Rajasthan News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 14 फरवरी को आएंगी राजस्थान, बेणेश्वर धाम में करेंगी दर्शन, इस कार्यक्रम में होंगी शामिल
President Droupadi Murmu Rajasthan Visit: आदिवासियों के सबसे बड़े आस्था के धाम और तीर्थ कहे जाने वाले बेणेश्वर धाम पर 14 फरवरी को महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम है.
President Droupadi Murmu in Beneshwar Dham: आदिवासियों के सबसे बड़े आस्था के धाम और तीर्थ कहे जाने वाले डूंगरपुर (Dungarpur) स्थित बेणेश्वर धाम (Beneshwar Dham) पर 14 फरवरी को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) का प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम है. मंगलवार को ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के एसीएस अभय कुमार ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की.
तैयारियों की बात करें तो इस कार्याक्रम में 10 हजार महिलाएं यहां आएंगी. इसके अलावा भी राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए पुलिस से लेकर प्रशासन तक ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर तैयार की जा रही है. स्थल पर पांच हेलीपैड और डोम लगाए जाएंगे जो, 10 फरवरी तक बनकर तैयार हो जाएंगे. साथ ही कार्यक्रम में आने वाली 10 हजार महिलाओं की बैठक के लिए भी व्यवस्था की गई है. महिलाएं बांसवाड़ा (Banswara) संभाग के तीनों जिलों के अलावा उदयपुर जिले से भी आएंगी. इस कार्याक्रम में डूंगरपुर और बांसवाडा से 3500-3500 और प्रतापगढ़ और उदयपुर जिले से 1500-1500 महिलाएं रहेंगी. यह सभी महिलाएं लखपति दीदी योजना से जुड़ी हुई हैं.
लखपति दीदी के कार्यक्रम शिरकत करेंगी राष्ट्रपति
कार्यक्रम भी लखपति दीदी का ही होगा, जिसमें राष्ट्रपति मुर्मू का भी संबोधन हो सकता है. संभागीय आयुक्त डॉ. पवन ने बताया कि राष्ट्रपति के समक्ष जनजाति अंचल की कला-संस्कृति की झलक भी प्रस्तुत की जाएगी. इसके लिए ढोल-तासों की धुन के साथ वागड़ में होली के प्रतिनिधि गैर नृत्य की प्रस्तुति की व्यवस्था भी की जाएगी. इसी प्रकार राजीविका उत्पादों और अन्य उपलब्धियों पर आधारित प्रदर्शनी के आयोजन की व्यवस्था के साथ ही स्थानीय कला संस्कृति संबंधित विषयों को विभिन्न माध्यमों के साथ प्रदर्शित किया जाएगा.
वागड़ क्षेत्र राजनीतिक रूप से तो अपनी पहचान रखता ही है, क्योंकि यहां आदिवासी वोटर्स है. साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को भी जोड़ता है, लेकिन ये क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है, जबकि यहां 100 आयलैंड है और प्रसिद्ध त्रिपुरा सुंदरी सहित अन्य धार्मिक स्थान हैं. राष्ट्रपति के इस दौरे से आध्यात्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी.