भी भारतीय डॉक्टर अच्छा कॅरियर बना सकते हैं और बना भी रहे हैं.