राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह मेघवाल ने सात समंदर पार थाईलैंड में हुई 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर राजस्थान और देश का नाम रोशन किया है.थाईलैंड के पटना में 18 दिसंबर को प्रिया सिंह ने गोल्ड मेडल के साथ साथ प्रोकार्ड भी अपने नाम किया है.
दलित की बेटी प्रिया सिंह का घूंघट से बिकनी तक का सफर
घुंघट से बिकिनी तक का सफर तय करने में बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.बीकानेर से आने वाली प्रिया सिंह की शादी महज आठ साल की उम्र में ही हो गई थी. प्रिया सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि मैं जिस कल्चर में मैं रहती हूं उसमें साड़ी और सूट की परंपराओं को निभाना होता है.लेकिन मेरे गेम में कॉस्टयूम को लेकर कई लोगों ने ताने मारे.वो जिस क्षेत्र से आती हैं वहां पर बहुए घूंघट में आती हैं और घूंघट में ही मर जाती हैं, लेकिन मैंने परंपराओं को निभाने के साथ-साथ लक्ष्य पर निशाना साधा.
सरकार से आर्थिक मदद की उम्मीद
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाली प्रिया सिंह को सरकार से आर्थिक मदद की दरकार है.प्रिया सिंह अपने सपनों को साकार करने के साथ-साथ जिम ट्रेनर की नौकरी कर अपने परिवार का लालन पालन करती हैं.देश के लिए गोल्ड मेडल लाने के बावजूद प्रिया सिंह की अभी तक कोई आर्थिक मदद नहीं हुई है . हालांकि बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह का कहना है सरकार उनकी मदद नहीं करेगी तो भी वह रुकने वाली नहीं हैं.यूनिवर्स और ओलंपिया में जाना उनका लक्ष्य है और वह उसे पूरा करेंगी.उनका किसी से कोई गिला शिकवा नहीं है वो देश के लिए खेल रही है और खेलत रहेंगी.
सफलता के पीछे किसका हाथ
दो बच्चों की मां बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह की सफलता के पीछे उनकी बेटी का हाथ है.प्रिया सिंह ने कहा कि आज वो जिस जगह पर हैं अपनी बेटी की बदौलत हैं.बेटी ने मुझे संभाला है.नौ घंटे की ड्यूटी के साथ सब कुछ करना संभव नहीं था.खाने पीने से लेकर कपड़ों तक सब कुछ बेटी ने समझा. बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह ने महिलाओं के नाम अपने संदेश में कहा कि वह दूसरों पर निर्भर होने की जगह अपना भविष्य खुद बनाएं.प्रिया सिंह ने कहा कि बेटों के नाम पर तो अक्षर पिता जाने जाते हैं लेकिन आप कुछ ऐसा करिए जिससे पिता अपनी बेटियों के नाम से जाना जाएं.
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