Jalore: राजस्थान में नए जिलों को रद्द करने पर विपक्षी नेताओं ने दी प्रतिक्रिया, बीजेपी पर लगाए कई आरोप
Jalore News: अस्तित्व में आने के सोलह महीने बाद सांचौर के जिले को निरस्त कर दिया गया है. अब फिर से जालोर का प्रशासनिक दायरा बढ़ गया है. इस बीच विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई है.
Jalore News: राजस्थान की मौजूदा प्रदेश सरकार ने शनिवार को बड़ा फैसला लेते हुए पूर्व की अशोक गहलोत सरकार में बने नए जिलों में 9 जिले और तीन संभाग को निरस्त कर दिया. जिसमें सांचौर को दिए गए जिले के दर्जे को निरस्त का फैसला हुआ है. हालांकि भजनलाल सरकार के इस बड़े फैसले को लेकर अब स्थानीय नेताओं सहित विपक्षी पार्टी के नेताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है. प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार की नए जिलों की घोषणा के बाद 7 अगस्त 2023 को सांचौर जिला अस्तित्व में आया था,
उस दौरान सांचौर में रानीवाड़ा, चितलवाना व बागोड़ा पंचायत समिति को भी मिलाया गया था, लेकिन रानीवाड़ा और बागोड़ा के कुछ लोग सांचौर में शामिल होने से इनकार करने लगे और धरना प्रदर्शन भी शुरू किया गया था, जिसे देखते हुए तत्कालीन विपक्षी पार्टी बीजेपी के नेताओं ने चुनावी प्रचार में कहा था कि जिलों की पुनः समीक्षा की जाएगी, उसके बाद जिले रखने, न रखने या दायरा बढ़ाने पर निर्णय किया जा सकता है.
कमेटी की समीक्षा के बाद लिया गया फैसला
कमेटी की समीक्षा के बाद अब 28 दिसम्बर 2024 को सांचौर का जिले का दर्जा निरस्त कर दिया, ऐसे में अब पुनः सांचौर जालोर जिले के प्रशासनिक दायरे में शामिल हो गया है. सूत्रों के मुताबिक प्रदेश की बीजेपी सरकार ने समीक्षा कमेटी गठित करने के दौरान सांचौर जिले को यथावत रखने की मंशा रखी थी, इसमें इसका दायरा बढाकर इसमें बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी क्षेत्र को सांचौर में शामिल करने की मंशा थी. जिससे पार्टी को राजनीतिक रूप से फायदा भी हो और सांचौर का भू-भाग भी पर्याप्त हो सके, लेकिन गुड़ामालानी की जनता ने इस पर बाड़मेर के साथ ही रखने की हिदायत दी. छेड़छाड़ करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी. इससे घबराई सरकार ने सांचौर जिला समाप्त करना ही मुनासिब समझा. ऐसे में पुराना जालोर जिला प्रशासनिक रूप से अस्तित्व में आ गया है.
'गहलोत सरकार के समय जनहित में लिया गया था फैसला'
राजस्थान राज्य जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के पूर्व अध्यक्ष पुखराज पाराशर ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा गहलोत सरकार के समय जनहित में बनाए गए 9 जिलों व 3 संभागों को समाप्त करने का निर्णय अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और जनता के हितों पर सीधा प्रहार है. यह निर्णय न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि जनता की उम्मीदों और विकास के सपनों के साथ कुठाराघात है. खासतौर पर सांचौर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि इसे जिला बनाया जाना न केवल जरूरी था, बल्कि क्षेत्र की जनता की वर्षों पुरानी मांग थी. सांचौर का बड़ा क्षेत्रफल, दूर-दराज के गांवों की समस्याएं और अन्य क्षेत्रीय मुद्दे इसे जिला बनाए जाने की प्राथमिकता में रखते हैं.अच्छा होता और नए जिले घोषित होते,जिसमे भीनमाल भी होता. कांग्रेस इसके लिए मजबूती से लड़ाई जारी रखेगी.
'सरकार के इस निर्णय से जनता में आक्रोश'
पूर्व राज्य मंत्री व पूर्व सांचौर विधायक सुखराम विश्नोई ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से जनता में आक्रोश है. सरकार ने तिजारा, डीग, सलूम्बर जैसे जिले रखे है तो सांचौर से क्या दिक्कत थी. डीग तो भरतपुर के नजदीक है, जबकि सांचौर तो जालोर से काफी दूर भी है. सूखा बंदरगाह जैसे प्रोजेक्ट के लिए नजदीक जिला मुख्यालय सहूलियत रहती. इसके लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी.
जालोर कांग्रेस प्रवक्ता योगेंद्रसिंह कुम्पावत ने कहा कि भजनलाल सरकार द्वारा कांग्रेस सरकार में बनाये गये नये संभाग एवं जिलों को निरस्त करने का निर्णय आमजन के हितों पर व्यापक प्रहार है. प्रदेश की जनता को अपने प्रशासनिक कार्यों को और अधिक जटिल बनाने जैसा है. सांचौर की दूरी जालोर से लगभग 150 किलोमीटर है. सांचौर का अंतिम गांव जिला मुख्यालय से करीब 200 किलोमीटर दूर है. ऐसी परिस्थितियों में सांचोर जिला समाप्त करना दूर दराज निवास करने वाले ग्रमीणों को प्रशासनिक कार्यों हेतु परेशानी का सामना करना पड़ेगा. सरकार का यह निर्णय आमजन को तकलीफ पहुंचाने जैसा निर्णय है.
रानीवाड़ा ओर बागोड़ा का होगा नवगठन!
पूर्व सांसद देवजी एम पटेल ने कहा कि हम तो चाहते थे कि सांचौर जिला रहे, लेकिन कुछ नियमों को देखते हुए सरकार इसे निरस्त करने का निर्णय किया है. रानीवाड़ा ओर बागोड़ा के लोगों का भी विरोध था, हम इसकी पुनः समीक्षा करवाकर जनता के हित में निर्णय करवाएंगे. साथ ही जिला बनाने के नियमों को ध्यान में रखकर इसका नवगठन करवाएंगे.
बीजेपी जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव ने कहा कि हम तो चाहते थे कि सांचौर जिला बना रहे, लेकिन पूर्व की कांग्रेस सरकार ने रानीवाड़ा और बागोड़ा के जनप्रतिनिधियों की बिना सहमति लिए निर्णय किया, जिस कारण सांचौर जिले के पैरामीटर पर खरा नहीं उतर पाया. जब सरकार पुनर्गठन करेगी तो हमारी कोशिश रहेगी कि सांचौर को जिले के रूप में वरीयता दी जाए.
रिपोर्ट-हीरालाल भाटी
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