Rajasthan Assembly Session: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Darapudi Murumu) ने शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा को संबोधित किया.उन्होंने अपने भाषण में राजस्थानी टच देते हुए कहा कि मान, सम्मान और बलिदान की धोरां री धरती राजस्थान के निवासियों को घणी शुभकामनाएं. उन्होंने कहा कि अतिथि को देवता समझने का सबसे अच्छा उदाहरण राजस्थान है, यहां के लोगों के मधुर व्यवहार के चलते देश-विदेश के लोग यहां आते रहते हैं. 


राजस्थान और राष्ट्रपति भवन


उन्होंने कहा कि राजस्थान में जैसलमेर के रेगिस्तान से लेकर सिरोही के माउंट आबू, उदयपुर के झीलों और रणथंभौर के आंचल में प्रकृति की इंद्रधनुष छटा दिखाई देती है. जयपुर को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है.उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन के निर्माण में अधिकांश पत्थर राजस्थान से ही गए हैं. राष्ट्रपति भवन को बनाने में यहां के कर्मचारियों का खून-पसीना लगा है.वहीं राजस्थान के उद्दमी लोगों ने प्रदेश की पहचान विदेशों में बनाई है. 


उन्होंने कहा कि सभ्यता और संस्कृति के हर आयाम में राजस्थान की परंपरा समृद्ध रही है.हिंदी का प्रथम कवि होने का गौरव राजस्थान के प्रथम कवि चंदबरदाई को जाता है, जहां उनकी लिखी पुस्तक 'पृथ्वीराज रासो' को हिंदी भाषा का पहला महाकाव्य माना जाता है. 


जनप्रतिनिधियों को राष्ट्रपति की सलाह


राष्ट्रपति ने कहा,''मैं सभी माननीय विधायकों से कहना चाहती हूं कि जनता अपने जनप्रतिनिधि से बहुत प्यार करती है कि एक से अधिक बार अपने नेता को वोट की ताकत से विधानसभा में भेजती है.जनता अपने नेता को फॉलो करती है और उनको बहुत मानती है.'' उन्होंने कहा कि आज तकनीक का युग है और घर-घर तक क्या चल रहा है और विधानसभा में विधायक मेरे लिए क्या बोल रहे हैं, वह सब देखते और समझते हैं. इसलिए मैं सभी विधायकों से गुजारिश करना चाहती हूं कि चाल-चलन के साथ-साथ आचार-विचार को जनता की दिशा में, जनता के लिए सोचना चाहिए और केवल मैं और मेरा की सोच छोड़कर हर काम हमारा होना चाहिए.सिर्फ मैं और मेरा सोचने से राज्य का भला नहीं होगा. 


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