Student Suicide in Kota: हैरानी में डाल रहा है कोटा में आत्महत्या का नया ट्रेंड, अब ये बच्चे लगा रहे हैं मौत को गले
Kota News: कोचिंग नगरी कोटा में स्टूडेंट सुसाइड सभी के लिए बड़ी चिंता का विषय होता है. एक बच्चें की मौत पर कोटा प्रशासन अलर्ट हो जाता है और पूरे प्रयास करता है कि किसी तरह से ऐसी घटना फिर न हो.
Rajasthan News: कोचिंग नगरी कोटा में स्टूडेंट का सुसाइड (Suicide) सभी के लिए चिंता का विषय होता है. एक बच्चे की मौत पर कोटा प्रशासन अलर्ट हो जाता है.प्रशासन प्रयास करता है कि किसी तरह से ये घटना फिर न हो, लेकिन लगातार अब सुसाइड की घटनाएं बढ रही हैं. इसके लिए विशेष प्रयास भी किए जा रहे हैं ताकी इन्हें रोका जा सके. अमूमन माना जाता है कि पढाई शुरू होने के बाद जब आधे से अधिक कोर्स हो जाता है और बच्चें को लगता है कि वह सफल नहीं हो पाएगा तो वह परीक्षा से पहले और बाद में रिजल्ट आते ही सुसाइड करता है. लेकिन आजकल कुछ बच्चें कोटा आते ही मौत को गले लगा रहे हैं. यह ट्रेंड लोगों को चिंता में डाल रहा है. एक्सपर्ट इस बात के लिए घर परिवार का प्रेशर और बच्चे का अकेलापन, एडजेस्ट नहीं कर पाना सहित कई तरह की बातों को जिम्मेदार बता रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ महीने से कोटा में आए हुए बच्चे सुसाइड कर रहे हैं, यह नई समस्या पैदा कर रहा है.
एक दिन में दो आत्महत्याएं
कोटा के विज्ञाननगर थाना क्षेत्र में 10-12 घंटे के अंदर दो कोचिंग स्टूडेंट ने मौत को गले लगा लिया.एक घटना दोपहर की है तो दूसरी घटना मंगलवार रात की. पहली घटना में वैष्णव समाज के छात्रावास में रहकर एक कोचिंग संस्थान से नीट की तैयारी कर रहे 17 साल के छात्र ने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस के अनुसार छात्र मेहुल वैष्णव पुत्र सुनील वैष्णव निवासी सलेमपुर उदयपुर का रहने वाला है. वह 2 माह पहले कोटा में नीट की तैयारी करने आया था.वह विज्ञान नगर स्थित वैष्णव बैरागी समाज भवन छात्रावास में रहकर तैयारी कर रहा था. वहां उसने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली.घटना की जानकारी छात्र के रूम पार्टनर को लगने पर उसने गार्ड को सूचना दी. इस पर छात्रावास से जुड़े समाज के लोग मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी.पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़ कर देखा तो छात्र अंदर फंदे पर लटका हुआ मिला
दूसरी घटना में जौनपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले 17 साल के छात्र आदित्य ने फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया.बुधवार को दोनों ही छात्रों के घरवाले कोटा पहुंच गए. इसके पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए. आदित्य के पास से पुलिस को सुसाइड नोट भी मिला है. इसमें उसने अपनी मर्जी से यह कदम उठाने और किसी का हाथ नहीं होने की बात लिखी है.आदित्य करीब डेढ महीने पहले कोटा आया था.यहां वह नीट की कोचिंग कर रहा था.विज्ञान नगर में एक मकान में वह पीजी में रह रहा था.वह तीसरी मंजिल पर रहता था और दूसरी मंजिल के एक छात्र के साथ खाना खाने के लिए जाता था.रात को जब वह आठ बजे तक बाहर नहीं आया तो उसका दोस्त उसके कमरे में गया और दरवाजा बजाया लेकिन वह नहीं आया. कमरें में अंधेरा था. उसके बाद उसने खिड़की से मोबाइल का टॉर्च जलाकर देखा तो आदित्य पंखे पर लटका मिला.
क्या कहना है छात्रों के पिता का
आदित्य सेठ के पिता ने बताया कि बेटा कुछ बन जाएगा, इसलिए मैंने उसे कोटा भेजा था.उससे रोज बात होती थी कभी लगा नहीं कि वह ऐसा कदम उठाएगा.क्या कारण रहे,यह तो कोटा का प्रशासन जांच करें.मंगलवार सुबह भी उसकी बात मां से हुई थी तब भी वह नॉर्मल ही था.अगर वह तनाव में होता तो घरवालों को बताता तो सही,लेकिन उसने डेढ़ महीने में कभी कुछ नहीं कहा.उसका बडा भाई इंजीनियर है, वह भी कोटा से ही पढ़ा था. उसके पिता ने बताया कि जब भी बात होती और क्लास टेस्ट के बारे में पूछते तो कहता था कि अच्छा चल रहा है और अच्छा करेंगे.
वहीं मेहुल के पिता सुनील ने बताया कि मेहुल 11वीं कक्षा के साथ ही नीट की तैयारी कर रहा था.उसके दसवीं में 85 प्रतिशत नंबर आए थे.पढ़ने में तेज था,उसने खुद ने ही कहा था कि मैं नीट की तैयारी करूंगा इसलिए कोटा भेज दो.उसके कहने पर ही उसका कोटा में एडमिशन करवाया था.दो महिने पहले ही यहां छोड़ा था.पिता सुनील के अनुसार उन्हें अंदाजा नहीं था कि मेहुल ऐसा कदम उठाएगा.घटना के पीछे क्या कारण रहे पता नहीं.
क्या इलाज बताते हैं मनोचिकित्सक
मेडिकल कॉलेज कोटा के मनोचिकित्सक डॉक्टर राजमल मीणा बताते हैं कि बच्चों पर पढाई के साथ कई तरह से प्रेशर होता है. इसके कारण वे आत्मग्लानी महसूस करते हैं.देशभर का बच्चा यहां आता है तो पढाई के साथ आर्थिक, सामाजिक और मानसिक प्रेशर होता है. इसके लिए या तो बच्चें को समय-समय पर मिलते रहे, बात करते रहें, उन्हें मोटिवेट करें और उन पर सफलता के लिए अधिक करने के लिए नहीं कहें.कुल मिलाकर उन्हें एक अच्छा वातावरण दें ताकि बच्चों के कोमल मन में यह बात न बैठ जाए कि ये नहीं तो कुछ और कर लेंगे.तभी सुसाइड की मानसिकता से बाहर आ सकते हैं.
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