वन नेशन वन इलेक्शन पर सचिन पायलट की बड़ी भविष्यणवाणी, कहा- 'संसद में...'
One Nation One Election: सचिन पायलट ने कहा कि संसद में संख्या पर्याप्त नहीं होने के कारण उन्हें वन नेशन वन इलेक्शन पर यू-टर्न लेना पड़ेगा.
Sachin Pilot On One Nation One Election: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. वहीं मोदी कैबिनेट से इसे मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के तमाम नेताओं की इस पर प्रतिक्रिया सामने आ रही है. इस बीच राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट ने कहा कि इसे सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने के लिए लाया जा रहा है.
सचिन पायलट ने कहा, "वन नेशन वन इलेक्शन जैसे कई मुद्दे हैं जिन्हें भारत सरकार लाने की कोशिश करती है और आखिरकार उन्हें यू-टर्न लेना पड़ता है, क्योंकि संसद में संख्या पर्याप्त नहीं होने के कारण उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. यह उन मुद्दों में से एक है जिसे केवल लोगों के ध्यान को भटकाने के लिए लाया जा रहा है.
#WATCH | Jammu: On One Nation, One Election, Congress leader Sachin Pilot says, "There are many issues that the Government of India tries to bring in and they ultimately take a U-turn because they're forced to do it because the numbers are not sufficient in Parliament. This is… pic.twitter.com/uyT2LBEkcP
— ANI (@ANI) September 18, 2024
'लेना पड़ेगा यू-टर्न'
सचिन पायलट ने आगे कहा, "आज जम्मू और कश्मीर में मतदान का पहला चरण है. वे हरियाणा की तरह राज्य में पिछड़ रहे हैं. इसलिए मुझे लगता है कि लोगों के दिमाग को भटकाने के लिए वे इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं. संसद के मौजूदा समीकरण के साथ ऐसा करना उनके लिए संभव नहीं है, लेकिन उन्होंने इसे कैबिनेट में पारित कर दिया है. उन्होंने पहले भी यू-टर्न लिए हैं. इस पर भी उनकी तरफ से यू-टर्न होगा."
कोविंद समिति की सिफारिशों को मिली मंजूरी
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी मिल गई है. कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था. समिति ने 191 दिन तक राजनीतिक दलों और विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी.