Rajasthan News: मोटे अनाज की मांग के साथ मक्का-ज्वार और बाजरे का रकबा बढ़ा, मिलेट्स इयर के चलते किसानों को होगा लाभ
देश और विदेश में मिलेट्स की चर्चा तेज हुई और लोगों ने अपने भोजन में इसे शामिल भी किया जिसका नतीजा यह रहा की बाजार में इसकी मांग बढ़ने लगी और अब किसान तेजी से मिलट्स की खेती की और अग्रसर हो रहे हैं,
Kota News: भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को प्रस्ताव दिया था कि साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलट्स (millets) के रूप में घोषित किया जाए. भारत के इस प्रस्ताव को 72 देशों और युनाइटेड ने समर्थन दिया था. उसके बाद से देश और विदेश में मिलेट्स की चर्चा तेज हुई और लोगों ने अपने भोजन में इसे शामिल भी किया जिसका नतीजा यह रहा की बाजार में इसकी मांग बढ़ने लगी. जब मांग बढ़ी तो किसानों के पास जो फसल खत्म सी होती जा रही थी उसके उत्पादन में तेजी लाने का सुनहरा अवसर मिला और अब किसान तेजी से मिलट्स की खेती की और अग्रसर हो रहे हैं, कोटा संभाग में इस वर्ष मिलेट्स का उत्पादन तेजी से बढा है. किसानों ने उड़द और सोयाबीन कम कर मिलेट्स की खेती पर अपना फोकस रखा है.
कोटा संभाग में 12 लाख 89 हजार 610 हैक्टेयर बुवाई का लक्ष्य
कोटा संभाग में पहली बार खरीफ की फसल में ज्वार, बाजरा और मक्का का रकबा (बुवाई, उत्पादन) बढ़ा है. वहीं धान का रकबा पिछले साल के बराबर ही रहने वाला है. पिछले सालों की बात करें तो बरसात के कारण उडद व सोयाबीन की फसलों में नुकसान होने और बाजार (market) में मिलेट्स के अच्छे दाम आने के कारण भी किसानों ने इस और अपना रुझान बढाया है. कोटा संभाग में 95 प्रतिशत से अधिक धान की बुवाई हो चुकी हैं. कृषि विभाग के अनुसार इस बार 12 लाख 89 हजार 610 हैक्टेयर में बुवाई के लक्ष्य के विपरीत 10 लाख 67 हजार 598 हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. धान में 95 प्रतिशत, सोयाबीन 91 प्रतिशत, उडद 43 प्रतिशत, मक्का की 99 प्रतिशत तक बुवाई हो चुकी है.
उड़द व सोयाबीन लगाने में किसानों का इंटरेस्ट कम
बरसात के कारण सोयाबीन व उडद के लगातार खराब होने से किसानों (farmers) का इस और ध्यान नहीं हैं और किसानों ने इसकी बुवाई को कम कर दिया है. जबकी धान और मक्का को इस बार ज्यादा मात्रा में लगाया है. कृषि विभाग के अनुसार उड़द का टारगेट 2.52 लाख हैक्टेयर के मुकाबले अभी तक केवल 1 लाख 8 हजार 114 हैक्टयर में बुवाई हुई है, इसी तरह सोयाबीन का लक्ष 7.67 लाख के मुकाबले 6.99 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो सकी है.
ज्वार 30 प्रतिशत तो मक्का 50 प्रतिशत अधिक होगा
अतिरिक्त निदेशक कृषि पीके गुप्ता के अनुसार इस बार मिलेट्स ईयर (मोटा अनाज) के रूप में मनाया जा रहा है जिसमें किसानों से समझाइश कर व मार्केट की मांग के अनुरूप मोटे अनाज की जानकारी देने पर किसानों ने इस बार मोटे अनाज को खेतों में अधिक लगाया है. कोटा संभाग में पहली बार ज्वार, बाजरा और मक्का का उत्पादन अधिक होगा. ज्वार 30 प्रतिशत अधिक तो मक्का करीब 50 प्रतिशत अधिक होगा. मक्का की बुवाई पिछले साल की अपेक्षा 5 हजार हैक्टेयर में अधिक हुई है.
खरीफ की फसल की बुवाई का आंकडाफसल वर्ष 22-2023 वर्ष 23-2024
धान 136653 110957
सोयाबीन 667800 698862
उड़द 138044 108114
मक्का 104587 108411
बाजरा 2750 4000
ज्वार 1557 3100
मिलेट्स के फायदे
भारतीस जीवनशैली में मिलेट्स जैसे बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, कुटकी, मक्का आदि प्रमुख अनाज के सेवन से शारीरिक व मानसिक विकास होगा और बीमारियों से भी छुटकारा मिलेगा. बाजरा, कैल्शियम (calcium) से भरा होता है तो ज्वार में पोटेशियम और फास्फोरस होता है वहीं कंगनी में फाइबर होता है जबकि कोदो आयरन से भरपूर होता है. इसलिए हमें सभी तरह के मिलेट्स का सेवन करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है.
मिलेट्स गेहूं और मक्का की तुलना में, पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, और ग्लुटन-फ्री भी होते हैं. इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. इनमें उच्च मात्रा में डाइटरी फाइबर, सभी आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन और मिलरल्स के साथ प्रोटीन भी होता है और इसके कारण ये ब्लड ग्लुकोज लेवल को मेंटेन करते हैं. कैंसर, बीपी, पेट की समस्या, पाचन क्रिया के लिए भी लाभदायक हैं. लोगों ने अब अपने भोजन में इसे शामिल करना शुरू कर दिया है और लोग धीरे-धीरे इस दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं.
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