Rajasthan News: सभी जानते हैं कि नशे की लत क्या होती है और यह कितनी खतरनाक होती है क्योंकि इससे कई जिंदगियां उजड़ चुकी हैं. इसे छुड़ाने के लिए भी कई जतन किये जाते हैं फिर भी ज्यादातर मामलों में नाकामी ही हासिल होती है लेकिन राजस्थान के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां लोग खुद ही नशे की लत को बाय-बाय कह रहे हैं. इस मंदिर में 65 साल से परंपरा चली आ रही है और अब तक 3000 लोग नशे की लत को छोड़ चुके हैं.
भादवा बीज पर लोग लेते हैं शपथ
यह प्रतापगढ़ शहर के धोबी चौक स्थित आईजी माता का मंदिर है जहां पर बड़ी संख्या में लोग हर भादवा बीज को नशा मुक्ति की शपथ लेते हैं. इसी कड़ी में सोमवार को भी युवा, बड़े बुजुर्गों ने नशामुक्ति की शपथ ली. आईजी माता के नक्शे कदम पर चलने के लिए हाथ पर धागा भी बांधा जाता है. करीब 65 साल से प्रतिवर्ष युवा, बड़े बुजुर्ग, महिलाएं, आईजी माता की मंदिर पर आस्था रखते हुए नशामुक्ति की शपथ लेते हैं.
मंदिर के पुजारी ने क्या बताया
यह अनोखा मंदिर अब प्रतापगढ़ सहित आसपास के दूसरे जिलों और मध्य प्रदेश में भी नशा मुक्ति मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है. मंदिर के पुजारी सूरजमल ने बताया कि प्रतिवर्ष अहमदाबाद, बड़ोदरा, सूरत, चित्तौड़, भीलवाड़ा, मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच, रतलाम जावरा के लोग बड़ी संख्या में माता जी के इस महा उत्सव में भाग लेकर नशामुक्ति की शपथ लेते हैं. इसके बाद वे जीवन में कभी नशे की तरफ नहीं लौटते हैं.
65 साल पहले शुरू हुई परंपरा
मंदिर पुजारी सूरजमल खालोटिया ने बताया कि, भविष्य में युवा पीढ़ी में नशे की लत को समाज में फैलने से रोकने के लिए पांच पंच सहित समाज के सदस्यों ने 1968 में यह अभियान शुरू किया था, जो आज भी समाज के लोगों में कायम है. नशा व्यसन पर चिंता जताते हुए समाज के पंचों और सदस्यों ने निर्णय लिया और प्रतिवर्ष युवा, बुजुर्ग को यहां समाज के अध्यक्ष, सदस्य और पुजारी द्वारा शपथ दिलाई जाती है.
150 लोगों ने ली नशा मुक्ति की शपथ
मंदिर के पुजारी सूरजमल ने आगे बताया कि, शपथ लेने के बाद व्यक्ति के अंदर धार्मिक भावना जागृत होती है और वह कभी भी नशे की ओर नहीं बढ़ता है. यहां अब तक करीब 3000 लोगों ने नशा व्यसन से मुक्त रहने की शपथ ली है. आज भी करीब 150 युवा, बड़े बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे नशा व्यसन से दूर रहने की शपथ लेंगे.