Rajasthan Politics: राजस्थान (Rajasthan) में इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने हैं और जैसे-जैसे चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे मौजूदा कांग्रेस (Congress) सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सूबे में सत्ता वापसी की सियासी रणनीति बना रहे हैं और दूसरी तरफ उन्हीं की पार्टी के नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) उनकी चालों को चुनौती दे रहे हैं. दोनों के बीच तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाला खेल हो रहा है. इस बीच बीजेपी (BJP) और अन्य विपक्षी पार्टियां अपने खेल के जरिए चुनावी जीत के जुगाड़ में जुटी है.


गुर्जर समाज में पायलट का वर्चस्व


सूबे की सियासत में सक्रिय सचिन पायलट हाल ही पांच जिलों में किसान सम्मेलन (Kisan Sammelan) करने के बाद एक बार फिर नए सफर की उड़ान भरने के लिए तैयार हैं. खबर है कि अब वह गुर्जर बाहुल्य इलाकों का दौरा करेंगे. समाज के बीच जाकर अपनी बात करेंगे. जगजाहिर है कि राजस्थान में सचिन पायलट गुर्जर समाज (Gurjar Community) के सबसे बड़े नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. गुर्जर वोटर भी उनका सम्मान करते हुए साथ देते हैं. जिस तरह बीजेपी में मोदी के नाम की लहर है उसी तरह गुर्जर समाज में पायलट के नाम की बयार बहती है. यही वजह है कि गुर्जर समाज को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है और यही वजह रही कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 9 गुर्जर प्रत्याशियों में से एक भी नेता की जीत नहीं हुई. अभी प्रदेश में मौजूदा आठों गुर्जर विधायक कांग्रेस से जुड़े हैं.


सूबे के 14 जिलों में गुर्जरों का प्रभाव


राजस्थान के 14 जिलों में गुर्जरों का प्रभाव है. इन जिलों में 12 लोकसभा क्षेत्र और 40 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इन जिलों में किसी भी नेता की जीत-हार का फैसला गुर्जर ही करते हैं. इतना ही नहीं, सूबे की सरकार बनाने, बिगाड़ने और बचाने में भी गुर्जरों का अहम रोल रहता है. पिछली बार गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी का सूपड़ा हो गया था. एक भी जीत बीजेपी की झोली में नहीं है. गुर्जर समाज ने एकतरफा कांग्रेस को समर्थन दिया. इसकी मुख्य वजह यह रही कि उन्हें उम्मीद थी कि गुर्जर नेता सचिन पायलट सीएम बनेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और सीएम की कुर्सी पर गहलोत ही बैठे. तब से गुर्जर समाज मौजूदा कांग्रेस सरकार से खफा है.


पीएम मोदी का मैजिक बनेगा कांग्रेस के लिए खतरा?


बता दें कि राज्य के विधानसभा चुनाव से पहले मौजूदा गहलोत सरकार से नाराज गुर्जर समाज को मनाने और उन्हें कांग्रेस से अलग कर अपना बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कवायद शुरू कर दी है. कई दशक से मनाए जा रहे भगवान देवनारायण के जन्म महोत्सव में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) खुद शामिल होने आ रहे हैं. वे यहां आगामी 28 जनवरी को राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara) जिले में स्थित मालासेरी डूंगरी (Malaseri Dungari) पर भगवान देवनारायण (Bhagwan Devnarayan) मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. देव दरबार में दर्शन के बाद विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे. माना जा रहा है कि अगर पीएम मोदी का मैजिक चल गया तो गहलोत सरकार के लिए मुश्किल हो सकती है.


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