Rajasthan News: अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से सार्वजनिक निर्माण विभाग के संवेदक टेंडरों का बहिष्कार कर रहे हैं. संवेदकों की कई मांगें हैं जिन्हें पूरा किए जाने को लेकर आंदोलन की रूपरेखा तय किए जाने को लेकर जयपुर के पीडब्लूडी कैंपस में कोटा संभाग सहित सभी जिलों के संवेदक एकत्रित होंगे और 4 व 5 अप्रैल को मंथन करेंगे.
यूनाइटेड कांट्रेक्टर एसोसिएशन राजस्थान के संभागीय अध्यक्ष एवं कोटा कांट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील गर्ग ने बताया कि संवेदक अपनी मांगों को लेकर पहले ही सीएम को ज्ञापन देकर अपनी मांगों को रख चुके हैं. साथ ही, उनसे आग्रह किया है कि संवेदकों की लंबे समय से चली आ रही मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाए.
मुख्यमंत्री के नाम अतिरिक्त मुख्य अभियंता को सौंपा ज्ञापन
संवेदकों की जयपुर में होने जा रही यह बैठक महत्वपूर्ण है, इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. गर्ग ने बताया कि कोटा संभाग सहित प्रदेशभर के संवेदक जयपुर कूच करेंगे. इस सम्बंध में अतिरिक्त मुख्य अभियंता एनएस मीणा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंप दिया और आगामी आंदोलन के बारे में अवगत करा दिया है, ताकी विकास कार्यों में उत्पन्न व्यवधान से निपटा जा सके.
'मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन होगा तेज'
सुनील गर्ग ने बताया कि कोटा के पीडब्ल्यूडी कैंपस में मीटिंग का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड़ के संवेदक शामिल होंगे और जयपुर में 4 व 5 अप्रैल की मीटिंग के लिए कार्ययोजना पर चर्चा करेंगे. कोटा से सैकड़ों की संख्या में संवेदक जयपुर जाएंगे और वहां दो दिन तक आंदोलन को लेकर अपनी बात रखेंगे. बात बनी तो ठीक नहीं तो आंदोलन को तेज किया जाएगा.
क्या हैं संवेदकों की मांगें
सुनील गर्ग ने बताया कि संवेदकों के परमानेंट पंजीकरण की हर 2 वर्ष में नवीनीकरण की बाध्यता समाप्त की जाए. सभी निर्माण कार्यों के बिलों के भुगतान समयबद्ध तरीके से किए जाएं. निर्माण कार्यों की निविदाओं में जीएसटी की राशि सरकार द्वारा अलग से देय हो. (PMGSY की तर्ज पर) निर्माण कार्यों पर जीएसटी की 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत होने पर जुलाई 2022 से पूर्व केंद्रों में 6 प्रतिशत की अतिरिक्त जीएसटी सरकार द्वारा वहन की जाए. PMGSY के टेंडरों में वाहनों पर जीपीएस लगाने की बाध्यता समाप्त की जाए. निर्माण कार्य पर लगने वाली रॉयल्टी बिलों में प्रतिशत के बजाए उपयोग में ली गई सामग्री पर प्रति टन के हिसाब से ली जानी चाहिए.
20 करोड़ से बड़े कार्यों की निविदाओं की व्यवस्था आवश्यक रूप से लागू की जाए. डीएमएफटी के कार्यों में भुगतान को मासिक एवं सरलीकरण किया जाए. GWMS की व्यवस्था समाप्त की जाए. सभी प्रकार के समयावृद्धि प्रकरण निविदा स्वीकृत करने वाले अधिकारी व डबल समय तक एवं उससे ऊपर की वृद्धि की अग्रिम उच्च अधिकारी को पावर मिलनी चाहिए.
सभी प्रकार के निर्माण कार्यों में कार्य पूर्ण करने का समय वित्त विभाग एवं राज्य सरकार के तय मानकों के अनुसार दिया जाए. ये सभी मांगें संवेदकों लिए महत्वपूर्ण हैं अत: सरकार को इन मांगों को गंभीरता से विचार विमर्श कर लागू किया जाना चाहिए ताकी संवेदकों को आ रही परेशानियों से निजात मिल सके. इन सभी मांगों को लेकर सर्व सम्मति से टेंडर के बहिष्कार का निर्णय कोटा संभाग में सैकड़ों ठेकेदारों की उपस्थिति में लिया गया.
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