Jaipur News: राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) सरकार के चुने जाने के 4 साल पूरे हो रहे हैं. अभी भी संगठनात्मक नियुक्तियों का पदाधिकारियों को इंतजार बना हुआ है. 2 साल पहले राजस्थान में गहलोत सरकार पर राजनीतिक संकट आया था. संकट के दौरान खाली हुए पदों पर आज तक नियुक्ति नहीं हो पाई है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट जुलाई 2020 में नाराज होने के बाद मानेसर के रिसोर्ट में जाकर बैठ गए थे. जिससे गहलोत सरकार संकट में आ गई थी. उस दौरान 25 दिन तक चले संघर्ष के बाद कांग्रेस की गहलोत सरकार तो बच गई, लेकिन राजस्थान कांग्रेस का संगठन उस घटना में पूरे तरीके से छिन्न-भिन्न हो गया था.
संगठन नहीं हो पाया है तैयार
देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी के इतिहास में शायद यह घटना पहली बार हुई होगी कि किसी प्रदेश के पीसीसी चीफ यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और सेवा दल को बगावत के आरोपों के चलते पदों से हटाया गया हो, और पूरी की पूरी कार्यकारिणी को भी बंद कर दिया गया हो. हालात यह रहे थे कि थे जुलाई 2020 के बाद 6 महीने तो ऐसे रहे जब राजस्थान कांग्रेस के संगठन के नाम पर केवल केवल प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ही पदाधिकारी है. इसके 6 महीने बाद उन्हें 40 पदाधिकारी और करीब एक साल बाद 13 जिलाध्यक्ष तो मिले, लेकिन करीब सवा 2 साल गुजर जाने के बाद भी राजस्थान में कांग्रेस का संगठन तैयार नहीं हो सका है.
सचिन पायलट कर रहे सीएम पर जुबानी हमला
राजस्थान कांग्रेस संगठन में जिला अध्यक्ष जिला कार्यकारिणी ब्लॉक अध्यक्ष ब्लाक कार्यकारिणी और पहली बार बीजेपी की तर्ज पर बनाए जाने वाले मंडल अध्यक्ष और मंडल कार्यकारिणी की घोषणा कभी भी की जा सकती है, लेकिन करीब डेढ़ महीने पहले 25 सितंबर को राजस्थान में फिर से हुए सियासी उठापटक के बाद अब एक बार फिर संगठनात्मक नियुक्तियों पर ब्रेक लगता नजर आ रहा है. टोंक विधायक सचिन पायलट लगातार सीएम अशोक गहलोत और उनके करीबियों पर हमला बोल रहे हैं, साथ ही अब तो खुलकर मोर्चा खोलते हुए आलाकमान से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
सीएम अशोक गहलोत खोल सकते हैं पिटारा
पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि जल्द ही संगठनात्मक नियुक्ति कर दी जाएगी. यह बात कई बार पीसीसी चीफ लेकर प्रदेश प्रभारी तक बोल चुके हैं. अभी तक उनकी ये भविष्यवाणियां सिरे नहीं चढ़ पाई है. राजस्थान मैच चल रहे सियासी घमासान को देखते हुए लग रहा है कि संगठनात्मक नियुक्तियों के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. राजस्थान के मुख्यमंत्री और पार्टी के मंत्री और नेता विधायक लगातार दावा कर रहे हैं कि हमारी सरकार राजस्थान में रिपीट होगी और राजस्थान में नया इतिहास लिखेंगे. इतिहास लिखने के लिए संगठन की मजबूती की जरूरत है. वहीं इस समय राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में एक साल बाकी है. संगठनात्मक नियुक्तियों का पदाधिकारी इंतजार कर रहे हैं, हालांकि संभावना जताई जा रही है कि गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में संगठनात्मक और राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे पदाधिकारियों के लिए सीएम गहलोत पिटारा खोल सकते हैं.