NEET-UG Date 2024: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से आयोजित की जा रही देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 में आवेदन की तिथि बढ़ने के बाद एक और इनफोर्मेशन बुलेटिन जारी किया गया. इसमें एक बार फिर टाइ ब्रेकिंग के नियम बदलने की बात कही गई है. करियर काउंसलिंग एक्सपर्ट परिजात मिश्रा ने बताया कि इस नोटिफिकेशन के अनुसार अब टाइ ब्रेकिंग होने की स्थिति में अब कम्प्यूटर से लॉटरी नहीं निकाली जाएगी.
परीक्षा के लिए अब तक 26 लाख से अधिक स्टूडेंट्स आवेदन कर चुके हैं. यह परीक्षा 5 मई को देश के 554 और 14 विदेशी शहरों में आयोजित की जा रही है. पेन पेपर मोड पर होने वाली इस परीक्षा के लिए इस साल नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने ट्राई ब्रेकिंग क्राइटेरिया में बदलाव किया था. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने टाई बेकिंग क्राइटेरिया में कंप्यूटर से लॉटरी निकलने का नियम डाला था.
नीट-यूजी में सात नियम बदले गए
करियर काउंसलिंग एक्सपर्ट परिजात मिश्रा ने बताया कि एनटीए के नए नियमों के अनुसार ब्रेकिंग नियमों के अनुसार मेरिट लिस्ट में ऑल इंडिया रैंकिंग या एक ही परसेंटाइल पर कई विद्यार्थियों के आने पर रैंक का फैसला अब कंप्यूटर लॉटरी (ड्रॉ) से नहीं होगा. अब टाई ब्रेकिंग के 7 नियम जारी किए हैं. इससे पहले नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 9 फरवरी को टाई ब्रेकिंग के लिए निर्देश जारी किए गए थे.
इस तरह होगी रैंक निर्धारित
नीट यूजी में हर वर्ष ऐसे हजारों स्टूडेंट्स सामने आते हैं, जिनके एक समान परसेंटाइल और अंक आते हैं. बॉयोलॉजी में अधिक अंक प्राप्त करने वाले को बेहतर रैंक दी जाएगी. फिर से टाई होने पर केमिस्ट्री में अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को बेहतर रैंक मिलेगी.
इसके बाद भी टाई होने पर फिजिक्स में अधिक अंक लाने करने वाले को प्राथमिकता दी जाएगी. तीनों नियम में टाई होने पर गलत व सही जवाब का अनुपात कम होगा, उसे बेहतर रैंक दी जाएगी. फिर से टाई होने पर बायोलॉजी विषय में इनकरेक्ट और करेक्ट आंसर्स का कम अनुपात बेहतर रैंक निर्धारित करेगा.
केमिस्ट्री विषय में गलत और सही जवाब के कम अनुपात से बेहतर का निर्धारण होगा. अंत में फिजिक्स विषय में गलत और सही आंसर्स का कम अनुपात बेहतर रैंक निर्धारित करेगा. इससे पूर्व नियमों में सबसे पहले बायोलॉजी के नंबर और परसेंटाइल, इसके बाद केमिस्ट्री, उसके बाद फिजिक्स के नंबर, इन सब में अंक और परसेंटाइल समान होने पर कंप्यूटर और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के जरिए अंक और फिर कम्प्यूटर से लॉटरी में निकालकर रैंक तय करने का नियम रखा गया था.
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