Jodhpur News: कमिश्नरेट पुलिस ने जोधपुर से दो साइबर ठगों को पकड़ने में सफलता हासिल की है. दोनों ने लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाते हुए करोड़ों की संपत्ति बनाई और जमीनें खरीदीं. सबसे बड़ी बात ये है कि पुलिस ने दोनों को झारखंड-बिहार के बॉर्डर पर नक्सली इलाके में बसे गांव लोधरातरी से पकड़ा है. पुलिस ने इन्हें पकड़ने के लिए बकायदा सात दिन तक वहां पर कैंप किया. अब दोनों को गिरफ्तार कर जोधपुर लाया गया है. दोनों की धरपकड़ में साइबर एक्सपर्ट की टीम को लगाया गया. शातिरों ने जोधपुर के एक व्यक्ति से 8.19 लाख की ठगी मई के महीने में की थी.


आरोपियों की धरपकड़ के लिए बनाई गई 6 लोगों की टीम
रातानाडा थानाधिकारी भारत रावत ने बताया कि दोनों आरोपी गिरिडीह जिले के बैंगनद गांव के रहने वाले हैं, जिनमें से एक मंट यादव पुत्र रामदेव यादव और दूसरा पप्पू यादव पुत्र बाबूलाल यादव है. ठगों को पकड़ने के लिए साइबर एक्सपर्ट एसआई कन्हैयालाल के साथ एएसआई साइबर सेल के राकेश सिंह, हैडकॉन्सटेबल ओमाराम, देवाराम और पूनाराम को लगाया गया था.


इस तरह से करते थे ठगी
शातिर साइबर अपराधी वेब हॉस्टिंग से लिंक को भेजते थे. लिंक फिक्सिंग कोड के साथ बनाया जाता है, जिससे कि सामान्य आदमी उसे बैंक या अन्य किसी वितीय सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली संस्था से आया हुआ मानकर क्लिक करते हैं. जिस पर पीडि़त रिडाईरेक्ट होकर संबंधित बैंक के वेब पेज पर चला जाता है. उसी प्रकार का एक वेब पेज साइबर अपराधी भी अपने लेपटॉप पर समकालीन रूप से एक्सेस कर रहा होता है. जैसे ही कोई व्यक्ति अपना यूजर आईडी व पासवर्ड फिल करता है. यह सब प्रकियाएं उसी समय साइबर अपराधी द्वारा भी साथ-साथ देखी जाती हैं. इसी क्रम में एक अन्य साइबर अपराधी पीड़ित को कॉल करके बातों में उलझा रहा होता है. पीड़ित द्वारा साइबर अपराधी द्वारा बताई गई बातों को फॉलो करता है. लेपटॉप पर लिंक को एक्सेस कर रहा दूसरा साइबर अपराधी भी उसके साथ-साथ ही नेट बैंकिंग का यूज करते हुए पीड़ित के एकांउट से राशि किसी दूसरे खाते में हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर देता है. चूंकि पीड़ित व्यक्ति दो काम एक साथ कर रहा होता है इस कारण उसका ध्यान भंग होता है और उसे पेंमेंट प्रक्रिया शुरू होने का पता नहीं चल पाता है.


ओटीपी डालते ही खाता हो जाता है खाली


पूरी प्रोसेस के दौरान आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आता है. साइबर अपराधी पेन कार्ड अपडेशन के नाम पर पीड़ित व्यक्ति से स्वयं ओटीपी दर्ज करने को कहता है. चूंकि परिवादी द्वारा यह समझा जाता है कि मैंने किसी प्रकार का कोई अमांउट सबमिट नहीं किया है मैं तो केवल अपने खाते में पेन कार्ड अपडेट करने का ओटीपी दे रहा हूं, जबकि वह ओटीपी खाते से राशि हस्तांतरित करने के लिए होता है. ओटीपी दर्ज करते ही शख्स के खाते में से पैसा निकल जाता है. पैसा निकलने के बाद शख्स को खाते से राशि कटने का मैसेज आता है. अब जैसे ही पीड़ित बताता है कि उसके खाते से पैसा कट गया है तो साइबर अपराधी कहता है कि यह गलती से कट गया है और यह पैसा आपको रिफंड आ जाएगा. रिफंड करने के नाम पर उससे एक और पेमेंट ट्रांसफर प्रोसेस करा लिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को पांच से छ:  लोग अंजाम देते हैं. सारा काम फर्जी सिम और फर्जी बैंक अकाउंट के जरिए होता है ताकि ये पकड़े न जाएं.


यह भी पढ़ें:


Jodhpur Weather Update: जोधपुर में झमाझम बारिश से किसानों के खिले चेहरे, आम जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त


Rajasthan Corona Cases: राजस्थान में जून के आखिरी 10 दिनों में बढ़ी कोरोना की रफ्तार, 1200 से ज्यादा केस दर्ज