अजमेर में जन्मे Parag Agrawal ने दुनिया में लहराया परचम, जानिए कैसे तय किया ट्विटर के सीईओ बनने तक का सफर
पराग अग्रवाल का जन्म 21 मई 1984 को राजस्थान के अजमेर शहर के सरकारी जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में हुआ था. पराग ने IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बी टेक की पढ़ाई की.
राजस्थान के अजमेर में जन्मे पराग अग्रवाल ने अपने टैलेंट के दम पर दुनियाभर में अपना परचम लहराया है. उन्हें माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर का नया सीईओ बनाया गया है. दरअसल पराग का परिवार सालों तक अजमेर के धानमंडी और खजाना गली में किराए के मकान में रहा. उनके पिता की जॉब के चलते वे मुंबई शिफ्ट हुए और वहीं पर पराग की शिक्षा हुई. अजमेर में यहां उनके मकान मालिक व पड़ोसियों की मानें तो पराग के दादाजी मुनीम का काम करते थे. उनके परिवार ने बहुत संघर्ष कर अपना जीवन जिया. आज उनकी इस कामयाबी से सभी बहुत खुश है.
अजमेर के सरकारी अस्पताल में हुआ जन्म
पराग अग्रवाल का जन्म 21 मई 1984 को राजस्थान के अजमेर शहर के सरकारी जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में हुआ था. तब पराग के पिता रामगोपाल अग्रवाल मुंबई में बीएमआरसी में कार्यरत थे, लेकिन तब उनके माता-पिता यानी पराग के दादा-दादी अजमेर के धानमंडी क्षेत्र में किराए के मकान में रहते थे. तब रामगोपाल अग्रवाल की ऐसी स्थिति नहीं थी कि वे मुंबई के किसी प्राइवेट अस्पताल में पत्नी की डिलीवरी करवाएं. यही वजह रही कि अग्रवाल ने पत्नी को अपने माता-पिता के पास अजमेर भेजा और डिलीवरी के लिए जेएलएन अस्पताल में भर्ती करवाया. तब शायद किसी को पता नहीं था कि सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाला यह बच्चा एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक ट्विटर का सीईओ बनेगा.
25 साल तक किराए के मकान में रहा परिवार
पराग अग्रवाल ने अपने टैलेंट से भारत का ही नहीं बल्कि अजमेर का नाम भी दुनिया भर में रोशन कर दिया है. खजाना गली में करीब 25 सालों तक पराग के दादाजी रामचन्द्र अग्रवाल एक कमरा किराए पर लेकर रहे. उस समय गरीब परिवार की श्रेणी में ही थे. उन्होंने बहुत संघर्ष कर परिवार का पालन पोषण किया. बाद में वे धानमंडी वाले मकान में किराए पर रहने लगे. इसके बाद उनकी जॉब लग गई तो वे मुंबई शिफ्ट हो गए. पराग को पढ़ाया लिखाया और आज वे इस स्थिति में है तो बहुत खुशी हो रही है.
1979 में अजमेर से हुए शिफ्ट
धान मंडी क्षेत्र में रहने वाले अविनाश गोयल ने बताया उनके दादा-दादी ओर माता पिता उनके मकान में उनके साथ रहा करते थे, लेकिन 1979 में उन्होंने यहां से मकान खाली कर दूसरे मकान में चले गए. वहां जाने के कुछ दिनों बाद पराग का जन्म हुआ और उनके जन्म के कुछ सालों बाद ही वह अजमेर से भी चले गए थे. धानमंडी वाला मकान काफी से खाली पड़ा है. पड़ोसियों ने बताया कि वे पराग के दादा रामचन्द्र को जानते थे और वे यहां कुछ सालों तक रहे. इसके बाद वे मुंबई शिफ्ट हो गए. अग्रवाल समाज के अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि पराग के सीईओ बनने से अजमेर व देश का नाम रोशन हुआ और यह बडे़ गौरव की बात है. उनके माता-पिता चार दिसंबर को अजमेर आएंगे और उनका स्वागत किया जाएगा.
10 सालों से ट्विटर में कर रहे काम
पराग अग्रवाल ने IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बी टेक की पढ़ाई की और इसके बाद स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की. पराग की 10 साल से ट्विटर कंपनी से जुड़े हुए हैं. उन्होंने एक विशेष सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में ट्विटर ज्वाइन किया था. ट्विटर ने उन्हें 2018 में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बनाया. ट्विटर से पहले पराग माइक्रोसॉफ्ट, याहू और एटीएंडटी लैब्स के साथ काम कर चुके हैं.
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