Rajasthan News: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (IIT Jodhpur) के नए निदेशक ने पदभार संभाल लिया है. निदेशक का पद संभालने वाले डॉ अविनाश कुमार अग्रवाल आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर रह चुके हैं. प्रेस कांफ्रेंस में कामों की प्राथमिकता गिनाई. उन्होंने कहा कि आईआईटी जोधपुर रैंकिंग में 30वें पायदान पर है. उन्होंने कहा कि रैंकिंग में सुधार कर आईआईटी जोधपुर को टॉप फाइव में ले जाना प्राथमिकता होगी. प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल पांच वर्ष तक निदेशक के पद पर बने रहेंगे.
निदेशक ने आईआईटी जोधपुर के शिक्षकों और कर्मचारियों से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान लक्ष्य को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि आईआईटी जोधपुर को देश के टॉप फाइव आईआईटीज पर लाने की कोशिश करनी होगी. निदेशक ने बताया कि सरकार की मदद से भविष्य में आने वाली समस्याओं को तकनीक के जरिए दुरुस्त करने पर फोकस करेंगे. राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में भी तकनीक की मदद ली जायेगी. प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल ने बताया कि स्कूली शिक्षा में सुधार के साथ विकसित भारत की कल्पना पूरी हो सकती है.
'IIT से इंजीनियर नहीं अच्छे शिक्षक निकलेंगे'
उन्होंने बताया कि आईआईटी जोधपुर जल्द प्रोग्राम लॉन्च करने जा रहा है. BSC, BA, B.Ed के छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान की जाएगी. आईआईटी से इंजीनियर नहीं अच्छे शिक्षक निकलेंगे. तैयारी की जा रही है कि बच्चों को मूल शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा भी समय पर उपलब्ध हो सके. उन्होंने बताया कि सामरिक दृष्टि से आईआईटी जोधपुर बहुत महत्वपूर्ण है. डिफेंस क्षेत्र में काम करने के लिए बेहतरीन जगह है. एयरफोर्स, मिलिट्री और नेवी के साथ साझा प्रोग्राम बनाया जाएगा. हथियारों के लिए इनोवेशन फैसिलिटी लेब तैयार की जाएगी. देश में हायर एजुकेशन का प्रोग्राम चल रहा है. शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराने के लिए बड़े लेवल पर काम किया जा रहा है.
आईआईटी जोधपुर के निदेशक का पदभार
जयपुर निवासी प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल मूल रूप से करौली के रहने वाले हैं. उन्होंने जयपुर के मालवीय क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया. आईआईटी दिल्ली से एमटेक और पीएचडी की ईआरसी, यूडब्ल्यू, मेडिसन, संयुक्त राज्य अमेरिका में पोस्ट डॉक्टोरल फैलोशिप पूरी कर बतौर फैकल्टी आईआईटी कानपुर में प्रवेश किया. डॉ. अग्रवाल अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) बायोफ्यूल (हाइड्रोजन सीएनजी) पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बायोफ्यूल का आईसी इंजन भी बनाया है. प्रोफेसर अग्रवाल ने 2016 में विज्ञान क्षेत्र का सबसे बड़ा पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार जीता है.