राजस्थानी भाषा को मान्याता दिलाने के लिए 50 साल से संघर्ष कर रहे हैं पद्मश्री डॉ अर्जुन सिंह शेखावत, अब कह दी है बड़ी बात
Rajasthan News: 90 साल के डॉ अर्जुन सिंह शेखावत ने कहा है कि राजस्थानी भाषा को जल्द मान्यता नहीं दी गई तो वो अपना पद्मश्री (Padma Shri) लौटा देंगे और संसद भवन के सामने अनशन पर बैठेंगे.
Dr Arjun Singh Shekhawat Struggle For Rajasthani Language: राजस्थान (Rajasthan) के पाली (Pali) जिले के देवली गांव के रहने वाले 90 वर्षीय पद्मश्री साहित्यकार डॉ अर्जुन सिंह शेखावत (Dr Arjun Singh Shekhawat) पिछले 50 साल से राजस्थानी भाषा (Rajasthani Language) को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मंगलवार को शेखावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) को पत्र भेजा है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि राजस्थानी भाषा को जल्द मान्यता नहीं दी गई तो वो अपना पद्मश्री (Padma Shri) लौटा देंगे और संसद भवन के सामने अनशन पर बैठेंगे. शेखावत को 9 नवंबर 2021 को राजस्थानी साहित्य और शिक्षा के लिए राष्ट्रपति ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था. उस दौरान भी शेखावत ने पीएम मोदी से मिलकर राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की मांग रखी थी.
केंद्र सरकार ही दे सकती है मान्यता
पद्मश्री साहित्यकार डॉ अर्जुन सिंह शेखावत ने कहा कि राज्य की ओर से विधानसभा से बिल पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है. अब केंद्र सरकार ही राजस्थानी भाषा को मान्यता दे सकती है. केंद्र सरकार को मैंने पत्र लिखा है और उसमें मांग की है कि जल्द से जल्द राजस्थानी भाषा को मान्यता दी जाए, अन्यथा मैं अपना पद्मश्री लौटा दूंगा, साथ ही संसद भवन के आगे अनशन पर बैठूंगा.
लिख चुके हैं 40 से ज्यादा पुस्तकें
राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर पैरवी करने वाले अर्जुन सिंह शेखावत प्रदेश के जाने-माने साहित्यकार हैं. शेखावत राजस्थानी में 40 से ज्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं. आदिवासियों पर लिखी 'भाखर रा भोमिया' इनकी चर्चित पुस्तकों में से एक है. अर्जुन सिंह शेखावत का जन्म पाली जिले के गांव देवली पाबूजी में 5 फरवरी 1934 को हुआ था. इन्होंने साल 1967 में आदिवासी बाहुल्य बाली इलाके में अध्यापक के रूप में कार्य किया, फिर उप जिला शिक्षा अधिकारी पद पर भी रहे. शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में अर्जुन सिंह शेखाव को 2021 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था.
संविधान की आठवीं अनुसूची में हैं 22 भाषाएं
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं. इनमें असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली, डोंगरी भाषा शामिल हैं.
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