Rajasthan Pollution NGT Imposed Fine on Ricoh: आद्योगिक इकाइयों की तरफ से प्रदषूति पानी डिस्चार्ज करने की वजह से जोजरी, लूणी और बांडी नदियों (Rivers) का पानी दूषित हो गया है. ट्रीटमेंट प्लांट से पानी ट्रीट हुए बगैर नदियों में छोड़ा जा रहा है. मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रिको जोधपुर (Ricoh Jodhpur) व बाड़मेर पर 2-2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. एनजीटी (NGT) ने ये फैसला ग्राम पंचायत अराबा की ओर से दायर याचिका पर सुनाया है.


याचिकाकर्ता ने साल 2014 ने लगाई थी याचिका
याचिका दायर करने वाले जयदीप सिंह ने बताया कि अधिकारियों को सब पता है कि कौन कितना पॉल्यूशन फैला रहा है. अब NGT ने अपने आदेश में साफ कह दिया है कि पॉल्यूशन फैलाने वाली इंडस्ट्री पर भारी जुर्माना लगाया जाए और फिर भी नहीं मानें तो बंद कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि, आदेश में साफ कहा गया है कि वसूले जाने वाली जुर्माना राशि को इस पानी से हुए खराब वाले क्षेत्र में खर्च किया जाए, ताकि कुछ हद तक लोगों को हुए नुकसान की भरपाई हो सके. साथ ही पर्यावरण में भी सुधार हो सके. अब अगले 6 माह तक इस फैसले पर लिए जाने वाले एक्शन के बारे में रिपोर्ट NGT में पेश करनी होगी.


नदियों में छोड़ा जाता है प्रदूषित पानी 
बता दें कि जोधपुर की इंडस्ट्रीज से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी को जोजरी नदी में छोड़ा जाता है. ये पानी अराबा के समीप पहुंच खेतों में फैल जाता है. इस कारण से लोगों के खेतों की जमीन पूरी तरह से बंजर हो चुकी है. वहीं, भूजल भी प्रदूषित हो चुका है. बाड़मेर जिले के बालोतरा और पाली शहर में रंगाई-छपाई की इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी लूणी व बांडी नदी में छोड़ा जाता है.




8 साल से संघर्ष, अब जुर्माना
ग्राम पंचायत अराबा की ओर से 2014 में नदियों को प्रदूषित करने का मामला उठाते हुए एनजीटी में याचिका लगाई गई थी. इस पर लगातार सुनवाई हुई. इस पर नई दिल्ली की एनजीटी बेंच ने 25 फरवरी 2022 को फैसला सुरक्षित रखा था. अराबा ग्राम पंचायत ने याचिका में भारत सरकार, राजस्थान सरकार, बाड़मेर कलेक्टर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बाड़मेर व जोधपुर, रिको व बालोतरा जल प्रदूषण नियंत्रण व रिसर्च ट्रस्ट, जसोल वॉटर ट्रीटमेंट ट्रस्ट, बालोतरा स्थानीय प्रशासन व केंद्रीय भूजल अथॉरिटी को पक्ष बनाया था. 


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जुर्माना 15 दिन में भरने के आदेश
हाल ही में एनजीटी की ओर से जारी आदेश में जोधपुर-बाड़मेर प्रशासन व रिको पर 2-2 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही जिम्मेदार अथॉरिटीज को 30 सितंबर 2022 तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. ये भी कहा गया है कि जो डैमेज हुआ है, उसके लिए 2 महीने में प्लान बनाएं और 6 महीने में उसे लागू करें. साथ ही एक कमेटी बनाकर प्रभावित इलाकों का सर्वे करने के आदेश हैं. लोकल बॉडीज व अथॉरिटी पर जो जुर्माना लगाया गया है उसे 15 दिन में भरने के आदेश हैं. ऐसा नहीं होने की दशा में दोबारा नए सिरे से जुर्माना लगाने की बात कही गई है.


रोजाना 300 मिलियन लीटर रसायन युक्त पानी छोड़ा जाता है
बाड़मेर की ग्राम पंचायत अराबा की ओर से एनजीटी को बताया गया कि इन नदियों में रोजाना 300 मिलियन लीटर रसायन युक्त पानी छोड़ा जाता है. कहा गया कि जोधपुर क्षेत्रीय इंडस्ट्रियल हब है, यहां पर बड़ी संख्या में टैक्सटाइल के डाई व प्रिंटिंग का कार्य होता है. बड़ी संख्या में स्टील री-रोलिंग मिल्स भी हैं इनसे केमिकल युक्त पानी निकलता है. इस पानी को ट्रीट करने की सही सुविधा उपलब्ध नहीं है, ऐसे में इसे जोजरी नदी में बहा दिया जाता है.


सख्त एक्शन लिया जाए
एनजीटी ने जोधपुर व बाड़मेर के जिला कलेक्टर को आदेश दिया कि वो एक सर्वे करवा कर रिपोर्ट तैयार करें कि कौन सी इंडस्ट्री से कितना केमिकल युक्त पानी छोड़ा जा रहा है. इसके लिए पॉल्यूशन बोर्ड व सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की एक टीम इस पर लगातार निगाह रखे. नियमों की अवहेलना करने वाली इंडस्ट्री पर भारी जुर्माना लगाया जाए. इसके बावजूद भी यदि नियमों की पालना नहीं की जाती है तो उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए.


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