Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर (Bharatpur) जिले के नगर थाना क्षेत्र के गांव सुंदरावली (Sundarawali) के रहने वाले जीतराम गुर्जर (Jitram Gurjar) पुलवामा (Pulwama) में शहीद हो गए थे. केंद्र सरकार द्वारा जो पैकेज उस समय शहीदों को दिया था वो उन्हें मिल गया है. राज्य सरकार की तरफ से भी कुछ घोषणाएं की गई थीं. शहीद की वीरांगना सुंदरी का कहना है कि राज्य सरकार की घोषणाओं का उन्हें लाभ नहीं मिला है. 


शहीद की प्रतिमा को अनावरण का इंतजार
गांव सुंदरावली में पुलवामा हमले में शहीद हुए जीतराम गुर्जर की प्रतिमा को अनावरण का इंतजार है, लेकिन शहीद की वीरांगना सुंदरी का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब तक वह शहीद जीतराम की मूर्ति का अनावरण नहीं होने देंगे.
 
पिछले कई दिनों से चल रहा था वीरांगनाओं का धरना
बता दें कि जयपुर में कई दिनों से शहीद की वीरांगनाओं द्वारा धरना दिया जा रहा था लेकिन कल सुबह वीरांगनाओं को उनके घर पहुंचा दिया गया था. भरतपुर के शहीद जीतराम गुर्जर की वीरांगना और उसके देवर व वीरांगना की बड़ी बेटी को नगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कर बाहर पुलिसबल को तैनात कर दिया गया था जिससे किसी शहीद की वीरांगना उनसे मिल न सकें. 


वीरांगना के घर पर भारी पुलिस बल तैनात
कल शाम को भरतपुर की सांसद रंजीता कोली ने नगर अस्पताल पहुंचकर वीरांगना को बाहर निकालने की कोशिश की थी, इस दौरान उनकी पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई, जिसके बाद बताया गया कि इस धक्का-मुक्की में सांसद के हाथ में चोट भी लगी है. सांसद रंजीता कोली वीरांगना सुंदरी को  उसके घर ले जाने को लेकर अड़ी रहीं, जिसके बाद रात करीब 9 बजकर 30 मिनट पर वीरांगना को एम्बुलेंस के जरिए उसके घर सुंदरावली गांव में भेजा गया.


लेकिन उनके घर पर भी भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. जीतराम के घर पर डॉक्टर, एम्बुलेंस तैनात की गई है. वहीं वीरांगना का कहना है कि उन्हें कोई परेशानी नहीं है, उसके बाद भी उनके घर पर डॉक्टर और पुलिस की तैनात की गई है.


'चार साल से सरकार ने नहीं की कोई सुनवाई'
वीरांगना सुंदरी ने बताया कि जयपुर हम खुद ही गए थे. हमारे घर पर पुलिस लगी हुई है, कल अस्पताल में भी पुलिस लगी हुई थी. उन्होंने कहा कि सरकार को लिखते-लिखते और मंत्रियों से मिलते-मिलते 4 साल हो गए लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी. हमारी मांग है कि देवर को नौकरी मिल जाए और शहीद जीतराम के नाम से कॉलेज हो जाए. बार-बार हाथ जोड़कर हम सीएम से विनती कर रहे हैं कि वह देवर के लिए नौकरी और जीतराम के नाम से कॉलेज का नाम करवा दें.


सीएम क्या हमारा आदमी वापस दे सकते हैं. कल भी हमें यह कहकर ले जाया गया कि हम बीमार हैं, जबकि हमें कोई बीमारी नहीं है. हमारे घर पर भी पुलिस तैनात की गई है, जबकि हमें कोई परेशानी नहीं है, रात को भी झगड़ा कर दिया. हम रात को भी कह रहे थे कि घर जाएंगे, लेकिन हमें घर नहीं जाने दिया.


वहीं शहीद जीतराम के भाई विक्रम ने बताया कि 10 मार्च की सुबह लगभग 3 बजे पुलिस हमें जयपुर से नगर अस्पताल ले गई, वहां हमें पुलिस की देखरेख में रखा गया. परिवार के लोग हमसे मिलने आए तो उन्हें भी हमसे मिलने नहीं दिया गया.


क्या कहना है पुलिस का 
वीरांगना के घर तैनात सीओ आशीष प्रजापत का कहना है कि शहीद की वीरांगना की तबियत ख़राब थी, ट्रीटमेंट देने के बाद वीरांगना को डिस्चार्ज कर दिया गया था. आज वह अपने घर पर ही हैं. उनके घर डॉक्टर को तैनात किया गया है, ताकि उन्हें कोई परेशानी नहीं आये. साथ ही सुरक्षा को देखते हुए वीरांगना के घर पर पुलिस जाब्ता भी तैनात किया गया है. वीरांगना की इच्छा थी कि मैं घर पर आराम करूं इसलिए उन्हें घर पर ही रखा गया है और एहतियात के तौर पर पुलिस जाब्ता तैनात किया गया है.


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