Hussain Brothers Padma Shri Award: पद्मश्री के लिए चुने गए दोनों सगे भाई उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन (Hussain Bandhu) का कहना है कि सरकारों का नजरिया बहुत अच्छा होता है बशर्ते जिस कलाकार ने जो कुछ किया हो उसके काम को वहां तक पहुंचाने वाले लोग होने चाहिए. सरकार अपनी तरफ से तो कुछ करती नहीं है. उन्होंने कहा कि आजकल अगर देखा जाए तो इसके लिए विधिवत समितियां बनाई हुई हैं और उस समिति के जरिये आपके नाम सरकार तक पहुंचते हैं.
उनमें चयन करने वाले लोग आप के काम को जिस नजर से देखते हैं उस तरह से आप का काम होता है. हुसैन भाइयों ने कहा कि सरकारें अच्छा काम कर सकती हैं और कर भी रही हैं. उस्ताद अहमद हुसैन का कहना है कि हमें उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा भरोसा है कि जितने अच्छे कलाकार हैं उन सभी को एक न एक दिन जरूर पुरस्कार मिलना चाहिए या यूं कहें मिलेगा. उन्होंने पद्मश्री मिलने पर ख़ुशी जाहिर की.
पिता की सीख आई काम
उस्ताद अहमद हुसैन ने कहा कि संगीत एक अध्यात्म है. संगीत के लिए अवॉर्ड बने हैं न कि अवॉर्ड के लिए संगीत. ये अवॉर्ड ऊपर वाले की देन है. उन्होंने कहा कि हमारा जो 60 साल का संघर्ष रहा, अब यह अवॉर्ड हमें ख़ुशी दे रहा है. इस अवॉर्ड ने हमारा नहीं हमारे गुरुओं और हमारे श्रोताओं का भी सम्मान किया है. सरकार के इस अवॉर्ड से हमें बहुत ख़ुशी हो रही है.
वहीं छोटे भाई मुहम्मद हुसैन ने कहा कि हमारे पिता, हमारी माता जी से कहते थे कि गुरुकुल में इन्हें पुत्र बनाकर नहीं शिष्य बनाकर भेजना. इनकी अपनी पहचान होनी चाहिए. किसी को कॉपी नहीं करना है. ये सीख हमेशा काम आई. अपनी अलग राह बनाना. हर प्रोग्राम को पहला प्रोग्राम समझना. जो अच्छा हो उसे गुरुओं और बड़ों को समर्पित करना. जो गलती हो वो तुम्हारी अपनी है. ये नसीहत हुसैन बंधु के पिता की थी.
सितारा बुआ ने दिलाया ब्रेक
उस्ताद अहमद हुसैन ने बताया कि संगीत की शिक्षा हमने अपने पिता से ली. उन्होंने कहा कि हमारे पिता का कहना था कि दोनों भाई मिलकर गाना और हम दोनों वही कर रहे हैं. शुरू के दिनों में जब हम सीख रहे थे, उस दौरान हम प्रोग्राम भी करते थे लेकिन उस दौरान कार्यक्रम करने के पैसे नहीं मिलते थे. जो खुश होकर नजराना दे दिया वहीं बहुत होता था.
अब तो पेमेंट तय होता है. उस्ताद अहमद हुसैन ने बताया कि 1978 में जयपुर के खासाकोठी में एक कार्यक्रम में मेहंदी हसन और सितारा देवी भी आई थीं वहां पर उनसे मुलाकात हुई. बुआ सितारा देवी के कहने पर हम दोनों मुंबई गए. वहां पर 'कल के कलाकार' कार्यक्रम में हमने अपना गाना मैं हवा हूं...पेश किया. उसके बाद से हमारी गाड़ी चल पड़ी. सितारा बुआ, हमें रिकॉडिंग कम्पनी ले गईं. 1979 में कल्याण जी आनन्द से मुलाकात हुई, वहीं हमारी रिकॉर्डिंग हुई.
युवा कलाकारों को दिया ये संदेश
हुसैन बंधुओं ने युवा कलाकारों को सीख देते हुए कहा कि अपनी पूरी शिक्षा ठीक से लीजिये. पहले काम, फिर नाम और दाम पर फोकस करना चाहिए. चकाचौंध में नहीं खोना चाहिये. मेहनत बहुत लम्बी करनी होगी. कुछ भी आसानी से नहीं मिलता. हुसैन बंधुओं ने कहा कि हम दोनों भाइयों ने अपनी ही गजल गाई है, लेकिन हम कॉपी करने से बचते हैं.
दोनों भाइयों का कहना है कि सभी अच्छे कलाकारों को एक न एक दिन जरूर अवॉर्ड मिलेगा. सरकार हमेशा अच्छा करती हैं. सभी मेहनत करने वाले कलाकारों को अवॉर्ड मिलेगा.
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