Chittorgarh: PM सूर्योदय योजना के पीछे है इस युवा वैज्ञानिक का भी आइडिया? जानें रिसर्च से जुड़ी पूरी कहानी
PM Suryoday Yojana: पीएम मोदी ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा की. चित्तौड़गढ़ के युवा वैज्ञानिक नितेश तिवारी ने बताया कि इसमें उनका रिसर्च भी शामिल है.
Rajasthan News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से लौटने के बाद प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा की थी. जिसके बाद इस योजना की चर्चाएं जोरों पर है. क्योंकि 1 करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे. उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ जिले के रहने वाले युवा वैज्ञानिक नितेश तिवारी ने बताया कि इसमें उनका रिसर्च भी शामिल है. नितेश का कहना है कि मैंने सुझाव दिए और सभी आईएएस अधिकारियों ने इन सुझावों को माना लेकिन केंद्र इस पर पहले विचार कर रहा था. जानिए क्या है इसके पीछे कहानी.
8 युवा वैज्ञानिकों में चयनित हुए थे नितेश
केंद्र सरकार ने पिछले साल बड़े चैलेंज की समस्याओं से निपटने के लिए युवा वैज्ञानिकों की भर्ती निकाली थी. इसमें भर्ती के लिए देशभर के युवाओं ने आवेदन किया था. हजारों युवाओं में से 8 युवाओं का चयन हुआ. इन 8 युवाओं में चित्तौड़गढ़ जिले के रहने वाले नितेश तिवारी भी हैं. राजस्थान में से सिर्फ नितेश तिवारी का चयन हो पाया था. नितेश अभी दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में बीटेक कर रहे हैं. वो कंप्यूटर साइंस के दूसरे वर्ष में हैं.
रिसर्च का टॉपिक मिला ग्लोबल वार्मिंग
नितेश तिवारी ने बताया कि हमारा अपॉइंटमेंट 3 माह के लिए हुए था. इसमें सरकार हमें 10 हजार रुपए प्रतिमाह की स्कॉलरशिप के अलावा अन्य खर्चे दे रही थी. तीन माह में हमे अलग-अलग विषयों पर रिसर्च कर सबमिट करना था और उससे कैसे निपटा जा सके उसके सुझाव सुझाव भी देने थे. मुझे विषय मिला था ग्लोबल वार्मिंग. इसके लिए रिसर्च शुरू की. इसके लिए कई सरकारी वेबसाइट से आंकड़े जुटाए. नेशनल थर्मल पावर प्लांट भी विजिट की. 3 माह में अपनी फाइंडिंग पूरी की. नितेश का कहना है कि मैंने सुझाव दिए और सभी आईएएस अधिकारियों ने इन सुझावों को माना लेकिन केंद्र इस पर पहले विचार कर रहा था.
नितेश ने एबीपी को बताया कि अपनी रिसर्च की फाइंडिंग के दस्तावेज पेश किए जिसमें सुझाव भी दिया कि एनर्जी जनरेट से निकलने वाली जहरीली गैसों से कैसे निजात पा सकते हैं. इसमें सुझाव दिया कि भारत में लगभग 71 प्रतिशत बिजली थर्मल पावर प्लांट से बनती है. इससे जहरीली गैस उत्सर्जित होती हैं, जो नुकसानदायक है. सुझाव में बताया गया कि थर्मल पावर प्लांट को रिन्यूएबल पावर प्लांट में बदलने पर विचार करना चाहिए. दूसरा सुझाव यह दिया कि जहरीली गैसों को सीधे वातावरण में उत्सर्जित करने की बजाए कम हानिकारक पदार्थों में बदलना जरूरी है. बड़े सोलर एनर्जी प्लांट की जगह रूफ टॉप सोलर सिस्टम पर विचार करना चाहिए. इन्हीं सुझावों से पर्यावरण को फायदा होगा.
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