Udaipur News: जंगलों में कई प्रकार की वनस्पतियां हैं, जिनमें लगातार नई-नई पौधों की प्रजातियां सामने आती रहती हैं. ऐसी ही एक खोज उद्यपिर के पर्यावरण विशेषज्ञों ने की है. इस खोज से राजस्थान (Rajasthan) में धतूरे की नई प्रजाति मिली है. विश्व में  इसकी 13 कुल प्रजातियां हैं, जिसमें से राजस्थान में 6 प्रजाति है.


अब सवाल यह उठ रहा है कि यह प्रजाति अपना रूप किस तरह दिखाएगी. क्योंकि कुछ धतूरे औषधि के रूप में भगवान शिव को चढ़ाएं जाते हैं. अब यह नई प्रजाति सामने आई है. यह या तो दूसरे पौधों को नष्ट करेगी. या औषधि सहित अन्य उपयोग में आ सकती है. इसके लिए शोध शुरू कर दिया गया है. यह शोध पर्यावरण विशेषज्ञ  और वन विभाग के सेवानिवृत एसीएफ डॉ. सतीश कुमार शर्मा के साथ फाउन्डेशन फॉर ईकोलॉजिकल सिक्यूरिटी के जीव विज्ञानी डॉ. अनिल सरसावन की है. 


ऐसा है खोज गया नया धतूरा
डॉ. शर्मा के अनुसार राजस्थान में धतूरे की पांच प्रजातियां पहले से ही ज्ञात हैं. हाल ही में छठी प्रजाति डटूरा क्वर्सिफोलिया की खोज उदयपुर जिले के धार गांव में हुई है. इस नई खोज का विवरण अनुसंधान जर्नल ‘इंडियन जर्नल ऑफ एन्वायरमेन्ट साइस के अंक 27(1) में प्रकाशित हुआ है. उन्होंने बताया कि नई खोजी गई प्रजाति के फूल का गला भी बैंगनी होता है.


लेकिन इसके परागकोष बैंगनी-काले रंग के होते हैं. पूर्व में खोजी प्रजाति के परागकोष सफेद रंग के थे. नई खोजी गई प्रजाति डटूरा क्वर्सिफोलिया के फूल की लम्बाई वृंत को छोड़कर लगभग 8.5 सेमी होती है, जबकि इससे मिलती जुलती प्रजाति डटूरा डिस्कलर के कृन्त को छोड़कर फूल की लम्बाई 15 सेमी से ज्यादा होती है.


डॉ. शर्मा ने बताया कि डटूरा क्वर्सिफोलिया नामक यह नई प्रजाति लगभग 50 सेमी तक ऊंची बढ जाती है. इसकी पत्तियां 12-15 सेमी लम्बी और 11-13 सेमी चौड़ी होती हैं. पत्तियों पर मध्य शिरे के दोनों ओर 2-2 या 3-3 बड़े कांटेदार उभार होते हैं. इसके फूल पर बड़े और छोटे दो आकार के कांटे होते हैं, जो 3-4 सेमी तक लम्बे हो जाते हैं. जबकि छोटे कांटे लगभग 1 सेमी तक बढ़ते हैं. लम्बे कांटे फल के शीर्ष पर होते हैं. उन्होंने बताया कि डटूरा क्वर्सिफोलिया मेक्सिको का मूल निवासी है. यह प्रजाति भारत में महाराष्ट्र और तमिलनाडु में देखी गई थी. राजस्थान तीसरा राज्य है जहां इस प्रजाति ने दस्तक दी है.


आखिर ये दूसरे पौधों कैसे करते हैं के नष्ट
डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि धतूरा एक विदेशी पौधा है. यह या तो औषधियों सहित अन्य रूप में काम आ सकता है. या फिर दूसरे पौधों के लिए हानिकारक हो सकता है. हानिकारक इसलिए कि विदेशी पौधे जैसे लेंटाना पौधे की बात करें तो यह भारत में गार्डनिंग के रूप में आया था, लेकिन आज देखिए यह इतना फेल गया है कि भारतीय पौधों को पनपने ही नहीं दे रहा है. 


उन्होंने बताया यह लेंटाना ना तो पशुओं के खाने के काम आता है और ना अन्य. यह बहुत तेजी से बढ़ता है. ऐसे और भी अन्य पौधे हैं. इसी प्रकार धतूरा भी हो सकता है, लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. 


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