Doctors on Protest: अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने शुक्रवार को पेश बजट (Rajasthan Budget 2023) में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना (Chiranjeevi Swasthya Bima Yojana) का कवर 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की घोषणा की थी.वहीं प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों ने कहा है कि वे रविवार से राज्य सरकार की किसी भी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कैशलेश इलाज नहीं करेंगे. दसअसल प्राइवेट अस्पताल राज्य सरकार के राइट टू हेल्थ विधेयक का विरोध कर रहे हैं.सरकार के साथ उनकी बातचीत नाकाम हो चुकी है. बड़ी बात यह है कि इस आंदोलन में प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का भी साथ मिल गया है.
सरकारी योजनाएं और प्राइवेट अस्पताल
प्राइवेट अस्पतालों के इस कदम मरीज बुरी तरह प्रभावित होंगे, उन्हें कैशलेस इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों का रुख करना होगा, खासकर चिरंजीवी योजना का लाभ लेने वालों को. चिरंजीवी योजना के तहत प्रदेश के करीब 900 अस्पताल पैनल में हैं, जिनको इस योजना के तहत इलाज करने की इजाजत दी गई है. एक अनुमान के मुताबिक राज्य में चिरंजीवी योजना के तहत जितने दावे आते हैं,उनका करीब 60 फीसदी हिस्सा प्राइवेट अस्पतालों का होता है. इस योजना को सफल बनाने में इन प्राइवेट अस्पतालों का बड़ा हाथ है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट भाषण में बताया था कि अब तक 32 लाख लोगों ने चिरंजीवी योजना का लाभ उठाया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष और राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करने के लिए बनाई गई एक्शन कमेटी के प्रमुख डॉ. सुनील चुघ ने प्राइवेट अस्पतालों से सरकार की किसी भी योजना के तहत मरीजों का कैशलेश इलाज न करने की अपील की है.
नाकाम रही सरकार से बाततीच
सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों के प्रतिनिधियों और राइट टू हेल्थ पर बनी सलेक्ट कमेटी के सदस्यों के बीच शनिवार को हुई बातचीत नाकाम रही. समिति के प्रमुख राज्य के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा हैं. इसके बाद डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन विरोध का फैसला किया. वहीं मीणा ने डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से बार-बार यह बताने को कहा है कि राइट टू हेल्थ बिल के किन बिंदुओं पर उन्हें आपत्ति है. उनका कहना था कि उन बिंदुओं को बिल से हटा दिया जाएगा. लेकिन डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें किसी भी तरह के बिल की जरूरत नहीं है.
डॉक्टर चुघ कहते हैं,"यह एक कठोर विधेयक हैं. यह निजी स्वास्थ्य क्षेत्र का गला घोंट देगा. सलेक्ट कमेटी के साथ बातचीत विफल होने के बाद हमने राज्य सरकार की सभी स्वास्थ्य योजनाओं का बहिष्कार करने का फैसला किया है.हम राज्य सरकार की किसी भी योजना के तहत किसी भी मरीज का इलाज नहीं करेंगे." उनके इस अपील पर शनिवार को राज्य के अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी बद रहे.डॉक्टरों ने जयपुर में जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर रैली निकाली.इन हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने शनिवार को सुबह नौ बजे से 11 बजे तक काम बंद रखा.
क्या कहना है डॉक्टरों का
ऑल राजस्थान इन सर्विस डॉक्टर एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि प्रस्तावित बिल स्वीकार्य नहीं है. वहीं डॉक्टर चुघ ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया कि इस बिल में यह प्रावधान है कि प्राइवेट अस्पतालों की जांच और उसे सीज करने का अधिकार राज्य और जिला स्तर की कमेटी के पास होगा. इस बीच पता चला है कि सलेक्ट कमेटी की बैठक 15 फरवरी को फिर होगी.
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