Jaisalmer: परमाणु नगरी पोखरण की इस खास मिठाई को एक्सपेरिमेंट के तौर पर किया गया था तैयार, आज है वर्ल्ड फेमस
Rajasthan News: पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम के साथ कई बॉलीवुड और राजनीतिक हस्तियों ने चमचम मिठाई का स्वाद लिया है. इस मिठाई की बिक्री हर साल 20 करोड़ रुपये है.
Pokhran Sweets: पश्चिमी राजस्थान का जैसलमेर जिला (स्वर्ण नगरी) देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों के लिए खास है. अगर आप जैसलमेर घूमने जा रहे हैं और मीठा खाने के शौकीन हैं, तो यहां की चमचम मिठाई जरूर खायें. ऐसा भी कहा जाता है कि कोई भी पोखरण आए और वो चमचम का स्वाद ना ले, ऐसा कम ही देखने को मिलता है. पोखरण में मिलने वाली खास मिठाई चमचम हर दिन करीब 10 से 12 लाख रुपये और प्रतिवर्ष करीब 15 से 20 करोड़ रुपये की बिक्री होती है. पहले केवल छेने की मिठाई के रूप में सादी चमचम ही तैयार होती थी, अब चमचम में केसर भी मिलाई जाती है.
पोखरण में बनने वाली चमचम मिठाई का निर्माण हस्तीमल सेवक की ओर से 7 दशक पहले अपनी होटल पर एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर किया गया था. इसका स्वाद लोगों के जहन में ऐसा बैठा कि इसे बहुत पसंद किया जाने लगा और इसकी मांग बढ़ने लगी. 70 वर्ष पहले रतनगढ़ निवासी सूरजमल सेवग जो रेलवे में नौकरी करते थे, उन्होंने सबसे पहले इस छेने की मिठाई को बनाया था. दूध से बनने वाली मिठाई चमचम सबसे पहले पोखरण में बनाना शुरू हुआ.
बड़े-बड़े दिग्गज ले चुके हैं स्वाद
पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम के साथ कई बॉलीवुड और राजनीतिक हस्तियों ने इस चमचम मिठाई का स्वाद लिया है. वर्ष 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए गए थे. इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति और उस समय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कई दिनों तक अपनी पहचान छुपाकर खेतोलाई गांव में सैनिकों के वेश में रहे थे. इस दौरान वे कई बार पोखरण भी आए और चमचम मिठाई का स्वाद भी लिया. पोखरण में द स्टोरी ऑफ पोखरण फिल्म की शूटिंग की हुई. इस दौरान चमचम मिठाई के स्वाद को भी फिल्माया गया. फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम ने भी इसका स्वाद लिया. इसके अलावा कई अभिनेताओं और राजनेताओं के साथ देश के नामी-गिरामी हस्तियों ने भी चमचम का स्वाद चख कर परमाणु नगरी पोखरण को नई पहचान दिलाई.
चमचम को बनाने के लिए दूध को फिटकरी से फाड़ कर उसका छेना तैयार किया जाता है. उसके बाद उस छेने को छोटे छोटे बेलनाकार आकार देकर शक्कर की चासनी में पकाया जाता है. चासनी में पकने के बाद उसके अंदर स्पंज की तरह जाली पड़ जाती है. उसके ठंडा होने के बाद उस पर मावे का बुरादा लपेटकर बेचने के लिए रखा जाता है. करीब 1 किलो छेना बनाने के लिए 4 से 5 किलो दूध, 20 ग्राम फिटकरी और 1 तोला अरेटा और करीब दो सौ ग्राम मावे का बुरादा काम में आता है.
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