कोटा के 550 साल पुराने इस मंदिर में आते हैं लाखों श्रद्धालु, अब होगा इसका कायाकल्प
Kota News: कोटा के 550 साल पुराने मथुराधीश मंदिर का 20 करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार किया जाएगा. इसमें कॉरिडोर निर्माण प्रमुख कार्य होगा. प्रदेश के मंदिरों के लिए 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
Pratham Peeth Mathuradheesh Ji Temple News: कोटा में 550 साल पुराने मथुराधीश जी मंदिर का अब जीर्णोद्धार किया जाएगा. मंदिरों को धार्मिक स्थलों से जोड़ा जाएगा. यहां तक पहुंचने के लिए अब वाहनों तक की सुविधा उपलब्ध होगी. मंदिर के कॉरिडोर पर अब 20 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इसके लिए केडीए को कंसल्टेंसी एजेंसी बनाया गया है.
वल्लभ संप्रदाय की 7 पीठ में से प्रथम पीठ श्री मथुराधीश जी है. मंदिर का करीब 20 करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार किया जाएगा. इसमें प्रमुख कार्य कॉरिडोर निर्माण का है. इसके लिए अब प्रयास और भी तेज हो गए हैं. श्री मथुराधीश जी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी महेश व्यास ने बताया कि मंदिर करीब साढे 500 साल पुराना है. रोज दूरदराज से दर्शनार्थी यहां पर आते हैं. यह प्रथम पीठ है इसलिए इसकी मान्यता और भी अधिक है.
प्रदेश के मंदिरों पर होंगे 300 करोड़ रुपये
कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा का कहना है कि प्रदेश के 15 मंदिरों के लिए 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं, जिसमें 20 करोड़ रुपये कोटा के मथुरा जी मंदिर के लिए स्वीकृत हुआ है. मंदिर परिसर में जगह खाली है जहां विभिन्न उत्सवों के लिए ऑडिटोरियम बनाया जा सकता है. अभी परिसर में करीब 200 दर्शनार्थियों की व्यवस्था है जबकि पर्व त्योहार पर अनेक श्रद्धालु पहुंचते हैं तब भीड़ लगती है, इसे देखते हुए विस्तार किए जाने की आवश्यकता है.
रास्ता सुगम होगा तो बढ़ेगा श्रद्धालु व पर्यटन
रिवर फ्रंट के नजदीक यती व्यायाम शाला के पास से मंदिर तक रोड प्रस्तावित है. पार्किंग के लिए ब्रजेश्वरी मंदिर में जगह ले सकते हैं. मथुराधीश मंदिर मंदिर ट्रस्ट व्यापार संघ और जनप्रतिनिधियों से विचार विमर्श किया जा रहा है. जल्द ही प्रस्ताव फाइनल किया जाएगा. वाहन पार्किंग और रास्ते की दिक्कत है. मंदिर का मूल स्वरूप बनाए रखते हुए जीर्णोद्धार होगा. जैसे ही केडीए के कमिश्नर पद पर कोई पदस्थापित होगा. वैसे ही इस कार्य में तेजी आएगी.
बताया जा रहा है की चंबल रिवर फ्रंट के नजदीक से इसका मुख्य मार्ग निकल जाएगा. मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों से वैष्णव यहां आते हैं. लेकिन आवागमन और वाहन पार्किंग की समस्या रहती है. रास्ता सुगम होगा तो यहां एक और पर्यटन सर्किट स्थापित होगा.
ये भी पढ़ें: राजस्थान के इन छात्रों को सरकार का तोहफा, चार साल तक मिलेंगे हर महीने इतने हजार रुपये