Pratapgarh News: प्रतापगढ़ में 11 महीने में दर्ज हुए 132 गुमशुदगी के मामले, 90% में प्रेम-प्रसंग वजह
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में इस साल 11 महीनो में 132 गुमशुदगी के मामले दर्ज किए गए. जिनमें से अधिकांश नाबालिकों को प्रेम प्रसंग के मामले हैं. पुलिस ने बताया कि गुमशुदगी के नाममात्र के मामले हैं.
Rajasthan News: पुलिस विभाग की तरफ से हर महीने और हर साल क्राइम के आंकड़े जारी किए जाते हैं. इसमें हत्या, लूट, जानलेवा हमला, दुष्कर्म, अपहरण आदि होते हैं, लेकिन इन आंकड़ों में प्रतापगढ़ जिले की बात करे तो अपहरण और गुमशुदगी के रौचक और चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. यहां पिछले 11 महीने में 132 मामले गुमशुदगी के दर्ज हुए हैं. जिसमें 113 नाबालिग लडकिया है. इन सभी मामलों में पुलिस 122 को लेकर आ भी गई यानी वह मिल गए. बड़ी बात यह है कि 90 प्रतिशत मामले तो ऐसे है जिसमें पुलिस जांच में प्रेम-प्रसंग के होना सामने आया है. यानी नाबालिग युवक-युवती शादी करने के लिए घर छोड़कर गए और पुलिस जब उनको लेकर आई तो पूछताछ में प्रेम-प्रसंग निकला.
जब एक युवती घर से लापता होती है तो क्या कानून है?
पुलिस के अनुसार जब एक 18 साल की नाबालिग लड़की घर से लापता होती हैं तो प्राथमिकी गुमशुदगी लेते हैं, लेकिन जब एफआईआर दर्ज होती है तो वह अपहरण में होती है. जो पॉक्सो एक्ट के नियम है. नाबालिग को जब पुलिस लेकर आती है और बयान में अपने साथ अगर दुष्कर्म होना बताती है तो फिर दुष्कर्म की धाराएं जुड़ जाती हैं. अगर नाबालिग अपने बयानों में ऐसा कुछ नहीं कहती तो मुकदमा अपहरण में चलता है. यहीं नहीं नाबालिग होने के कारण उन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश किया जाता है. वहीं पूरी कार्रवाई होती है.
गुमशुदा की संख्या नाममात्र
पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि थाने में ज्यादातर मामले प्रेम-प्रसंग के संबंधित आते हैं. इसमें नाबालिग लड़के-लड़कियां प्रेम-प्रसंग के चलते घर छोड़कर चले जाते हैं. फिर नाबाकिग लड़की के घर वाले लड़के पर अपहरण और लड़के के घर वाले गुमशुदगी का केस दर्ज कराते हैं. इसके बाद जब उन्हें लेकर आते हैं तो कुछ में दोनों ओर से बालिग होने के दस्तावेज पेश कर देते हैं और बयान खुद की इच्छा से करना कह देते हैं तो मामला खत्म हो जाता है. नाबालिग होते हैं तो मामला आगे चलता है. सही मायने में देखा जाए तो गुमशुदगी और अपहरण के नाममात्र के मामले हैं.
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी उदयपुर के अध्यक्ष ध्रुव कुमार कविया ने बताया कि यह आंकड़े वास्तविक स्थिति है. हमारे पास सूचना आती है तो हम नाबालिग लड़की से बातचीत करते हैं और उनकी कॉन्सलिंग भी कराते हैं. कई मामलों में तो दोनों पक्षों के परिवार शामिल हो जाते हैं जिससे मामला आगे नहीं बढ़ता है और कभी कॉन्सलिंग में हमे लगता है लड़की से साथ कुछ गलत हुआ, लेकिन बता नहीं रही तो पुलिस को पोक्सो के लिए लिखते हैं. उन्होंने आगे बताया कि जो हम विशेषज्ञों से काउंसलिंग करते हैं तो ज्यादातर प्रेम-प्रसंग का माध्यम मोबाइल ही बताते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से मिलते हैं जिसका माता-पिता को पता ही नहीं चल पाता है.